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भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन को आज एक साल पूरे हो गए। इस मौके पर पीएम मोदी समेत कई नेताओं ने उन्हें याद किया। उधर, उनकी याद में एक वर्चुअल इवेंट का भी आयोजन किया गया। सुष्मांजलि नाम के इस कार्यक्रम में कई बड़ी हस्तियां शामिल हुईं और अपनी बातों को रखा।
इस कार्यक्रम का आयोजन संयुक्त रूप से नेशन फर्स्ट कलेक्टिव, संस्कार भारती पूर्वोत्तर एवं संस्कृति गंगा न्यास द्वारा किया गया। इसका संचालन लेखक, प्रस्तुतकर्ता वॉइस ओवर कलाकार हरीश भिमानी ने किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की। कार्यक्रम में सुषमा स्वराज की सुपुत्री बांसुरी स्वराज की विशेष उपस्थिति रही।
इसके अलावा कार्यक्रम में भारत के प्रमुख लेखक, कलाकार और फिल्म निर्माताओं ने भी शिरकत की जिनमें अभिनेता मोहनलाल, प्रख्यात कवि प्रसून जोशी, निर्माता-निर्देशक सुभाष घई, गायक अनूप जलोटा, निर्माता-निर्देशक मधुर भंडारकर, गायिका कविता कृष्णामूर्ति, अभिनेत्री कंगना राणावत, अमीषा पटेल, ईशा गुप्ता, गीतकार समीर अनजान, लेखक कमलेश पांडे, प्रियदर्शन, कुलदीप सिंह, फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा, गजेन्द्र चौहान और मुकेश खन्ना समेत फिल्म इंडस्ट्री से अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। चर्चित निर्देशक प्रियदर्शन इस कार्यक्रम के आयोजन समिति के अध्यक्ष थे।
इस वर्चुअल इवेंट में सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा मुझे विश्वास नहीं होता की सुषमा जी अब हमारे बीच नहीं हैं। सुषमा जी हमारी 40 साल की सहयोगी थीं, वे एक बहुत ही जिंदादिल शख्सियत थीं। वे एक प्रखर वक्ता थीं और उनका भाषण सुनने के लिए लोकसभा, राज्यसभा और पार्टी मीटिंग में सब बहुत आतुर रहते थे। सबको प्यार बांटने वाली, सबसे प्यार से बात करने वाली और अपनी राय बेबाकी से बताने वाली थीं। मेरे लिए वे आज भी एक मार्गदर्शक हैं और आगे भी रहेंगी।
प्रसून जोशी ने सुषमा स्वराज को सुनाई गयी आखिरी कविता 'उखड़े उखड़े क्यों हो वृक्ष सुख जाओगे' भी सुनाई। पद्मश्री, भजन सम्राट अनूप जलोटा ने कार्यक्रम की शुरुआत सुषमा जी के पसंदीदा गीत 'इतनी शक्ति हमें देना दाता' से की और कहा कि मेरी कई बार सुषमा जी से भेंट हुई और हर बार उनसे मिलकर मैं प्रभावित होता था। वे एक बहुत ही स्पष्ट वक्ता थीं और हम कलाकारों के लिए भी उनके ह्रदय में विशेष स्थान था।
इस मौके पर सुषमा स्वराज की पुत्री बांसुरी स्वराज ने उन्हें याद करते हुए उनके बारे में कई बातें बताईं। उन्होंने बताया कि मां कृष्ण की उपासक थीं, उनका मानना था कि कृष्ण जी ने जो भी कार्य किए उसमे खुद को समर्पित कर दिया। उन्होंने अपने जीवन में इसी उपदेश का अनुसरण किया। उन्होंने जो भी महकमा संभाला उसमे जनकल्याण के लिए बड़े से बड़े फैसले लिए। इसके अलावा मां को फिल्म देखना और गाने गाना बेहद पसंद था।
पद्मश्री, फिल्म निर्देशक, मधुर भंडारकर ने कहा मुझे सुषमा स्वराज जी से कई बार मिलने और बात करने का मौका मिला। वर्ष 2003 में मेरी फिल्म ‘आन: मेन एट वर्क’ के मुहूर्त पर वे खासतौर पर दिल्ली से मुंबई आई थीं। सुषमा जब भी मिलती थी तो हमेशा मुझे मेरी फिल्मों के लिए प्रोत्साहित करती थी, मेरी फिल्म देखकर मुझे फोन करके अपनी राय देती थीं।
संगीत निर्देशक कुलदीप सिंह ने 18 अप्रैल 2011 को सुषमा स्वराज द्वारा उनको लिखा गया पत्र पढ़ कर सुनाया। उस पत्र में सुषमा जी ने मुझे आश्वासन दिया था कि 'कॉपीराइट बेंच' जब भी संसद में प्रस्तुत किया जाएगा उस समय हमारी पार्टी बिल को पूरा समर्थन देकर पारित करवाएगी और आप जैसे कलाकारों को न्याय दिलाने की कोशिश में अहम भूमिका निभाएगी। सुषमा जी का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि बिल तो पारित हो गया परन्तु आज अगर वो हमारे बीच में होती तो हमारे ऊपर आज जो अन्याय हो रहे हैं, उसके मुकाबले स्थिति और बेहतर होती।
पद्मश्री, गीतकार प्रसून जोशी जी ने कहा कि कॉपीराइट संशोधन बिल में सुषमा जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। सुषमा स्वराज जी के मन में 'जीवन के प्रति काव्य दृष्टि थी', वे कविताओं की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं और मेरी लिखी हुई कविताएँ उन्हें काफी पसंद आती थी। उनकी सोच को हमेशा याद रखेंगे।
पद्मश्री, अभिनेत्री कंगना रणावत ने सुषमा स्वराज को याद करते हुए कहा कि सुषमा ने अपने जीवन में कई बहादुरी भरे काम किए। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को अंडरवर्ल्ड के हाथों से बचाया और एक पहचान दी, वे मेरे लिए प्रेरणा स्वरुप हैं। उनकी पूरी ज़िन्दगी महिला सशक्तिकरण की मिसाल है जिसे हमारी आने वाली पीढ़ियां कभी भुला नहीं सकती।
इनके अलावा उत्कृष्ट गायिका कविता कृष्णामूर्ति ने सुषमा स्वराज को 'तू मेरा कर्मा, तू मेरा धर्मा' गीत समर्पित किया और कार्यक्रम का समापन किया।
भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन को आज एक साल पूरे हो गए। इस मौके पर पीएम मोदी समेत कई नेताओं ने उन्हें याद किया। उधर, उनकी याद में एक वर्चुअल इवेंट का भी आयोजन किया गया। सुष्मांजलि नाम के इस कार्यक्रम में कई बड़ी हस्तियां शामिल हुईं और अपनी बातों को रखा।
इस कार्यक्रम का आयोजन संयुक्त रूप से नेशन फर्स्ट कलेक्टिव, संस्कार भारती पूर्वोत्तर एवं संस्कृति गंगा न्यास द्वारा किया गया। इसका संचालन लेखक, प्रस्तुतकर्ता वॉइस ओवर कलाकार हरीश भिमानी ने किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की। कार्यक्रम में सुषमा स्वराज की सुपुत्री बांसुरी स्वराज की विशेष उपस्थिति रही।
इसके अलावा कार्यक्रम में भारत के प्रमुख लेखक, कलाकार और फिल्म निर्माताओं ने भी शिरकत की जिनमें अभिनेता मोहनलाल, प्रख्यात कवि प्रसून जोशी, निर्माता-निर्देशक सुभाष घई, गायक अनूप जलोटा, निर्माता-निर्देशक मधुर भंडारकर, गायिका कविता कृष्णामूर्ति, अभिनेत्री कंगना राणावत, अमीषा पटेल, ईशा गुप्ता, गीतकार समीर अनजान, लेखक कमलेश पांडे, प्रियदर्शन, कुलदीप सिंह, फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा, गजेन्द्र चौहान और मुकेश खन्ना समेत फिल्म इंडस्ट्री से अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया। चर्चित निर्देशक प्रियदर्शन इस कार्यक्रम के आयोजन समिति के अध्यक्ष थे।
इस वर्चुअल इवेंट में सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा मुझे विश्वास नहीं होता की सुषमा जी अब हमारे बीच नहीं हैं। सुषमा जी हमारी 40 साल की सहयोगी थीं, वे एक बहुत ही जिंदादिल शख्सियत थीं। वे एक प्रखर वक्ता थीं और उनका भाषण सुनने के लिए लोकसभा, राज्यसभा और पार्टी मीटिंग में सब बहुत आतुर रहते थे। सबको प्यार बांटने वाली, सबसे प्यार से बात करने वाली और अपनी राय बेबाकी से बताने वाली थीं। मेरे लिए वे आज भी एक मार्गदर्शक हैं और आगे भी रहेंगी।
फिल्म जगत ने किया याद
प्रसून जोशी ने सुषमा स्वराज को सुनाई गयी आखिरी कविता 'उखड़े उखड़े क्यों हो वृक्ष सुख जाओगे' भी सुनाई। पद्मश्री, भजन सम्राट अनूप जलोटा ने कार्यक्रम की शुरुआत सुषमा जी के पसंदीदा गीत 'इतनी शक्ति हमें देना दाता' से की और कहा कि मेरी कई बार सुषमा जी से भेंट हुई और हर बार उनसे मिलकर मैं प्रभावित होता था। वे एक बहुत ही स्पष्ट वक्ता थीं और हम कलाकारों के लिए भी उनके ह्रदय में विशेष स्थान था।
इस मौके पर सुषमा स्वराज की पुत्री बांसुरी स्वराज ने उन्हें याद करते हुए उनके बारे में कई बातें बताईं। उन्होंने बताया कि मां कृष्ण की उपासक थीं, उनका मानना था कि कृष्ण जी ने जो भी कार्य किए उसमे खुद को समर्पित कर दिया। उन्होंने अपने जीवन में इसी उपदेश का अनुसरण किया। उन्होंने जो भी महकमा संभाला उसमे जनकल्याण के लिए बड़े से बड़े फैसले लिए। इसके अलावा मां को फिल्म देखना और गाने गाना बेहद पसंद था।
पद्मश्री, फिल्म निर्देशक, मधुर भंडारकर ने कहा मुझे सुषमा स्वराज जी से कई बार मिलने और बात करने का मौका मिला। वर्ष 2003 में मेरी फिल्म ‘आन: मेन एट वर्क’ के मुहूर्त पर वे खासतौर पर दिल्ली से मुंबई आई थीं। सुषमा जब भी मिलती थी तो हमेशा मुझे मेरी फिल्मों के लिए प्रोत्साहित करती थी, मेरी फिल्म देखकर मुझे फोन करके अपनी राय देती थीं।
संगीत निर्देशक कुलदीप सिंह ने 18 अप्रैल 2011 को सुषमा स्वराज द्वारा उनको लिखा गया पत्र पढ़ कर सुनाया। उस पत्र में सुषमा जी ने मुझे आश्वासन दिया था कि 'कॉपीराइट बेंच' जब भी संसद में प्रस्तुत किया जाएगा उस समय हमारी पार्टी बिल को पूरा समर्थन देकर पारित करवाएगी और आप जैसे कलाकारों को न्याय दिलाने की कोशिश में अहम भूमिका निभाएगी। सुषमा जी का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि बिल तो पारित हो गया परन्तु आज अगर वो हमारे बीच में होती तो हमारे ऊपर आज जो अन्याय हो रहे हैं, उसके मुकाबले स्थिति और बेहतर होती।
पद्मश्री, गीतकार प्रसून जोशी जी ने कहा कि कॉपीराइट संशोधन बिल में सुषमा जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। सुषमा स्वराज जी के मन में 'जीवन के प्रति काव्य दृष्टि थी', वे कविताओं की बहुत बड़ी प्रशंसक थीं और मेरी लिखी हुई कविताएँ उन्हें काफी पसंद आती थी। उनकी सोच को हमेशा याद रखेंगे।
पद्मश्री, अभिनेत्री कंगना रणावत ने सुषमा स्वराज को याद करते हुए कहा कि सुषमा ने अपने जीवन में कई बहादुरी भरे काम किए। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को अंडरवर्ल्ड के हाथों से बचाया और एक पहचान दी, वे मेरे लिए प्रेरणा स्वरुप हैं। उनकी पूरी ज़िन्दगी महिला सशक्तिकरण की मिसाल है जिसे हमारी आने वाली पीढ़ियां कभी भुला नहीं सकती।
इनके अलावा उत्कृष्ट गायिका कविता कृष्णामूर्ति ने सुषमा स्वराज को 'तू मेरा कर्मा, तू मेरा धर्मा' गीत समर्पित किया और कार्यक्रम का समापन किया।