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लखनऊ। यूजीसी और उत्तर प्रदेश शासन ने सभी महाविद्यालयों के लिए नैक की ग्रेडिंग अनिवार्य कर दी है। नैक ग्रेडिंग में शिक्षकों के साथ ही प्राचार्य के लिए भी नंबर निर्धारित होते हैं। राजधानी के अनुदानित महाविद्यालयों की बात करें तो 20 में से सिर्फ दो महाविद्यालयों में ही नियमित प्राचार्य हैं। बाकी कॉलेज कार्यवाहक प्राचार्य के भरोसे हैं। प्राचार्य का चार्ज लेने वाले शिक्षक प्रशासनिक कामों में फंसे हुए हैं, ऐसे में उनकी खुद की क्लास प्रभावित हो रही है। इसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। जय नारायण मिश्र महाविद्यालय और शिया पीजी कॉलेज के प्राचार्य इसी 30 जून को सेवानिवृत हो गए। इसके बाद विद्यांत हिंदू कॉलेज और आईटी गर्ल्स कॉलेज में ही नियमित प्राचार्य रह गए हैं। इसके अलावा अन्य सभी महाविद्यालयों में प्राचार्य का कामकाज वरिष्ठ शिक्षकों के हवाले है। अल्पसंख्यक कॉलेजों में नियुक्ति प्रबंधन के स्तर पर होती है। इसलिए इनकी स्थिति सही रहती थी, लेकिन इस समय इनमें भी प्राचार्यों के पद खाली पड़े हैं। लखनऊ में 15 वर्षों से प्राचार्यों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। अगली नियुक्ति के लिए विज्ञापन भी जारी किया गया, लेकिन अभी तक इसकी प्रवेश परीक्षा का अता-पता नहीं है। इसी बीच प्रदेश में उच्चतर सेवा आयोग के स्थान पर शिक्षा के लिए एक संयुक्त महाआयोग गठित किया गया है। अब सवाल यह भी है कि पुराने विज्ञापन से नियुक्ति होगी या फिर दोबारा विज्ञापन निकाला जाएगा। --------- अल्पसंख्यक कॉलेजों की स्थिति भी खराब राजधानी के अल्पसंख्यक कॉलेजों में प्राचार्य और शिक्षक दोनों की नियुक्ति के मामले में स्थिति अभी तक बेहतर थी। शिया पीजी कॉलेज, आईटी, लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेजों में नियमित प्राचार्य नियुक्त थे। लेकिन इस साल लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज के प्राचार्य का आकस्मिक निधन तथा शिया पीजी कॉलेज के प्राचार्य के सेवानिवृत्त होने की वजह से स्थिति खराब हो गई है।
लखनऊ। यूजीसी और उत्तर प्रदेश शासन ने सभी महाविद्यालयों के लिए नैक की ग्रेडिंग अनिवार्य कर दी है। नैक ग्रेडिंग में शिक्षकों के साथ ही प्राचार्य के लिए भी नंबर निर्धारित होते हैं। राजधानी के अनुदानित महाविद्यालयों की बात करें तो 20 में से सिर्फ दो महाविद्यालयों में ही नियमित प्राचार्य हैं। बाकी कॉलेज कार्यवाहक प्राचार्य के भरोसे हैं। प्राचार्य का चार्ज लेने वाले शिक्षक प्रशासनिक कामों में फंसे हुए हैं, ऐसे में उनकी खुद की क्लास प्रभावित हो रही है। इसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। जय नारायण मिश्र महाविद्यालय और शिया पीजी कॉलेज के प्राचार्य इसी 30 जून को सेवानिवृत हो गए। इसके बाद विद्यांत हिंदू कॉलेज और आईटी गर्ल्स कॉलेज में ही नियमित प्राचार्य रह गए हैं। इसके अलावा अन्य सभी महाविद्यालयों में प्राचार्य का कामकाज वरिष्ठ शिक्षकों के हवाले है। अल्पसंख्यक कॉलेजों में नियुक्ति प्रबंधन के स्तर पर होती है। इसलिए इनकी स्थिति सही रहती थी, लेकिन इस समय इनमें भी प्राचार्यों के पद खाली पड़े हैं। लखनऊ में 15 वर्षों से प्राचार्यों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। अगली नियुक्ति के लिए विज्ञापन भी जारी किया गया, लेकिन अभी तक इसकी प्रवेश परीक्षा का अता-पता नहीं है। इसी बीच प्रदेश में उच्चतर सेवा आयोग के स्थान पर शिक्षा के लिए एक संयुक्त महाआयोग गठित किया गया है। अब सवाल यह भी है कि पुराने विज्ञापन से नियुक्ति होगी या फिर दोबारा विज्ञापन निकाला जाएगा। --------- अल्पसंख्यक कॉलेजों की स्थिति भी खराब राजधानी के अल्पसंख्यक कॉलेजों में प्राचार्य और शिक्षक दोनों की नियुक्ति के मामले में स्थिति अभी तक बेहतर थी। शिया पीजी कॉलेज, आईटी, लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेजों में नियमित प्राचार्य नियुक्त थे। लेकिन इस साल लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज के प्राचार्य का आकस्मिक निधन तथा शिया पीजी कॉलेज के प्राचार्य के सेवानिवृत्त होने की वजह से स्थिति खराब हो गई है।