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पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी ने बताया कि उनकी मां को फिल्में देखना बेहद पसंद था। वे ज्यादातर उन फिल्मों को देखना पसंद करती थीं जिनमें महिलाओं का विशेष चित्रण होता था। फिल्म बाहुबली की ‘मां शिवगामी’ का चरित्र उन्हें बेहद पसंद आया था। उन्होंने कहा कि उनकी मां को विदेश मंत्री के रूप में लंबी यात्राएं करनी पड़ती थीं।
यात्राओं के बीच लंबी उड़ान के दौरान वे उनकी दी हुई डीवीडी से फिल्में देखती थीं। अकसर बांसुरी स्वयं पहले फिल्में देखती थीं, जो फिल्म उन्हें पसंद आती थी, उसकी डीवीडी वे अपनी मां सुषमा स्वराज को दे दिया करती थीं, जिसे वे अपनी यात्राओं के बीच देखा करती थीं।
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पहली पुण्यतिथि पर एक वेबिनार के जरिए उन्हें याद करते हुए उनकी बेटी बांसुरी ने बताया कि वे हर महीने कम से कम एक फिल्म अपनी मां के साथ अवश्य देखती थीं। इसे देखने के लिए प्लान बनाया जाता था और वे अपनी मां के साथ बिस्तर में बैठकर पॉपकॉर्न खाते हुए फिल्में देखा करती थीं। ‘उरी- द सर्जिकल स्ट्राइक’ वह आखिरी फिल्म थी जो उन्होंने अपनी मां के साथ देखी थी।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि जब वे पार्टी के प्रवक्ता बनाए गए थे, तब सुषमा स्वराज ने उन्हें अच्छा बोलने की टिप्स दी थी। उन्होंने बताया था कि एक प्रवक्ता के रूप में बोलते समय उन्हें कैसे शब्दों का सही चयन करना चाहिए, जिससे लोगों पर उसकी बेहतर छाप पड़े।
उन्होंने कहा कि सुषमा स्वराज स्वयं बहुत अच्छी वक्ता थीं और शब्दों पर उनकी बहुत गहरी पकड़ थी। उनकी वाणी सीधे लोगों के दिलों पर असर करती थी और यही कारण था कि लोग उन्हें सुनने के लिए दूर-दूर से आते थे।
फिल्मकार सुभाष घई ने उन्हें याद करते हुए कहा कि वे एक सच्ची इंसान थीं, जिन्होंने अपनी हर भूमिका बेहद अच्छी तरह से निभाया। मां, बेटी, राष्ट्रवादी नेता, प्रखर वक्ता, सत्ता पक्ष में हों या विपक्षी दल के नेता के रूप में, उन्होंने अपना हर रोल बड़ी खूबसूरती के साथ निभाया।
रचनाकार प्रसून जोशी ने कहा कि उन्हें वही कविताएं पसंद आती थीं, जो भावनात्मक रूप से उन्हें उद्वेलित करती थीं और यथार्थ से जुड़ी होती थीं। कंगना रानौत ने कहा कि सुषमा स्वराज ने उस राजनीति में अपनी सफल जगह बनाई जहां आज भी महिलाओं के लिए बड़ी भूमिका नहीं होती है।
फिल्म निर्माण को ‘उद्योग’ का दर्जा दिलाने में उन्होंने बहुत प्रमुख भूमिका निभाई थी। इंडस्ट्री के लोग मानते हैं कि फिल्म निर्माण के लिए भारी रकम की जरूरत पड़ती है। बैंकों से कर्ज न मिलने के कारण ज्यादातर फिल्मकार अवैध तरीके से पैसा जुटाने की कोशिश करते थे, जिससे इंडस्ट्री को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। कॉपीराइट एक्ट को लाने में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी, जिसके लिए फिल्मकार मधुर भंडारकर और सुभाष घई ने उन्हें धन्यवाद दिया।
पिछले वर्ष 6 अगस्त 2019 को दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) में इलाज के दौरान 67 वर्ष की आयु में सुषमा स्वराज की मौत हो गई थी।
सार
- सुषमा स्वराज की पुण्यतिथि छह अगस्त पर वेबिनार के जरिए फिल्मकारों ने किया याद
- 'सुषमांजलि' में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया खुलासा, सुषमा स्वराज ने दिए थे प्रवक्ता बनने के ये खास टिप्स
विस्तार
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी ने बताया कि उनकी मां को फिल्में देखना बेहद पसंद था। वे ज्यादातर उन फिल्मों को देखना पसंद करती थीं जिनमें महिलाओं का विशेष चित्रण होता था। फिल्म बाहुबली की ‘मां शिवगामी’ का चरित्र उन्हें बेहद पसंद आया था। उन्होंने कहा कि उनकी मां को विदेश मंत्री के रूप में लंबी यात्राएं करनी पड़ती थीं।
यात्राओं के बीच लंबी उड़ान के दौरान वे उनकी दी हुई डीवीडी से फिल्में देखती थीं। अकसर बांसुरी स्वयं पहले फिल्में देखती थीं, जो फिल्म उन्हें पसंद आती थी, उसकी डीवीडी वे अपनी मां सुषमा स्वराज को दे दिया करती थीं, जिसे वे अपनी यात्राओं के बीच देखा करती थीं।
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की पहली पुण्यतिथि पर एक वेबिनार के जरिए उन्हें याद करते हुए उनकी बेटी बांसुरी ने बताया कि वे हर महीने कम से कम एक फिल्म अपनी मां के साथ अवश्य देखती थीं। इसे देखने के लिए प्लान बनाया जाता था और वे अपनी मां के साथ बिस्तर में बैठकर पॉपकॉर्न खाते हुए फिल्में देखा करती थीं। ‘उरी- द सर्जिकल स्ट्राइक’ वह आखिरी फिल्म थी जो उन्होंने अपनी मां के साथ देखी थी।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि जब वे पार्टी के प्रवक्ता बनाए गए थे, तब सुषमा स्वराज ने उन्हें अच्छा बोलने की टिप्स दी थी। उन्होंने बताया था कि एक प्रवक्ता के रूप में बोलते समय उन्हें कैसे शब्दों का सही चयन करना चाहिए, जिससे लोगों पर उसकी बेहतर छाप पड़े।
उन्होंने कहा कि सुषमा स्वराज स्वयं बहुत अच्छी वक्ता थीं और शब्दों पर उनकी बहुत गहरी पकड़ थी। उनकी वाणी सीधे लोगों के दिलों पर असर करती थी और यही कारण था कि लोग उन्हें सुनने के लिए दूर-दूर से आते थे।
फिल्मकार सुभाष घई ने उन्हें याद करते हुए कहा कि वे एक सच्ची इंसान थीं, जिन्होंने अपनी हर भूमिका बेहद अच्छी तरह से निभाया। मां, बेटी, राष्ट्रवादी नेता, प्रखर वक्ता, सत्ता पक्ष में हों या विपक्षी दल के नेता के रूप में, उन्होंने अपना हर रोल बड़ी खूबसूरती के साथ निभाया।
रचनाकार प्रसून जोशी ने कहा कि उन्हें वही कविताएं पसंद आती थीं, जो भावनात्मक रूप से उन्हें उद्वेलित करती थीं और यथार्थ से जुड़ी होती थीं। कंगना रानौत ने कहा कि सुषमा स्वराज ने उस राजनीति में अपनी सफल जगह बनाई जहां आज भी महिलाओं के लिए बड़ी भूमिका नहीं होती है।
फिल्म निर्माण को ‘उद्योग’ का दर्जा दिलाने में उन्होंने बहुत प्रमुख भूमिका निभाई थी। इंडस्ट्री के लोग मानते हैं कि फिल्म निर्माण के लिए भारी रकम की जरूरत पड़ती है। बैंकों से कर्ज न मिलने के कारण ज्यादातर फिल्मकार अवैध तरीके से पैसा जुटाने की कोशिश करते थे, जिससे इंडस्ट्री को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। कॉपीराइट एक्ट को लाने में भी उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी, जिसके लिए फिल्मकार मधुर भंडारकर और सुभाष घई ने उन्हें धन्यवाद दिया।
पिछले वर्ष 6 अगस्त 2019 को दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) में इलाज के दौरान 67 वर्ष की आयु में सुषमा स्वराज की मौत हो गई थी।