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पंचकूला। राज्य चुनाव आयोग ने निकाय चुनाव की तैयारियां पूरी कर ली हैं। मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 27 नवंबर को होगा। इसके बाद चुनाव तिथि की घोषणा होगी, लेकिन चुनाव पंचकूला नगर निगम के मेयर और पार्षदों का ही होगा। कालका नगर परिषद के अध्यक्ष सहित पार्षदों का चुनाव इसके बाद होगा। इस बार कालका नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव भी सीधे लोगों द्वारा किया जाएगा। पंचकूला चुनाव में मेयर पद के प्रत्याशी 22 लाख और पार्षद प्रत्याशी साढ़े पांच लाख रुपये खर्च कर सकेंगे। निकाय चुनाव में सीधे मेयर के अलावा 20 पार्षद चुने जाएंगे।
भाजपा-कांग्रेस में होगा मुकाबला
विधानसभा के बाद निकाय चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला होगा। हालांकि दोनों पार्टियों को अभी दमदार चेहरों की तलाश है। पंचकूला में बनिया समुदाय के लोग सर्वाधिक हैं, और इसके बाद पंजाबी समुदाय का वोट बैंक मजबूत है। ब्राह्मण तीसरा सबसे बड़ा समुदाय है। घग्गर नदी से इधर के सेक्टरों में ज्यादातर घर इसी बिरादरी के हैं। शहर के अधिकतर व्यापार और उद्योग धंधा अग्रवाल बिरादरी के हाथों में है। अग्रवाल बिरादरी के ही ज्ञानचंद गुप्ता को भाजपा ने लगातार दो बार टिकट देकर ना केवल विधायक बनाया, बल्कि उन्हें विधानसभा स्पीकर बनाकर अग्रवाल बिरादरी को पूरा मान सम्मान दिया। कांग्रेस के पास बड़े पंजाबी चेहरे हैं, लेकिन बनिया चेहरा नहीं है।
कांग्रेस में टिकट के लिए खींचतान शुरू
कांग्रेस की टिकट के लिए वर्तमान में तीन लोगों में खींचतान चल रही हैं। पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष राविंद्र रावल, पूर्व मेयर उपिंद्र कौर आहलुवालिया और कांग्रेस की प्रवक्ता रंजीता मेहता टिकट की दौड़ में हैं। टिकट किसे मिलता है, यह समय के गर्भ में है। बनिया समुदाय से कांग्रेस की टिकट के लिए तरसेम गर्ग, भावना गुप्ता का नाम भी चर्चाओं में है। इसी तरह ब्राह्मण समुदाय से हरियाणा महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुधा भारद्वाज भी टिकट के लिए जोर लगा रहीं हैं।
भाजपा के पास दो समुदाय के बड़े चेहरे
भाजपा के पास बनिया और पंजाबी दोनों ही समुदाय के चेहरे हैं। यदि कांग्रेस किसी पंजाबी प्रत्याशी को मैदान में उतारती है तो भाजपा को सोचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, क्योंकि पंजाबी समुदाय से शिरडी साईं सेवा समाज के प्रबंधक अनिल थापर ने भी मेयर पद के लिए चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। ऐसे में पंजाबी समुदाय का वोट दो हिस्सों में बंट सकता है। बनिया समुदाय जोकि पहले भी भाजपा के प्रति झुकाव रखता है, वह भाजपा के प्रति वोट डालने के सोच सकता है। बनिया समुदाय से भाजपा के पास बड़ा चेहरा प्रसिद्ध समाजसेवी कुलभूषण गोयल हैं, जोकि विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े हैं और पहचान के मोहताज नहीं हैं।
टिकट की दौड़ में ये लोग भी शामिल
पूर्व नगर परिषद उपप्रधान बीबी सिंगल, तीन बार पार्षद रहे सीबी गोयल और वरिष्ठ नेता शाम लाल बंसल भी मेयर पद के लिए टिकट की ख्वाहिश रखते हैं। पंजाबी समुदाय से विशाल सेठ भाजपा अध्यक्ष थे, वह भी टिकट के लिए जोर लगा रहे हैं। वहीं, पूर्व डिप्टी मेयर सुनील तलवार, पूर्व पार्षद वीके सूद, उमेश सूद खत्री बिरादरी के लोग पदाधिकारी रहे हैं। यदि मौजूदा हालातों और जातीय समीकरणों को देखकर अग्रवाल बिरादरी पर दोबारा दांव खेल दिया जाए तो कोई हैरानी नहीं होगी। अभी जजपा का रुख भी साफ होना बाकी है। यदि गठबंधन धर्म को जजपा ने निभाया तो उसे 3 से 4 पार्षद उम्मीदवार की टिकट मिल सकते हैं। हालांकि जजपा के जिला शहरी प्रधान ओपी सिहाग टिकट के लिए दौड़ भाग कर रहे हैं।
पंचकूला। राज्य चुनाव आयोग ने निकाय चुनाव की तैयारियां पूरी कर ली हैं। मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 27 नवंबर को होगा। इसके बाद चुनाव तिथि की घोषणा होगी, लेकिन चुनाव पंचकूला नगर निगम के मेयर और पार्षदों का ही होगा। कालका नगर परिषद के अध्यक्ष सहित पार्षदों का चुनाव इसके बाद होगा। इस बार कालका नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव भी सीधे लोगों द्वारा किया जाएगा। पंचकूला चुनाव में मेयर पद के प्रत्याशी 22 लाख और पार्षद प्रत्याशी साढ़े पांच लाख रुपये खर्च कर सकेंगे। निकाय चुनाव में सीधे मेयर के अलावा 20 पार्षद चुने जाएंगे।
भाजपा-कांग्रेस में होगा मुकाबला
विधानसभा के बाद निकाय चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला होगा। हालांकि दोनों पार्टियों को अभी दमदार चेहरों की तलाश है। पंचकूला में बनिया समुदाय के लोग सर्वाधिक हैं, और इसके बाद पंजाबी समुदाय का वोट बैंक मजबूत है। ब्राह्मण तीसरा सबसे बड़ा समुदाय है। घग्गर नदी से इधर के सेक्टरों में ज्यादातर घर इसी बिरादरी के हैं। शहर के अधिकतर व्यापार और उद्योग धंधा अग्रवाल बिरादरी के हाथों में है। अग्रवाल बिरादरी के ही ज्ञानचंद गुप्ता को भाजपा ने लगातार दो बार टिकट देकर ना केवल विधायक बनाया, बल्कि उन्हें विधानसभा स्पीकर बनाकर अग्रवाल बिरादरी को पूरा मान सम्मान दिया। कांग्रेस के पास बड़े पंजाबी चेहरे हैं, लेकिन बनिया चेहरा नहीं है।
कांग्रेस में टिकट के लिए खींचतान शुरू
कांग्रेस की टिकट के लिए वर्तमान में तीन लोगों में खींचतान चल रही हैं। पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष राविंद्र रावल, पूर्व मेयर उपिंद्र कौर आहलुवालिया और कांग्रेस की प्रवक्ता रंजीता मेहता टिकट की दौड़ में हैं। टिकट किसे मिलता है, यह समय के गर्भ में है। बनिया समुदाय से कांग्रेस की टिकट के लिए तरसेम गर्ग, भावना गुप्ता का नाम भी चर्चाओं में है। इसी तरह ब्राह्मण समुदाय से हरियाणा महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुधा भारद्वाज भी टिकट के लिए जोर लगा रहीं हैं।
भाजपा के पास दो समुदाय के बड़े चेहरे
भाजपा के पास बनिया और पंजाबी दोनों ही समुदाय के चेहरे हैं। यदि कांग्रेस किसी पंजाबी प्रत्याशी को मैदान में उतारती है तो भाजपा को सोचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, क्योंकि पंजाबी समुदाय से शिरडी साईं सेवा समाज के प्रबंधक अनिल थापर ने भी मेयर पद के लिए चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है। ऐसे में पंजाबी समुदाय का वोट दो हिस्सों में बंट सकता है। बनिया समुदाय जोकि पहले भी भाजपा के प्रति झुकाव रखता है, वह भाजपा के प्रति वोट डालने के सोच सकता है। बनिया समुदाय से भाजपा के पास बड़ा चेहरा प्रसिद्ध समाजसेवी कुलभूषण गोयल हैं, जोकि विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े हैं और पहचान के मोहताज नहीं हैं।
टिकट की दौड़ में ये लोग भी शामिल
पूर्व नगर परिषद उपप्रधान बीबी सिंगल, तीन बार पार्षद रहे सीबी गोयल और वरिष्ठ नेता शाम लाल बंसल भी मेयर पद के लिए टिकट की ख्वाहिश रखते हैं। पंजाबी समुदाय से विशाल सेठ भाजपा अध्यक्ष थे, वह भी टिकट के लिए जोर लगा रहे हैं। वहीं, पूर्व डिप्टी मेयर सुनील तलवार, पूर्व पार्षद वीके सूद, उमेश सूद खत्री बिरादरी के लोग पदाधिकारी रहे हैं। यदि मौजूदा हालातों और जातीय समीकरणों को देखकर अग्रवाल बिरादरी पर दोबारा दांव खेल दिया जाए तो कोई हैरानी नहीं होगी। अभी जजपा का रुख भी साफ होना बाकी है। यदि गठबंधन धर्म को जजपा ने निभाया तो उसे 3 से 4 पार्षद उम्मीदवार की टिकट मिल सकते हैं। हालांकि जजपा के जिला शहरी प्रधान ओपी सिहाग टिकट के लिए दौड़ भाग कर रहे हैं।