न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 03 Sep 2020 05:44 AM IST
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पूर्वी लद्दाख में चीन की उकसाने वाली कार्रवाई को नाकाम करने के कुछ दिनों बाद भारत ने पैंगोंग सो इलाके के दक्षिणी तट पर कम से कम तीन महत्वपूर्ण पर्वत चोटियों पर अपनी उपस्थिति और मजबूत की है। सरकारी सूत्रों ने बुधवार को इसके बारे में जानकारी दी।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय सीमा के अंदर पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर भी एहतियाती उपायों के तहत सैनिकों की तैनाती में कुछ बदलाव किए गए हैं। इलाके में तनाव बनी हुई है। सूत्रों ने यह भी बताया कि तनाव घटाने के लिए दोनों पक्षों के सेना कमांडरों की बुधवार को हुई एक और दौर की वार्ता असफल रही। यह बातचीत करीब सात घंटे चली।
सूत्रों ने यह भी बताया कि सोमवार और मंगलवार को छह घंटे से अधिक समय तक इसी तरह की वार्ता हुई, लेकिन कोई ‘‘ठोस नतीजा’’ नहीं निकल सका। उन्होंने बताया कि भारत ने पूर्वी लद्दाख में कई पर्वत चोटियों और स्थानों पर उपस्थिति बढ़ा कर पिछले कुछ दिनों में रणनीतिक बढ़त हासिल की है।
क्षेत्र में यथा स्थिति में बदलाव करने की चीन की नाकाम कोशिशों के मद्देनजर सैनिकों की तैनाती बढ़ाई गई है। सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर आपस में टकराव हुआ था, लेकिन इस तरह की घटना इसके दक्षिणी तट पर पहली बार हुई।
सैन्य वार्ता में चीनी पक्ष ने क्षेत्र में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण कुछ पर्वत चोटियों पर भारत के अपने नियंत्रण में करने पर आपत्ति जताई। लेकिन भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने इस बात का जिक्र किया कि ये स्थान एलएसी के भारतीय सीमा के अंदर हैं।
उनहोंने कहा कि भारत वार्ता के जरिए सीमा विवाद का हल चाहता है लेकिन साथ ही वह एलएसी पर चीन के किसी भी दुस्साहस से निपटेगा। चीनी कोशिशों के मद्देनजर भारतीय थल सेना ने 3,400 किमी लंबे एलएसी पर अपने सभी अग्रिम सैन्य ठिकानों को चौबीसों घंटे सतर्क रहने के लिये अलर्ट कर दिया है।
गलवान घाटी झड़प के बाद भारत ने अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम सहित सभी सीमावर्ती इलाकों में अतिरिक्त सैनिक एवं हथियार प्रणाली भेजी हैं। सोमवार को भारतीय थल सेना ने कहा कि चीनी सेना ने 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात पैंगोंग झील के दक्षिण तट पर यथा स्थिति में एकतरफा तरीके से बदलाव करने के लिये ‘‘उकसाने वाली सैन्य गतिविधियां’’ की।
पूर्वी लद्दाख में चीन की उकसाने वाली कार्रवाई को नाकाम करने के कुछ दिनों बाद भारत ने पैंगोंग सो इलाके के दक्षिणी तट पर कम से कम तीन महत्वपूर्ण पर्वत चोटियों पर अपनी उपस्थिति और मजबूत की है। सरकारी सूत्रों ने बुधवार को इसके बारे में जानकारी दी।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय सीमा के अंदर पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर भी एहतियाती उपायों के तहत सैनिकों की तैनाती में कुछ बदलाव किए गए हैं। इलाके में तनाव बनी हुई है। सूत्रों ने यह भी बताया कि तनाव घटाने के लिए दोनों पक्षों के सेना कमांडरों की बुधवार को हुई एक और दौर की वार्ता असफल रही। यह बातचीत करीब सात घंटे चली।
सूत्रों ने यह भी बताया कि सोमवार और मंगलवार को छह घंटे से अधिक समय तक इसी तरह की वार्ता हुई, लेकिन कोई ‘‘ठोस नतीजा’’ नहीं निकल सका। उन्होंने बताया कि भारत ने पूर्वी लद्दाख में कई पर्वत चोटियों और स्थानों पर उपस्थिति बढ़ा कर पिछले कुछ दिनों में रणनीतिक बढ़त हासिल की है।
क्षेत्र में यथा स्थिति में बदलाव करने की चीन की नाकाम कोशिशों के मद्देनजर सैनिकों की तैनाती बढ़ाई गई है। सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर आपस में टकराव हुआ था, लेकिन इस तरह की घटना इसके दक्षिणी तट पर पहली बार हुई।
सैन्य वार्ता में चीनी पक्ष ने क्षेत्र में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण कुछ पर्वत चोटियों पर भारत के अपने नियंत्रण में करने पर आपत्ति जताई। लेकिन भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने इस बात का जिक्र किया कि ये स्थान एलएसी के भारतीय सीमा के अंदर हैं।
उनहोंने कहा कि भारत वार्ता के जरिए सीमा विवाद का हल चाहता है लेकिन साथ ही वह एलएसी पर चीन के किसी भी दुस्साहस से निपटेगा। चीनी कोशिशों के मद्देनजर भारतीय थल सेना ने 3,400 किमी लंबे एलएसी पर अपने सभी अग्रिम सैन्य ठिकानों को चौबीसों घंटे सतर्क रहने के लिये अलर्ट कर दिया है।
गलवान घाटी झड़प के बाद भारत ने अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम सहित सभी सीमावर्ती इलाकों में अतिरिक्त सैनिक एवं हथियार प्रणाली भेजी हैं। सोमवार को भारतीय थल सेना ने कहा कि चीनी सेना ने 29 और 30 अगस्त की दरम्यानी रात पैंगोंग झील के दक्षिण तट पर यथा स्थिति में एकतरफा तरीके से बदलाव करने के लिये ‘‘उकसाने वाली सैन्य गतिविधियां’’ की।