बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Fri, 13 Nov 2020 12:33 PM IST
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देश की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आती दिख रही है। खनन और बिजली उत्पादन क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन 0.2 फीसदी की वृद्धि के साथ छह महीने बाद सकारात्मक दायरे में पहुंचा। हालांकि, खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण अक्तूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 7.61 फीसदी पर पहुंच गई। यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे से ऊपर है। इस बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहनों की एक और खुराक की घोषणा की। इसमें जहां छोटे कारोबारियों के लिए पहले से चल रही ऋण गारंटी सुविधा कार्यक्रम की अवधि इस वित्त वर्ष के अंत तक बढ़ा दी गई है, वहीं नौकरी सृजन को गति देने के इरादे से नए रोजगार देने वाले उद्योगों को भविष्य निधि सहायता उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है।
PMI और जीएसटी संग्रह में सुधार
सीतारमण ने कहा कि एक लंबे और कड़े लॉकडाउन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत में अच्छा सुधार देखने को मिल रहा है। कंपनियों के कारोबार की गति का संकेत देने वाला कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अक्तूबर में बढ़कर 58.9 रहा, जो इससे पिछले महीने में 54.6 था। उन्होंने कहा कि अक्तूबर के दौरान ऊर्जा खपत में 12 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह 10 फीसदी बढ़कर 1.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया।
छह महीने बाद सकारात्मक दायरे में पहुंचा औद्योगिक उत्पादन
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी इस वर्ष के दौरान भारत की जीडीपी में गिरावट के अपने पहले के अनुमान में सुधार किया है। इस बीच, सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के ताजा आंकड़े में औद्योगिक उत्पादन छह महीने के बाद सकारात्मक दायरे में पहुंच गया। खनन और बिजली उत्पादन क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन में 0.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि, सूचकांक में 77.63 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र में सितंबर महीने में 0.6 फीसदी की मामूली गिरावट रही।
खनन-बिजली क्षेत्र के उत्पादन में वृद्धि
वहीं, खनन और बिजली क्षेत्र के उत्पादन में क्रमश: 1.4 फीसदी और 4.9 फीसदी की वृद्धि हुई। आईआईपी के पिछले साल सितंबर के आंकड़े को यदि देखा जाए तो इसमें 4.6 फीसदी की गिरावट आई थी। अक्तूबर 2020 के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े दिसंबर में आएंगे। औद्योगिक उत्पादन में इस साल फरवरी में 5.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी। उसके बाद कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण मार्च में 18.7 फीसदी, अप्रैल में 57.3 फीसदी, मई में 33.4 फीसदी, जून में 16.6 फीसदी और जुलाई में 10.8 फीसदी की गिरावट रही। संशोधित आंकड़े में अगस्त में औद्योगिक उत्पादन में 7.4 फीसदी की गिरावट रही।
आर्थिक गतिविधियों में अपेक्षाकृत सुधार
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि लॉकडाउन से जुड़ी पाबंदियों में ढील के साथ आर्थिक गतिविधियों में अपेक्षाकृत सुधार हुआ है। इसके साथ आंकड़ा संग्रह की स्थिति भी बेहतर हुई है। हालांकि खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण अक्तूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 7.61 फीसदी पर पहुंच गई। यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे से ऊपर है। सरकार के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आंकड़ों के अनुसार, इससे एक माह पहले सितंबर 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति 7.27 फीसदी थी। वहीं एक साल पहले अक्तूबर 2019 में यह 4.62 फीसदी रही थी। सामान्य मुद्रास्फीति में वृद्धि मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में तेजी के कारण हुई।
देश की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आती दिख रही है। खनन और बिजली उत्पादन क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन 0.2 फीसदी की वृद्धि के साथ छह महीने बाद सकारात्मक दायरे में पहुंचा। हालांकि, खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण अक्तूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 7.61 फीसदी पर पहुंच गई। यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे से ऊपर है। इस बीच, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहनों की एक और खुराक की घोषणा की। इसमें जहां छोटे कारोबारियों के लिए पहले से चल रही ऋण गारंटी सुविधा कार्यक्रम की अवधि इस वित्त वर्ष के अंत तक बढ़ा दी गई है, वहीं नौकरी सृजन को गति देने के इरादे से नए रोजगार देने वाले उद्योगों को भविष्य निधि सहायता उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है।
PMI और जीएसटी संग्रह में सुधार
सीतारमण ने कहा कि एक लंबे और कड़े लॉकडाउन के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत में अच्छा सुधार देखने को मिल रहा है। कंपनियों के कारोबार की गति का संकेत देने वाला कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अक्तूबर में बढ़कर 58.9 रहा, जो इससे पिछले महीने में 54.6 था। उन्होंने कहा कि अक्तूबर के दौरान ऊर्जा खपत में 12 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह 10 फीसदी बढ़कर 1.05 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया।
छह महीने बाद सकारात्मक दायरे में पहुंचा औद्योगिक उत्पादन
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी इस वर्ष के दौरान भारत की जीडीपी में गिरावट के अपने पहले के अनुमान में सुधार किया है। इस बीच, सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के ताजा आंकड़े में औद्योगिक उत्पादन छह महीने के बाद सकारात्मक दायरे में पहुंच गया। खनन और बिजली उत्पादन क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से सितंबर महीने में औद्योगिक उत्पादन में 0.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि, सूचकांक में 77.63 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र में सितंबर महीने में 0.6 फीसदी की मामूली गिरावट रही।
खनन-बिजली क्षेत्र के उत्पादन में वृद्धि
वहीं, खनन और बिजली क्षेत्र के उत्पादन में क्रमश: 1.4 फीसदी और 4.9 फीसदी की वृद्धि हुई। आईआईपी के पिछले साल सितंबर के आंकड़े को यदि देखा जाए तो इसमें 4.6 फीसदी की गिरावट आई थी। अक्तूबर 2020 के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े दिसंबर में आएंगे। औद्योगिक उत्पादन में इस साल फरवरी में 5.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी। उसके बाद कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण मार्च में 18.7 फीसदी, अप्रैल में 57.3 फीसदी, मई में 33.4 फीसदी, जून में 16.6 फीसदी और जुलाई में 10.8 फीसदी की गिरावट रही। संशोधित आंकड़े में अगस्त में औद्योगिक उत्पादन में 7.4 फीसदी की गिरावट रही।
आर्थिक गतिविधियों में अपेक्षाकृत सुधार
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि लॉकडाउन से जुड़ी पाबंदियों में ढील के साथ आर्थिक गतिविधियों में अपेक्षाकृत सुधार हुआ है। इसके साथ आंकड़ा संग्रह की स्थिति भी बेहतर हुई है। हालांकि खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण अक्तूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 7.61 फीसदी पर पहुंच गई। यह रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे से ऊपर है। सरकार के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आंकड़ों के अनुसार, इससे एक माह पहले सितंबर 2020 में खुदरा मुद्रास्फीति 7.27 फीसदी थी। वहीं एक साल पहले अक्तूबर 2019 में यह 4.62 फीसदी रही थी। सामान्य मुद्रास्फीति में वृद्धि मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में तेजी के कारण हुई।