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कृषि कानूनों के विरोध में शनिवार को राजभवन कूच कर रहे किसानों को प्रशासन ने राजधानी की सीमा से आगे नहीं बढ़ने दिया। सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्राली संग शहर में आ रहे किसानों के मुख्य जत्थे को गोसाईगंज के कबीरपुर गांव में पुलिस ने शुक्रवार से ही रोक लगा दी थी और शनिवार को भी आगे नहीं आने दिया। इसी तरह हरदोई रोड पर दुबग्गा में किसानों को रोका गया, जबकि इटौंजा में किसानों ने प्रदर्शन कर विरोध जताया।
वहीं बख्शी का तालाब में कई किसान नेताओं को घर में नजरबंद किया गया। गोसाईगंज में जबरन शहर में आने पर अड़े किसान तब माने जब उनके प्रतिनिधि मंडल को राजभवन में ज्ञापन देने की अनुमति मिली। इसके बाद किसानों के 11 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपा। किसानों के एक गुट ने चारबाग से राजभवन तक पैदल मार्च भी किया।
भाकियू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेश सिंह चौहान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलराम सिंह लंबरदार, प्रदेश अध्यक्ष दिगम्बर सिंह व प्रदेश उपाध्यक्ष हरिनाम वर्मा के नेतृत्व में राजभवन पहुंचे प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल को दिए गए ज्ञापन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने व न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाए जाने की मांग की। किसानों ने कहा कि संसद से लेकर सड़क तक हंगामा हो रहा है। एक तरफ सरकार का दावा है कि इन कानूनों से बिचौलिए खत्म होंगे, भंडारण के क्षेत्र में निवेश बढे़गा और किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिलेगा। वहीं दूसरी तरफ किसान इसे काला कानून बताते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर आघात मान रहे हैं।
कृषि में खुले बाजार की व्यवस्था अमेरिका में 60 सालों से लागू है। खुले बाजार की व्यवस्था का लाभ केवल कंपनियों को हुआ है। इसलिए भारत सरकार व प्रधानमंत्री से मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाकर यह सुनिश्चित करें कि देश में फसलों की खरीद सरकार या व्यापारी द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर नहीं होगी। तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएं।
प्रदर्शन में प्रमुख रूप से भाकियू के राष्ट्रीय सचिव घनश्याम वर्मा, लखनऊ जिला अध्यक्ष सरदार गुरमीत सिंह, युवा जिला अध्यक्ष आशीष यादव, महेश प्रधान, गणेश शंकर वर्मा, मान सिंह, जिला अध्यक्ष बाराबंकी अनिल वर्मा, जिला अध्यक्ष फतेहपुर राजकुमार गौतम सहित भाकियू उत्तर प्रदेश के जिला और मंडल अध्यक्ष सहित लखनऊ के किसान मौजूद रहे।
किसानों के आंदोलन को देखते हुए पुलिस व प्रशासन की ओर से भी खासी तैयारियां की गई थीं। चारबाग से लेकर हजरतगंज और पांच कालिदास मार्ग से लेकर अर्जुनगंज तक पुलिस ने जगह-जगह चैराहों पर बैरिकेडिंग कर दी और पुलिस और पीएसी के जवानों ने मोर्चा संभाला था। हालांकि, इससे आम लोगों को भी खासी असुविधाओं का सामना करना पड़ा। दोपहर बाद जब किसानों का प्रतिनिधिमंडल राजभवन जाकर ज्ञापन दे आया तो सख्ती कम कर दी गई।
दुबग्गा में भी रहा जमावड़ा, हुआ प्रदर्शन
हरदोई रोड पर दुबग्गा में भी किसानों का जमावड़ा रहा। राजभवन जा रहे किसानों को हरदोई रोड स्थित दसहरी गांव के तिराहे के पास रोक दिया गया। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक लोकतांत्रिक के बैनर तले जुटे किसानों के संगठनों ने दुबग्गा में लखनऊ हरदोई रोड पर प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के कारण दुबग्गा से सीतापुर मार्ग और चौक मार्ग सहित आलमबाग रोड जाने लंबा जाम लगा रहा। मौके पर मौजूद पीएसी व पुलिस बल ने एसीपी काकोरी की अगुवाई में किसानों को समझाया। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश सिंह चौहान व प्रदेश अध्यक्ष मनीष यादव ने एसीपी डॉ अर्चना सिंह को ज्ञापन सौंपा।
कृषि कानूनों के विरोध में शनिवार को राजभवन कूच कर रहे किसानों को प्रशासन ने राजधानी की सीमा से आगे नहीं बढ़ने दिया। सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्राली संग शहर में आ रहे किसानों के मुख्य जत्थे को गोसाईगंज के कबीरपुर गांव में पुलिस ने शुक्रवार से ही रोक लगा दी थी और शनिवार को भी आगे नहीं आने दिया। इसी तरह हरदोई रोड पर दुबग्गा में किसानों को रोका गया, जबकि इटौंजा में किसानों ने प्रदर्शन कर विरोध जताया।
वहीं बख्शी का तालाब में कई किसान नेताओं को घर में नजरबंद किया गया। गोसाईगंज में जबरन शहर में आने पर अड़े किसान तब माने जब उनके प्रतिनिधि मंडल को राजभवन में ज्ञापन देने की अनुमति मिली। इसके बाद किसानों के 11 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपा। किसानों के एक गुट ने चारबाग से राजभवन तक पैदल मार्च भी किया।
भाकियू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेश सिंह चौहान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बलराम सिंह लंबरदार, प्रदेश अध्यक्ष दिगम्बर सिंह व प्रदेश उपाध्यक्ष हरिनाम वर्मा के नेतृत्व में राजभवन पहुंचे प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल को दिए गए ज्ञापन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने व न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाए जाने की मांग की। किसानों ने कहा कि संसद से लेकर सड़क तक हंगामा हो रहा है। एक तरफ सरकार का दावा है कि इन कानूनों से बिचौलिए खत्म होंगे, भंडारण के क्षेत्र में निवेश बढे़गा और किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिलेगा। वहीं दूसरी तरफ किसान इसे काला कानून बताते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर आघात मान रहे हैं।
कृषि में खुले बाजार की व्यवस्था अमेरिका में 60 सालों से लागू है। खुले बाजार की व्यवस्था का लाभ केवल कंपनियों को हुआ है। इसलिए भारत सरकार व प्रधानमंत्री से मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाकर यह सुनिश्चित करें कि देश में फसलों की खरीद सरकार या व्यापारी द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर नहीं होगी। तीनों कृषि कानून वापस लिए जाएं।
प्रदर्शन में प्रमुख रूप से भाकियू के राष्ट्रीय सचिव घनश्याम वर्मा, लखनऊ जिला अध्यक्ष सरदार गुरमीत सिंह, युवा जिला अध्यक्ष आशीष यादव, महेश प्रधान, गणेश शंकर वर्मा, मान सिंह, जिला अध्यक्ष बाराबंकी अनिल वर्मा, जिला अध्यक्ष फतेहपुर राजकुमार गौतम सहित भाकियू उत्तर प्रदेश के जिला और मंडल अध्यक्ष सहित लखनऊ के किसान मौजूद रहे।
बैरिकेडिंग कर डटी रही पुलिस
किसानों के आंदोलन को देखते हुए पुलिस व प्रशासन की ओर से भी खासी तैयारियां की गई थीं। चारबाग से लेकर हजरतगंज और पांच कालिदास मार्ग से लेकर अर्जुनगंज तक पुलिस ने जगह-जगह चैराहों पर बैरिकेडिंग कर दी और पुलिस और पीएसी के जवानों ने मोर्चा संभाला था। हालांकि, इससे आम लोगों को भी खासी असुविधाओं का सामना करना पड़ा। दोपहर बाद जब किसानों का प्रतिनिधिमंडल राजभवन जाकर ज्ञापन दे आया तो सख्ती कम कर दी गई।
दुबग्गा में भी रहा जमावड़ा, हुआ प्रदर्शन
हरदोई रोड पर दुबग्गा में भी किसानों का जमावड़ा रहा। राजभवन जा रहे किसानों को हरदोई रोड स्थित दसहरी गांव के तिराहे के पास रोक दिया गया। इसके बाद भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक लोकतांत्रिक के बैनर तले जुटे किसानों के संगठनों ने दुबग्गा में लखनऊ हरदोई रोड पर प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन के कारण दुबग्गा से सीतापुर मार्ग और चौक मार्ग सहित आलमबाग रोड जाने लंबा जाम लगा रहा। मौके पर मौजूद पीएसी व पुलिस बल ने एसीपी काकोरी की अगुवाई में किसानों को समझाया। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश सिंह चौहान व प्रदेश अध्यक्ष मनीष यादव ने एसीपी डॉ अर्चना सिंह को ज्ञापन सौंपा।