न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नैनीताल
Updated Wed, 09 Jan 2019 09:12 PM IST
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हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर नीरज खेरवाल, एसडीएम सितारगंज निर्मला बिष्ट और लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता मदन राम आर्य को कोर्ट के आदेश का गलत प्रयोग करने पर अवमानना का नोटिस जारी किया है।
न्यायमूर्ति शरद कुमार की एकलपीठ ने रुद्रपुर निवासी अधिवक्ता दयानंद की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि अधिकारियों ने पूर्व में दिए गए आदेश का पालन किए बिना ही अतिक्रमण हटाना शुरू किया। दयानंद की ओर से कहा गया था कि हाईकोर्ट में खंडपीठ ने रुद्रपुर में रमपुरा के ग्राम प्रधान मनमोहन सिंह की याचिका पर राज्य में सार्वजनिक स्थानों, गलियों सड़कों में हुए अतिक्रमण को चिह्नित करने के लिए जिला स्तर पर कमेटियां गठित करने का निर्देश सभी जिलाधिकारियों को दिया था।
इन कमेटियों को तीन माह के भीतर पूरे प्रदेश में हुए अतिक्रमण चिह्नित कर रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करनी थी। कोर्ट ने याची से भी कहा था कि वह सभी जिलाधिकारियों को इसमें पक्षकार बनाएं। प्रधान मनमोहन सिंह का कहना था कि रमपुरा में मॉडल कॉलोनी में आवासीय घरों के गेट सड़क की तरफ हैं। भवन स्वामियों ने गेट निकालकर सड़क पर अतिक्रमण किया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 15 फरवरी के बाद की नियत की थी।
दयानंद का कहना था कि प्रशासन ने कोर्ट के आदेश की अनदेखी करते हुए सितारगंज में सड़क के चौड़ीकरण के नाम पर आवासीय व व्यवसायिक दुकानों को तोड़ दिया। विरोध करने पर उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया। अतिक्रमण की रिपोर्ट कोर्ट में पेश ही नहीं की गई और अतिक्रमण के नाम पर कार्रवाई शुरू कर दी गई।
हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर नीरज खेरवाल, एसडीएम सितारगंज निर्मला बिष्ट और लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता मदन राम आर्य को कोर्ट के आदेश का गलत प्रयोग करने पर अवमानना का नोटिस जारी किया है।
न्यायमूर्ति शरद कुमार की एकलपीठ ने रुद्रपुर निवासी अधिवक्ता दयानंद की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि अधिकारियों ने पूर्व में दिए गए आदेश का पालन किए बिना ही अतिक्रमण हटाना शुरू किया। दयानंद की ओर से कहा गया था कि हाईकोर्ट में खंडपीठ ने रुद्रपुर में रमपुरा के ग्राम प्रधान मनमोहन सिंह की याचिका पर राज्य में सार्वजनिक स्थानों, गलियों सड़कों में हुए अतिक्रमण को चिह्नित करने के लिए जिला स्तर पर कमेटियां गठित करने का निर्देश सभी जिलाधिकारियों को दिया था।
इन कमेटियों को तीन माह के भीतर पूरे प्रदेश में हुए अतिक्रमण चिह्नित कर रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करनी थी। कोर्ट ने याची से भी कहा था कि वह सभी जिलाधिकारियों को इसमें पक्षकार बनाएं। प्रधान मनमोहन सिंह का कहना था कि रमपुरा में मॉडल कॉलोनी में आवासीय घरों के गेट सड़क की तरफ हैं। भवन स्वामियों ने गेट निकालकर सड़क पर अतिक्रमण किया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 15 फरवरी के बाद की नियत की थी।
दयानंद का कहना था कि प्रशासन ने कोर्ट के आदेश की अनदेखी करते हुए सितारगंज में सड़क के चौड़ीकरण के नाम पर आवासीय व व्यवसायिक दुकानों को तोड़ दिया। विरोध करने पर उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया। अतिक्रमण की रिपोर्ट कोर्ट में पेश ही नहीं की गई और अतिक्रमण के नाम पर कार्रवाई शुरू कर दी गई।