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नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली कूच कर रहे किसानों के समर्थन में हरियाणा के कर्मचारियों एवं मजदूरों ने भी मोर्चा खोल दिया है। पुलिस कार्रवाई के खिलाफ शनिवार को कर्मचारी, पेंशनर्स व मजदूर सभी जिलों में आक्रोश प्रदर्शन करेंगे।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा, महासचिव सतीश सेठी, मजदूर संगठन सीटू की प्रधान सुरेखा, महासचिव जयभगवान, रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रधान आरसी जग्गा व महासचिव राजेंद्र अहलावत ने बताया कि प्रदेश के कर्मचारी, पेंशनर्स व मजदूर किसानों के आंदोलन का तन-मन-धन से सहयोग करेंगे।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली जाकर प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन पुलिस किसानों पर सर्दी के मौसम में वाटर कैनन व आंसू गैस के गोले बरसा रही है। किसानों पर बल प्रयोग किया जा रहा है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
सुभाष लांबा ने कहा कि केंद्र सरकार ने कारपोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों के प्रतिनिधि संगठनों से विचार-विमर्श किए बिना संसद में जबरन तीन कृषि बिलों को पास कर लिया जबकि किसान संगठनों की यह मांग ही नहीं थी।
किसान संगठन तो लंबे समय से स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट लागू करने और किसानों के कर्ज माफ करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री व अन्य मंत्री जुबानी तो कह रहे हैं कि एमएसपी व मंडी दोनों रहेंगे, लेकिन नए कानून में इनका कोई जिक्र तक नहीं है। किसान एमएसपी व मंडी व्यवस्था दोनों आश्वासन कानूनों में लिखित रूप में चाहते हैं, जो सरकार करने को तैयार नहीं है।
नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली कूच कर रहे किसानों के समर्थन में हरियाणा के कर्मचारियों एवं मजदूरों ने भी मोर्चा खोल दिया है। पुलिस कार्रवाई के खिलाफ शनिवार को कर्मचारी, पेंशनर्स व मजदूर सभी जिलों में आक्रोश प्रदर्शन करेंगे।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा, महासचिव सतीश सेठी, मजदूर संगठन सीटू की प्रधान सुरेखा, महासचिव जयभगवान, रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रधान आरसी जग्गा व महासचिव राजेंद्र अहलावत ने बताया कि प्रदेश के कर्मचारी, पेंशनर्स व मजदूर किसानों के आंदोलन का तन-मन-धन से सहयोग करेंगे।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान शांतिपूर्ण तरीके से दिल्ली जाकर प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन पुलिस किसानों पर सर्दी के मौसम में वाटर कैनन व आंसू गैस के गोले बरसा रही है। किसानों पर बल प्रयोग किया जा रहा है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
सुभाष लांबा ने कहा कि केंद्र सरकार ने कारपोरेट को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों के प्रतिनिधि संगठनों से विचार-विमर्श किए बिना संसद में जबरन तीन कृषि बिलों को पास कर लिया जबकि किसान संगठनों की यह मांग ही नहीं थी।
किसान संगठन तो लंबे समय से स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट लागू करने और किसानों के कर्ज माफ करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री व अन्य मंत्री जुबानी तो कह रहे हैं कि एमएसपी व मंडी दोनों रहेंगे, लेकिन नए कानून में इनका कोई जिक्र तक नहीं है। किसान एमएसपी व मंडी व्यवस्था दोनों आश्वासन कानूनों में लिखित रूप में चाहते हैं, जो सरकार करने को तैयार नहीं है।