लोकसभा में पास कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन विधेयकों को लेकर पंजाब समेत हरियाणा में भी हंगामा मचा हुआ है। इस बिल के पास होते ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(एनडीए) की सदस्य शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने इस बिल का विरोध करते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है।
सिर्फ अकाली दल ही नहीं अन्य दल भी मोदी सरकार के इस बिल का विरोध कर रहे हैं और आंदोलित किसानों के साथ खड़े दिखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हरसिमरत कौर के इस्तीफे के बाद कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू, रणदीप सुरजेवाला, आप सांसद भगवंत मान आदि ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
सिद्धू ने ट्वीट कर इस बिल के किसान विरोधी होने की बात कही। हिंदी में एक शेर लिखकर उन्होंने ट्वीट किया, 'किसान पंजाब की आत्मा, शरीर के घाव भर जाते हैं पर आत्मा पर वार नासूर बन कर सदा रिसता है, हमारे अस्तित्व हमारी आत्मा पर वार बर्दाश्त नहीं। जंग की तूती बोल रही है - इंकलाब जिंदाबाद। पंजाब, पंजाबियत और हर पंजाबी कंधे से कंधे मिलाकर एकजुट होकर किसान के साथ है।'
शेयर की गई तस्वीर के माध्य से उन्होंने लिखा है,
नाम ही खो दोगे तो किधर जाओगे, पहचान खो दोगे तो बिखर जाओगे। किसान हमारा स्वाभिमान, किसान हमारा अभिमान, किसान हमारी पगड़ी। उन्होंने आगे लिखा,
सरकारें तमाम उम्र यही भूल करती रहीं, धूल उनके चेहरे पर थी, आईना साफ करती रहीं।
हरसिमरत कौर के इस्तीफा देने के बाद से हरियाणा की जननायक जनता पार्टी(जजपा) यानी दुष्यंत चौटाला की पार्टी पर भी दबाव बनने लगा है। विपक्षी पार्टियां कह रही हैं कि दुष्यंत को सिर्फ कुर्सी से प्यार है, किसानों से नहीं। सुरजेवाला ने ट्वीट किया दुष्यंत जी, हरसिमरत के इस्तीफ़े के नाटक को ही दोहरा कर छोटे सीएम के पद से इस्तीफ़ा दे देते। पद प्यारा है, किसान प्यारे क्यों नहीं? कुछ तो राज है, किसान माफ नहीं करेंगे। जजपा सरकार की पिछलग्गु बन किसान की खेती-रोटी छिनने के जुर्म की भागीदार है।
वहीं सुरजेवाला ने हरसिमरत कौर के इस्तीफे को दिखावा बताया। उन्होंने ट्वीट किया, अकाली दल को प्रतीकात्मक दिखावे से आगे बढ़ सच के साथ खड़े होना चाहिए। जब किसान विरोधी अध्यादेश मंत्रीमंडल में पारित हुए तो हरसिमरत जी ने विरोध क्यों नही किया? आप लोकसभा से इस्तीफा क्यों नही देते? अकाली दल मोदी सरकार से समर्थन वापिस क्यों नही लेता? प्रपंच नहीं, किसान पक्ष लें।
कांग्रेस ने कहा- कौर की मजबूरी बनी इस्तीफा देना
कौर के इस्तीफे के बाद पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ का कहना है कि इस्तीफा देना अकाली दल की मजबूरी है। उन्होंने कहा कि यह किसानों के लिए प्यार नहीं है क्योंकि वह चार महीने से लोगों को मूर्ख बना रहे थे अब अंत में खुद को ही हंसी का पात्र बना लिया। जाखड़ का कहना है कि अकाली दल सरकार को किसानों का समर्थन भी नहीं दिला सकी इसलिए भी मोदी जी ने उन्हें डंप करना बेहतर समझा।
भगवंत मान बोले- देर कर दी आते-आते
आप सांसद भगवंत मान ने कहा कि यह हरसिमरत कौर का दिखावा है। अगर उन्हें सच में किसानों की चिंता होती तो वह जब बिल का पहला ड्राफ्ट बना तब क्यों नहीं विरोध किया। तब क्यों नहीं मीडिया में आकर बात की कि किसानों के विरोध में बिल लाया जा रहा है। हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी।
वहीं, किसान-मजदूर संघर्ष समिति के सचिव सरवन सिंह पंढेर हरसिमरत कौर के इस्तीफे को देर से लिया गया फैसला बताते हैं। उन्होंने कहा कि कौर का इस्तीफा काफी देर से आया है। इसका मकसद लोगों के गुस्से को शांत करना है। उन्होंने कहा कि अगर सुखबीर सिंह बादल को आज भी लगता है कि यह गलत है तो उन्हें अपने लाखों कार्यकर्ताओं के साथ संसद का घेराव करना चाहिए।