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अगर आपके शरीर पर मौजूद तिल अथवा मस्सों का आकार बदल रहा है, तो लापरवाही भारी पड़ सकती है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें, क्योंकि यह मेलानोमा कैंसर भी हो सकता है। मेलानोमा एक किस्म का स्किन कैंसर होता है। त्वचा के रंग का निर्माण करने वाले मेलेनोसाइट्स में यह रोग होता है।
त्वचा के अन्य कैंसर के मुकाबले यह ज्यादा गंभीर होता है। धीरे-धीरे यह कैंसर शरीर के अन्य अंगो को प्रभावित करने लगता है। यहां तक कि इस रोग के चलते हड्डियों को भी नुकसान पहुंचना शुरू हो जाता है।
क्या हैं कारण
इस रोग का पहला कारण है सूरज की तेज किरणें। ज्यादा देर तक सूरज की रोशनी में रहने पर त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान होता है। इसके अलावा संक्रमण से भी यह रोग फैलता है। अगर घर में किसी एक को हो जाए, तो दूसरे में भी यह रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
लक्षण कहते हैं
तिल और मस्सों से इस रोग की शुरुआत होती है। सबसे पहले इनके आकार में बदलाव होना शुरु हो जाता है। इसके अलावा त्वचा पर अलग-अलग आकार के दाग-धब्बे बनने लगते हैं। जैसे-जैसे ये दाग पुराने होते हैं, उनमें खुजली होने लगती है।
अगर तुरंत इसका इलाज नहीं कराया गया, तो दाग के चारों तरफ काले निशान बनने लगते हैं। खुजलाने पर खून निकलने लगता है। धीरे-धीरे दाग पूरी त्वचा पर फैलने लगते हैं। इनका रंग भी त्वचा के रंग से गहरा या काला होता जाता है। कई बार ये दाग-धब्बे सफेद, गुलाबी, लाल और नीले रंग के भी होते हैं।
इस बीमारी से बचना है, तो ज्यादा देर धूप में न रहें। जरूरत पड़ने पर जाना पड़े, तो सनस्क्रीन लोशन लगाकर और शरीर को ठीक से ढंककर ही निकलें। बीमारी होने की आशंका होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। शुरुआत में ही अगर इलाज कराया जाए, तो छोटी सी सर्जरी करके इन दाग-धब्बों ठीक कर दिया जाता है।
मेलानोमा एक तरह का कैंसर ही होता है। जो लोग ज्यादा सन-बाथ लेते हैं या धूप में रहते हैं, उनमें ये बीमारी ज्यादा होती है। गोरे लोग इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं। तिल और मस्सों से इसकी शुरुआत होती है। इनका साइज बदलना शुरु हो जाता है।
अगर कोई भी कैंसर एक ही जगह है, तो उसे सर्जरी के जरिये निकाल देते हैं, लेकिन अगर वह शरीर में फैल गया है, तो कीमो-थेरेपी या रेडियो-थेरेपी से उपचार करते हैं।
सार
- ऐसा नहीं है कि ये तिल का आकार बदलना आम बात है।
- गंभीर बीमारी के कारण भी ऐसा हो सकता है।
विस्तार
अगर आपके शरीर पर मौजूद तिल अथवा मस्सों का आकार बदल रहा है, तो लापरवाही भारी पड़ सकती है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें, क्योंकि यह मेलानोमा कैंसर भी हो सकता है। मेलानोमा एक किस्म का स्किन कैंसर होता है। त्वचा के रंग का निर्माण करने वाले मेलेनोसाइट्स में यह रोग होता है।
त्वचा के अन्य कैंसर के मुकाबले यह ज्यादा गंभीर होता है। धीरे-धीरे यह कैंसर शरीर के अन्य अंगो को प्रभावित करने लगता है। यहां तक कि इस रोग के चलते हड्डियों को भी नुकसान पहुंचना शुरू हो जाता है।
लक्षण और कारण क्या हैं इसके
क्या हैं कारण
इस रोग का पहला कारण है सूरज की तेज किरणें। ज्यादा देर तक सूरज की रोशनी में रहने पर त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान होता है। इसके अलावा संक्रमण से भी यह रोग फैलता है। अगर घर में किसी एक को हो जाए, तो दूसरे में भी यह रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
लक्षण कहते हैं
तिल और मस्सों से इस रोग की शुरुआत होती है। सबसे पहले इनके आकार में बदलाव होना शुरु हो जाता है। इसके अलावा त्वचा पर अलग-अलग आकार के दाग-धब्बे बनने लगते हैं। जैसे-जैसे ये दाग पुराने होते हैं, उनमें खुजली होने लगती है।
अगर तुरंत इसका इलाज नहीं कराया गया, तो दाग के चारों तरफ काले निशान बनने लगते हैं। खुजलाने पर खून निकलने लगता है। धीरे-धीरे दाग पूरी त्वचा पर फैलने लगते हैं। इनका रंग भी त्वचा के रंग से गहरा या काला होता जाता है। कई बार ये दाग-धब्बे सफेद, गुलाबी, लाल और नीले रंग के भी होते हैं।
मेलानोमा का क्या है उपचार
इस बीमारी से बचना है, तो ज्यादा देर धूप में न रहें। जरूरत पड़ने पर जाना पड़े, तो सनस्क्रीन लोशन लगाकर और शरीर को ठीक से ढंककर ही निकलें। बीमारी होने की आशंका होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। शुरुआत में ही अगर इलाज कराया जाए, तो छोटी सी सर्जरी करके इन दाग-धब्बों ठीक कर दिया जाता है।
मेलानोमा एक तरह का कैंसर ही होता है। जो लोग ज्यादा सन-बाथ लेते हैं या धूप में रहते हैं, उनमें ये बीमारी ज्यादा होती है। गोरे लोग इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं। तिल और मस्सों से इसकी शुरुआत होती है। इनका साइज बदलना शुरु हो जाता है।
अगर कोई भी कैंसर एक ही जगह है, तो उसे सर्जरी के जरिये निकाल देते हैं, लेकिन अगर वह शरीर में फैल गया है, तो कीमो-थेरेपी या रेडियो-थेरेपी से उपचार करते हैं।