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लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनातनी खत्म करने के लिए कोर कमांडर स्तर की सातवें और आठवें दौर बातचीत जल्द ही होगी। सोमवार को दोनों कोर कमांडर के बीच 14 घंटे की छठे दौर की बातचीत में तमाम विरोधाभास और दोनों पक्षों के अपने-अपने मुद्दे पर अड़े रहने के बावजूद पीछे हटने पर सकारात्मक रवैया बना। संकेत है कि छोटे अंतराल में दो दौर की सैन्य और उसी श्रृंखला में कूटनीतिक स्तर की बातचीत के बाद पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
सेना सूत्रों के मुताबिक, लंबे गतिरोध के बाद शुरू हुई सैन्य स्तर की बातचीत काफी जटिल रही। दोनों तरफ से सैन्य और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने शिरकत की और कई बिंदुओं पर बातचीत नहीं हो सकी। पहले यह बातचीत मंगलवार को ही जारी रखनी थी। हालांकि, इस बात पर सहमति बनी कि दोनों पक्षों की तरफ से अब तक उठाए गए मुद्दे पर राजनीतिक मंथन के बाद दो से तीन दिन के भीतर ही अगली मुलाकात होगी। अगली बातचीत एलएसी के भारतीय हिस्से में होने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि दो या तीन मुलाकात के बाद पीछे हटने की प्रक्रिया का ब्लू प्रिंट तैयार हो जाने की पूरी संभावना है।
पांच सूत्री कार्यक्रम के तहत हालात सामान्य करने पर गंभीर हैं दोनों देश
सूत्रों ने बताया कि बातचीत में चीन पैंगोंग झील केदक्षिणी इलाके से भारतीय सेना को पहले हटाने पर अड़ा है। वहीं, भारत ने पैंगोंग के फिंगर इलाके, गोगरा, डेपसांग और हॉट स्प्रिंग समेत सभी तनातनी वाले इलाके से चीनी सेना को पहले हटने की शर्त रखी है। इस जटिलता के बावजूद दोनों पक्ष 10 सितंबर को मास्को में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुई वार्ता में तय पांच सूत्री कार्यक्रम के तहत जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने पर गंभीर है। सूत्रों ने बताया कि चीन की पिछली हरकतों के मद्देनजर उसके संभावित पैंतरों के प्रति भारतीय सुरक्षा तंत्र पूरी तरह सजग है। बातचीत की आड़ में चीन को किसी तरह की नई चाल चलने का मौका नहीं दिया जाएगा।
सार
-कम समय अंतराल में सैन्य और कूटनीतिक की बातचीत के बाद पीछे हटने की प्रक्रिया का ब्लूप्रिंट होगा तैयार
-14 घंटे तक चली छठे दौर की बातचीत जटिल, मगर सकारात्मक कदम बढ़ाने पर सहमति
विस्तार
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनातनी खत्म करने के लिए कोर कमांडर स्तर की सातवें और आठवें दौर बातचीत जल्द ही होगी। सोमवार को दोनों कोर कमांडर के बीच 14 घंटे की छठे दौर की बातचीत में तमाम विरोधाभास और दोनों पक्षों के अपने-अपने मुद्दे पर अड़े रहने के बावजूद पीछे हटने पर सकारात्मक रवैया बना। संकेत है कि छोटे अंतराल में दो दौर की सैन्य और उसी श्रृंखला में कूटनीतिक स्तर की बातचीत के बाद पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
सेना सूत्रों के मुताबिक, लंबे गतिरोध के बाद शुरू हुई सैन्य स्तर की बातचीत काफी जटिल रही। दोनों तरफ से सैन्य और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने शिरकत की और कई बिंदुओं पर बातचीत नहीं हो सकी। पहले यह बातचीत मंगलवार को ही जारी रखनी थी। हालांकि, इस बात पर सहमति बनी कि दोनों पक्षों की तरफ से अब तक उठाए गए मुद्दे पर राजनीतिक मंथन के बाद दो से तीन दिन के भीतर ही अगली मुलाकात होगी। अगली बातचीत एलएसी के भारतीय हिस्से में होने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि दो या तीन मुलाकात के बाद पीछे हटने की प्रक्रिया का ब्लू प्रिंट तैयार हो जाने की पूरी संभावना है।
पांच सूत्री कार्यक्रम के तहत हालात सामान्य करने पर गंभीर हैं दोनों देश
सूत्रों ने बताया कि बातचीत में चीन पैंगोंग झील केदक्षिणी इलाके से भारतीय सेना को पहले हटाने पर अड़ा है। वहीं, भारत ने पैंगोंग के फिंगर इलाके, गोगरा, डेपसांग और हॉट स्प्रिंग समेत सभी तनातनी वाले इलाके से चीनी सेना को पहले हटने की शर्त रखी है। इस जटिलता के बावजूद दोनों पक्ष 10 सितंबर को मास्को में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुई वार्ता में तय पांच सूत्री कार्यक्रम के तहत जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने पर गंभीर है। सूत्रों ने बताया कि चीन की पिछली हरकतों के मद्देनजर उसके संभावित पैंतरों के प्रति भारतीय सुरक्षा तंत्र पूरी तरह सजग है। बातचीत की आड़ में चीन को किसी तरह की नई चाल चलने का मौका नहीं दिया जाएगा।