न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Thu, 14 Jan 2021 12:38 AM IST
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लिव इन में रहने वाले प्रेमी ने अपनी नाबालिग प्रेमिका की कस्टडी के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया। हाईकोर्ट के आदेश पर ही प्रेमिका को सोनीपत के सेफ होम में भेजा गया था। याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि नाबालिग के साथ लिव इन न केवल अनैतिक, सामाजिक मानदंडों के खिलाफ है, बल्कि कानूनी रूप से अस्वीकार्य भी है।
मामला सोनीपत-पानीपत से जुड़ा है, जहां के प्रेमी जोड़े ने लड़की के घर वालों से जान का खतरा बताते हुए हाईकोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई थी। हाईकोर्ट ने पाया कि लड़की की आयु साढ़े 17 वर्ष है जिसके चलते उसने याचिका खारिज करते हुए लड़की को सोनीपत के सेफ होम भेज दिया था। इसके बाद प्रेमी ने अर्जी दाखिल करते हुए लड़की की कस्टडी देने की मांग की थी।
हाईकोर्ट ने यह अर्जी खारिज करते हुए कहा कि प्रेमी पर पानीपत के समालखा में नाबालिग के अपहरण का केस दर्ज है। अपहरण के आरोपी को कैसे नाबालिग की कस्टडी दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि यदि लड़की की मां या उसके पिता कस्टडी के लिए इलाका मजिस्ट्रेट के पास याचिका दाखिल करें तो उस पर विचार किया जा सकता है।
लिव इन में रहने वाले प्रेमी ने अपनी नाबालिग प्रेमिका की कस्टडी के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया। हाईकोर्ट के आदेश पर ही प्रेमिका को सोनीपत के सेफ होम में भेजा गया था। याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि नाबालिग के साथ लिव इन न केवल अनैतिक, सामाजिक मानदंडों के खिलाफ है, बल्कि कानूनी रूप से अस्वीकार्य भी है।
मामला सोनीपत-पानीपत से जुड़ा है, जहां के प्रेमी जोड़े ने लड़की के घर वालों से जान का खतरा बताते हुए हाईकोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई थी। हाईकोर्ट ने पाया कि लड़की की आयु साढ़े 17 वर्ष है जिसके चलते उसने याचिका खारिज करते हुए लड़की को सोनीपत के सेफ होम भेज दिया था। इसके बाद प्रेमी ने अर्जी दाखिल करते हुए लड़की की कस्टडी देने की मांग की थी।
हाईकोर्ट ने यह अर्जी खारिज करते हुए कहा कि प्रेमी पर पानीपत के समालखा में नाबालिग के अपहरण का केस दर्ज है। अपहरण के आरोपी को कैसे नाबालिग की कस्टडी दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि यदि लड़की की मां या उसके पिता कस्टडी के लिए इलाका मजिस्ट्रेट के पास याचिका दाखिल करें तो उस पर विचार किया जा सकता है।