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उत्तर प्रदेश में 29 वर्ष पूर्व पुलिस हिरासत में हुई एक डॉक्टर मौत के मामले में अदालती आदेश का पालन नहीं करने को लेकर दाखिल अमवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।
याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने पीड़ित परिवार को दो महीने के भीतर 10 लाख रुपये का मुआवजा देने के लिए कहा था लेकिन 15 महीने बीत जाने के बाद सरकार ने अब तक मुआवजे की पूरी रकम नहीं दी है। अवमानना याचिका डॉक्टर विरेन्द्र सिंह की पत्नी इंदू सिंह की ओर से दायर की गई है।
न्यायमूति रंजन गोगई और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत की पीठ ने इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
अवमानना याचिका में कहा गया है कि 10 अक्टूबर, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़ित परिवार को दो महीने के भीतर 10 लाख रुपये मुआवजा देने केलिए कहा था। इनमें से पांच लाख रुपये पीड़ित परिवार को दिया जा चुका है लेकिन शेष रकम अब तक पीड़ित परिवार को नहीं मिला है।
वकील एसएस नेहरा के माध्यम से दाखिल इस अवमानना याचिका में कहा कि सुप्रीम
कोर्ट के आदेश को करीब 15 महीने हो गए हैं लेकिन अब तक मुआवजे की पूरी रकम
अदा नहीं की गई है। पीड़ित परिवार को अब तक सिर्फ पांच लाख रुपये मुआवजे
केतौर पर दी गई है। याचिका में राज्य के प्रधान सचिव(गृह) के खिलाफ अवमानना
की कार्यवाही चलाने की गुहार की गई है।
सात मार्च 1987 को यूपी
के ललितपुर में डॉ. विरेन्द्र सिंह की किसी बात को लेकर दो कांस्टेबल की बीच
कहासुनी हुई और फिर उनकेबीच मारपीट हुई। दोनों कांस्टेबल ने शराब पी रखी
थी। जिसके बाद सोजना थाने में डॉ सिंह पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज
किया गया और उन्हें हिरासत में ले लिया गया।
आठ मार्च 1987 की रात डॉ. सिंह
की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। इस मामले में सेक्शन एसओ और दो
कांस्टेबल के खिलाफ गैर इरादन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। ट्रायल कोर्ट
ने तीनों पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने
भी इस फैसले को सही ठहराया था हालांकि शीर्ष अदालत ने उनकी सजा दो साल से
बढ़ाकर पांच साल कर दी थी।
उत्तर प्रदेश में 29 वर्ष पूर्व पुलिस हिरासत में हुई एक डॉक्टर मौत के मामले में अदालती आदेश का पालन नहीं करने को लेकर दाखिल अमवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।
याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने पीड़ित परिवार को दो महीने के भीतर 10 लाख रुपये का मुआवजा देने के लिए कहा था लेकिन 15 महीने बीत जाने के बाद सरकार ने अब तक मुआवजे की पूरी रकम नहीं दी है। अवमानना याचिका डॉक्टर विरेन्द्र सिंह की पत्नी इंदू सिंह की ओर से दायर की गई है।
न्यायमूति रंजन गोगई और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत की पीठ ने इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
अवमानना याचिका में कहा गया है कि 10 अक्टूबर, 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को पीड़ित परिवार को दो महीने के भीतर 10 लाख रुपये मुआवजा देने केलिए कहा था। इनमें से पांच लाख रुपये पीड़ित परिवार को दिया जा चुका है लेकिन शेष रकम अब तक पीड़ित परिवार को नहीं मिला है।
तीनों पुलिस अधिकारी ठहराए गए थे दोषी
वकील एसएस नेहरा के माध्यम से दाखिल इस अवमानना याचिका में कहा कि सुप्रीम
कोर्ट के आदेश को करीब 15 महीने हो गए हैं लेकिन अब तक मुआवजे की पूरी रकम
अदा नहीं की गई है। पीड़ित परिवार को अब तक सिर्फ पांच लाख रुपये मुआवजे
केतौर पर दी गई है। याचिका में राज्य के प्रधान सचिव(गृह) के खिलाफ अवमानना
की कार्यवाही चलाने की गुहार की गई है।
सात मार्च 1987 को यूपी
के ललितपुर में डॉ. विरेन्द्र सिंह की किसी बात को लेकर दो कांस्टेबल की बीच
कहासुनी हुई और फिर उनकेबीच मारपीट हुई। दोनों कांस्टेबल ने शराब पी रखी
थी। जिसके बाद सोजना थाने में डॉ सिंह पर हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज
किया गया और उन्हें हिरासत में ले लिया गया।
आठ मार्च 1987 की रात डॉ. सिंह
की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। इस मामले में सेक्शन एसओ और दो
कांस्टेबल के खिलाफ गैर इरादन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। ट्रायल कोर्ट
ने तीनों पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने
भी इस फैसले को सही ठहराया था हालांकि शीर्ष अदालत ने उनकी सजा दो साल से
बढ़ाकर पांच साल कर दी थी।