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पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा अक्तूबर 2012 में अतिक्रमण हटाने संबंधी आदेश का पालन नहीं करने पर नगर निगम आयुक्त को अवमानना का नोटिस जारी किया है।
मामले की अगली सुनवाई एक अगस्त को होगी। इस संबंध में आरटीआई एक्टिविस्ट केएल गेरा ने याचिका दायर की थी।
गेरा का कहना है कि नगर निगम क्षेत्र में काफी बड़े-बडे़ प्लॉट बहुत ही सस्ते दरों पर कई प्रकार की अन्य सरकारी सुविधाओं के साथ फैक्टरी लगाने के उदेश्य से उद्योगपतियों को दिए गए थे। ताकि फरीदाबाद निवासियों को रोजगार मिलने के साथ इस शहर का विकास हो सके।
आरंभ में हुआ भी। कई बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां लगीं और लोगों को रोजगार मिले। लेकिन धीरे-धीरे प्रशासन की सांठ-गांठ से प्लॉट मालिकों ने अपने प्लांटों को कहीं और शिफ्ट कर दिया और प्लॉट भूमाफियाओं को बेच दिया।
उसके बाद सारे कायदे कानूनों को ताक पर रख कर बारात घर, वैंक्वट हॉल, शोरूम, शॉपिंग मॉल बना दिया गया। इन सब पर कार्रवाई के लिए वर्ष 2007 में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। जिसमें दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने 17 अक्तूबर 2012 को संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई करने का आदेश दिया।
गेरा ने बताया कि कई बार अदालत का आदेश होने के बाद भी उक्त मुद्दों पर अमल नहीं किया गया। उल्टे कोर्ट को झूठी रिपोर्ट दे दी गई।
इस पर गेरा ने नगर निगम आयुक्त विकास यादव के खिलाफ याचिका दायर की और याचिका में सेक्टर-7, 8, 9, के लोहे की ग्रिलों की फोटो व बारातघरों की फोटो लगाकर अदालत से आयुक्त के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने का निवेदन किया।
याचिका में लगे तथ्यों व दलीलों को सुनने के बाद 23 मई को हाईकोर्ट ने निगम आयुक्त के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी कर दिया। इस मामले में अगली सुनवाई अब एक अगस्त तय की गई है।
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा अक्तूबर 2012 में अतिक्रमण हटाने संबंधी आदेश का पालन नहीं करने पर नगर निगम आयुक्त को अवमानना का नोटिस जारी किया है।
मामले की अगली सुनवाई एक अगस्त को होगी। इस संबंध में आरटीआई एक्टिविस्ट केएल गेरा ने याचिका दायर की थी।
गेरा का कहना है कि नगर निगम क्षेत्र में काफी बड़े-बडे़ प्लॉट बहुत ही सस्ते दरों पर कई प्रकार की अन्य सरकारी सुविधाओं के साथ फैक्टरी लगाने के उदेश्य से उद्योगपतियों को दिए गए थे। ताकि फरीदाबाद निवासियों को रोजगार मिलने के साथ इस शहर का विकास हो सके।
आरंभ में हुआ भी। कई बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां लगीं और लोगों को रोजगार मिले। लेकिन धीरे-धीरे प्रशासन की सांठ-गांठ से प्लॉट मालिकों ने अपने प्लांटों को कहीं और शिफ्ट कर दिया और प्लॉट भूमाफियाओं को बेच दिया।
उसके बाद सारे कायदे कानूनों को ताक पर रख कर बारात घर, वैंक्वट हॉल, शोरूम, शॉपिंग मॉल बना दिया गया। इन सब पर कार्रवाई के लिए वर्ष 2007 में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। जिसमें दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने 17 अक्तूबर 2012 को संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई करने का आदेश दिया।
गेरा ने बताया कि कई बार अदालत का आदेश होने के बाद भी उक्त मुद्दों पर अमल नहीं किया गया। उल्टे कोर्ट को झूठी रिपोर्ट दे दी गई।
इस पर गेरा ने नगर निगम आयुक्त विकास यादव के खिलाफ याचिका दायर की और याचिका में सेक्टर-7, 8, 9, के लोहे की ग्रिलों की फोटो व बारातघरों की फोटो लगाकर अदालत से आयुक्त के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने का निवेदन किया।
याचिका में लगे तथ्यों व दलीलों को सुनने के बाद 23 मई को हाईकोर्ट ने निगम आयुक्त के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी कर दिया। इस मामले में अगली सुनवाई अब एक अगस्त तय की गई है।