न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, देहरादून
Updated Fri, 25 Sep 2020 03:33 PM IST
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उत्तराखंड में भी किसानों का कृषि अध्यादेशों का विरोध देखने को मिला। हालांकि यहां बंद का कुछ खास असर नजर नहीं आया। लेकिन विरोध प्रदर्शन का दौर जारी रहा। इसी क्रम में राजधानी देहरादून में किसान यूनियन के सदस्य जुलूस लेकर आईएसबीटी पहुंचे। यहां उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जाम लगा दिया। जिसे पुलिस द्वारा कुछ देर बाद ही हटवाया गया।
किसान नीतियों के विरोध में अखिल भारतीय किसान सभा के सदस्यों ने देहरादून के गांधी पार्क के सामने प्रदर्शन किया। वहीं रुद्रपुर गल्ला मंडी में ऊधमसिंह नगर के किसानों ने सभा आयोजित की। इस दौरान यहां पुलिस फोर्स तैनात रही। चंपावत में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी कृषि विधेयकों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।
हरिद्वार जिले में कृषि बिल के विरोध में विभिन्न किसान संगठनों ने रुड़की और आसपास के क्षेत्रों में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान केंद्र सरकार का पुतला भी फूंका गया। भारतीय किसान यूनियन टिकैत के कार्यकर्ताओं ने गुड़ मंडी के बाहर हाईवे पर धरना प्रदर्शन किया और जिससे जाम लग गया।
किसान नेता केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि बिल को तत्काल वापस करने की मांग कर रहे थे। इस दौरान बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए। उत्तराखंड किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय अध्यक्ष गुलशन और जिला अध्यक्ष महकार सिंह के नेतृत्व में रोडवेज बस स्टैंड के पास रुड़की में प्रदर्शन किया। इसके बाद ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को ज्ञापन दिया गया।
खानपुर में खादर किसान संघर्ष समिति के कार्यकर्ता गुड मंडी के बाहर धरने पर बैठे। उन्होंने भी कृषि विधेयक को किसान विरोधी बताते हुए तत्काल वापस लेने की मांग की।
किसान सभा ने टिहरी जिले में केंद्र सरकार के ओर से पास करवाए गए तीन कृषि सुधार बिलों के विरोध में धरना दिया। उन्होंने बिलों को किसान विरोधी बताते हुए कृषि क्षेत्र को माफियों के हवाले करने का आरोप लगाया।
शुक्रवार को किसान सभा ने बौराड़ी और भिलंगना के बूढ़ाकेदार में कृषि सुधार बिलों के विरोध में धरना देते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कहा कि कोरोना संक्रमण से किसान, मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए है। लेकिन सरकार ने इन वर्गो को राहत देने के वजाए कृषि सुधार के नाम उनका नुकसान पहुंचा रही है।
कहा कि इन तीनों बिलों से कृषि क्षेत्र मुनाफा खोरों के हवाले हो जाएगा। सरकार का इस पर कोई नियंत्रण नहीं रहेगा। बिलों से जमाखोरी बढ़ेगी। जिसका सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को होगा।
किसान आंदोलन को लेकर देहरादून और हरिद्वार में पुलिस को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। आईजी अभिनव कुमार ने हर हरकत पर पैनी नजर रखने को कहा गया है। अराजकता करने पर किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
दरअसल, कृषि अध्यादेशों के विरोध में किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया गया है। उत्तराखंड में भी इसको लेकर सरगर्मी बढ़ गयी है। उतराखंड के भी किसान और तमाम संगठन इसमें जुड़े हैं। इसका असर देहरादून और हरिद्वार में ज्यादा देखने को मिल सकता है। इस मामले में आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार ने बताया कि दोनों जनपदों की पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है।
पुलिस फ़ोर्स को व्यवहार ठीक रखने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, यदि कोई अराजकता करने का प्रयास करेगा तो उसके साथ पुलिस सख्ती से पेश आएगी। बताया जा रहा है कि किसानों का रेल आदि रोकने का भी प्लान है। पुलिस इसको लेकर भी अलर्ट मोड पर है। हालांकि, आईजी का कहना है कि यहां पर बंद की जानकारी नहीं है, बावजूद इसके पुलिस हर मामले से निपटने को तैयार है।
उत्तराखंड में भी किसानों का कृषि अध्यादेशों का विरोध देखने को मिला। हालांकि यहां बंद का कुछ खास असर नजर नहीं आया। लेकिन विरोध प्रदर्शन का दौर जारी रहा। इसी क्रम में राजधानी देहरादून में किसान यूनियन के सदस्य जुलूस लेकर आईएसबीटी पहुंचे। यहां उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जाम लगा दिया। जिसे पुलिस द्वारा कुछ देर बाद ही हटवाया गया।
किसान नीतियों के विरोध में अखिल भारतीय किसान सभा के सदस्यों ने देहरादून के गांधी पार्क के सामने प्रदर्शन किया। वहीं रुद्रपुर गल्ला मंडी में ऊधमसिंह नगर के किसानों ने सभा आयोजित की। इस दौरान यहां पुलिस फोर्स तैनात रही। चंपावत में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी कृषि विधेयकों के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।
हरिद्वार जिले में कृषि बिल के विरोध में विभिन्न किसान संगठनों ने रुड़की और आसपास के क्षेत्रों में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान केंद्र सरकार का पुतला भी फूंका गया। भारतीय किसान यूनियन टिकैत के कार्यकर्ताओं ने गुड़ मंडी के बाहर हाईवे पर धरना प्रदर्शन किया और जिससे जाम लग गया।
किसान नेता केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि बिल को तत्काल वापस करने की मांग कर रहे थे। इस दौरान बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए। उत्तराखंड किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने केंद्रीय अध्यक्ष गुलशन और जिला अध्यक्ष महकार सिंह के नेतृत्व में रोडवेज बस स्टैंड के पास रुड़की में प्रदर्शन किया। इसके बाद ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को ज्ञापन दिया गया।
खानपुर में खादर किसान संघर्ष समिति के कार्यकर्ता गुड मंडी के बाहर धरने पर बैठे। उन्होंने भी कृषि विधेयक को किसान विरोधी बताते हुए तत्काल वापस लेने की मांग की।
टिहरी जिले में तीन कृषि सुधार बिलों के विरोध में धरना
किसान सभा ने टिहरी जिले में केंद्र सरकार के ओर से पास करवाए गए तीन कृषि सुधार बिलों के विरोध में धरना दिया। उन्होंने बिलों को किसान विरोधी बताते हुए कृषि क्षेत्र को माफियों के हवाले करने का आरोप लगाया।
शुक्रवार को किसान सभा ने बौराड़ी और भिलंगना के बूढ़ाकेदार में कृषि सुधार बिलों के विरोध में धरना देते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कहा कि कोरोना संक्रमण से किसान, मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए है। लेकिन सरकार ने इन वर्गो को राहत देने के वजाए कृषि सुधार के नाम उनका नुकसान पहुंचा रही है।
कहा कि इन तीनों बिलों से कृषि क्षेत्र मुनाफा खोरों के हवाले हो जाएगा। सरकार का इस पर कोई नियंत्रण नहीं रहेगा। बिलों से जमाखोरी बढ़ेगी। जिसका सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को होगा।
पुलिस को सतर्क रहने के निर्देश
किसान आंदोलन को लेकर देहरादून और हरिद्वार में पुलिस को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। आईजी अभिनव कुमार ने हर हरकत पर पैनी नजर रखने को कहा गया है। अराजकता करने पर किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
दरअसल, कृषि अध्यादेशों के विरोध में किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया गया है। उत्तराखंड में भी इसको लेकर सरगर्मी बढ़ गयी है। उतराखंड के भी किसान और तमाम संगठन इसमें जुड़े हैं। इसका असर देहरादून और हरिद्वार में ज्यादा देखने को मिल सकता है। इस मामले में आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार ने बताया कि दोनों जनपदों की पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है।
पुलिस फ़ोर्स को व्यवहार ठीक रखने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, यदि कोई अराजकता करने का प्रयास करेगा तो उसके साथ पुलिस सख्ती से पेश आएगी। बताया जा रहा है कि किसानों का रेल आदि रोकने का भी प्लान है। पुलिस इसको लेकर भी अलर्ट मोड पर है। हालांकि, आईजी का कहना है कि यहां पर बंद की जानकारी नहीं है, बावजूद इसके पुलिस हर मामले से निपटने को तैयार है।