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हाईकोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का नाम उदाहरण के तौर पर लेते हुए कहा कि छात्र राजनीति से देश को बड़े नेता भी मिल जाते हैं। इसलिए छात्रसंघ चुनाव के दौरान नेताओं पर अत्यधिक सख्ती नहीं होनी चाहिए।
दिल्ली विश्वविद्यालय और अन्य विभागों को छात्रसंघ चुनावों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को गंदा करने वाले नेताओं पर कानूनी कार्रवाई का निर्देश देते हुए हाईकोर्ट ने यह बात कही। कोर्ट ने कहा कि जिस तरह 2017 में सार्वजनिक संपत्ति का रूप बिगाड़ा गया, वैसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की खंडपीठ ने कहा कि छात्रों पर अत्यधिक सख्ती न की जाए और न उनकी प्रत्येक गतिविधि पर प्रतिबंध लगाया जाए। इन नेताओं में से ही कभी-कभी बड़े नेता भी निकलते हैं। अरुण जेटली का उदाहरण हमारे सामने है।
अरुण जेटली छात्र जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े रहे। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) के वे 1974 में अध्यक्ष चुने गए थे।
डूसू चुनाव में सार्वजनिक संपत्ति का रूप बिगाड़ने के खिलाफ अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा की जनहित याचिका का निबटारा करते हुए हाईकोर्ट ने कई निर्देश जारी किए। खंडपीठ ने कहा कि संपत्ति विरूपण रोकने के लिए बनाए गए दिशा-निर्देशों की जानकारी छात्र नेताओं और डूसू को दी जाए।
संपत्ति को गंदा करने वाले छात्रों को पहले चेतावनी दी जाए और इसके बाद भी उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस, दिल्ली विश्वविद्यालय व केंद्र सरकार को 2018 में जारी निर्देशों को ध्यान में रखने की हिदायत दी। कोर्ट ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव में सार्वजनिक संपत्ति गंदी करने के लिए मिलने वाली सजा का व्यापक स्तर पर प्रचार करने को कहा।
हाईकोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का नाम उदाहरण के तौर पर लेते हुए कहा कि छात्र राजनीति से देश को बड़े नेता भी मिल जाते हैं। इसलिए छात्रसंघ चुनाव के दौरान नेताओं पर अत्यधिक सख्ती नहीं होनी चाहिए।
दिल्ली विश्वविद्यालय और अन्य विभागों को छात्रसंघ चुनावों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को गंदा करने वाले नेताओं पर कानूनी कार्रवाई का निर्देश देते हुए हाईकोर्ट ने यह बात कही। कोर्ट ने कहा कि जिस तरह 2017 में सार्वजनिक संपत्ति का रूप बिगाड़ा गया, वैसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की खंडपीठ ने कहा कि छात्रों पर अत्यधिक सख्ती न की जाए और न उनकी प्रत्येक गतिविधि पर प्रतिबंध लगाया जाए। इन नेताओं में से ही कभी-कभी बड़े नेता भी निकलते हैं। अरुण जेटली का उदाहरण हमारे सामने है।
अरुण जेटली छात्र जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े रहे। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) के वे 1974 में अध्यक्ष चुने गए थे।
डूसू चुनाव में सार्वजनिक संपत्ति का रूप बिगाड़ने के खिलाफ अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा की जनहित याचिका का निबटारा करते हुए हाईकोर्ट ने कई निर्देश जारी किए। खंडपीठ ने कहा कि संपत्ति विरूपण रोकने के लिए बनाए गए दिशा-निर्देशों की जानकारी छात्र नेताओं और डूसू को दी जाए।
संपत्ति को गंदा करने वाले छात्रों को पहले चेतावनी दी जाए और इसके बाद भी उल्लंघन करने पर कानूनी कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस, दिल्ली विश्वविद्यालय व केंद्र सरकार को 2018 में जारी निर्देशों को ध्यान में रखने की हिदायत दी। कोर्ट ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव में सार्वजनिक संपत्ति गंदी करने के लिए मिलने वाली सजा का व्यापक स्तर पर प्रचार करने को कहा।