बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sun, 17 Nov 2019 02:03 PM IST
शेयर बाजारों में म्यूचुअल फंड निवेश साल के पहले 10 महीनों में आधा घटकर 55700 करोड़ रुपये रहा। इसका कारण खुदरा निवेशकों की म्यूचुअल फंड में भागीदारी का कम होना बताआ जा रहा है।
भारतीय प्रतिभूति एवं अपीलीय बोर्ड (सेबी) के आंकड़े के अनुसार कोष प्रबंधकों ने पिछले साल जनवरी-अक्तूबर के दौरान 1.12 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे थे।
प्राइम इनवेस्टर डाट इन के सह-संस्थापक विद्या बाला ने कहा कि खुदरा निवेशकों का म्यूचुअल फंड में निवेश एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में कम हुआ है। इसके परिणामस्वरूप म्यूचुअल फंड की तरफ से शेयर बाजारों में निवेश कम हुआ है।
उन्होंने कहा कि बाजार के नई ऊंचाई पर पहुंचने के साथ खुदरा निवेशकों ने अपनी संपत्ति पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पाया। इसका कारण तेजी का कुछ चुनिंदा शेयरों तक सीमित रहना है। जबतक खुदरा निवेशक निवेश के लिये आगे नहीं आते, आने वाले समय में यह प्रवृत्ति बनी रह सकती है।
सिप (SIP) के जरिये निवेशक निश्चित राशि निश्चित अवधि पर लगाते हैं। इस साल कुल 55,700 करोड़ रुपये के निवेश में से ज्यादातर निवेश जुलाई-सितंबर के दौरान हुए। कोष प्रबंधकों ने इस दौरान शुद्ध रूप से 43,500 करोड़ रुपये का निवेश किया। वहीं विदेशी निवेशकों ने इन तीन महीनों में 22,400 करोड़ रुपये की निकासी की।
शेयर बाजारों में म्यूचुअल फंड निवेश साल के पहले 10 महीनों में आधा घटकर 55700 करोड़ रुपये रहा। इसका कारण खुदरा निवेशकों की म्यूचुअल फंड में भागीदारी का कम होना बताआ जा रहा है।
भारतीय प्रतिभूति एवं अपीलीय बोर्ड (सेबी) के आंकड़े के अनुसार कोष प्रबंधकों ने पिछले साल जनवरी-अक्तूबर के दौरान 1.12 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे थे।
प्राइम इनवेस्टर डाट इन के सह-संस्थापक विद्या बाला ने कहा कि खुदरा निवेशकों का म्यूचुअल फंड में निवेश एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में कम हुआ है। इसके परिणामस्वरूप म्यूचुअल फंड की तरफ से शेयर बाजारों में निवेश कम हुआ है।
उन्होंने कहा कि बाजार के नई ऊंचाई पर पहुंचने के साथ खुदरा निवेशकों ने अपनी संपत्ति पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पाया। इसका कारण तेजी का कुछ चुनिंदा शेयरों तक सीमित रहना है। जबतक खुदरा निवेशक निवेश के लिये आगे नहीं आते, आने वाले समय में यह प्रवृत्ति बनी रह सकती है।
सिप (SIP) के जरिये निवेशक निश्चित राशि निश्चित अवधि पर लगाते हैं। इस साल कुल 55,700 करोड़ रुपये के निवेश में से ज्यादातर निवेश जुलाई-सितंबर के दौरान हुए। कोष प्रबंधकों ने इस दौरान शुद्ध रूप से 43,500 करोड़ रुपये का निवेश किया। वहीं विदेशी निवेशकों ने इन तीन महीनों में 22,400 करोड़ रुपये की निकासी की।