पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ग्रामीण विकास की रफ्तार तेज करने के लिए केंद्र सरकार ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास फेलोशिप’ (पीएमआरडीएफ) योजना को फिर शुरू करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद आठ फरवरी को इसका शुभारंभ करेंगे। पीएमआरडीएफ योजना की शुरुआत यूपीए दो के शासन में तत्कालीन मंत्री जयराम रमेश ने की थी।
योजना से पीएम मोदी के प्रभावित होने के बाद ग्रामीण विकास मंत्रालय इसे दोबारा लांच करेगा। पीएम मोदी 10 नए फेलो को जोड़कर इसे रिलांच करेंगे।
इस अवसर पर वह पहले से जुडे़ सभी 213 फेलोशिप धारकों से उनका अनुभव सुनेंगे। दरअसल, सरकार को लगता है कि फेलो अपने-अपने जिलों में बेहतर काम कर रहे हैं।
ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बिरेंद्र सिंह का कहना है कि आमतौर पर लोग अपने
घर के करीब या बडे़ शहरों में नौकरी करना चाहते हैं, लेकिन ये फेलो सुदूर
गांव-देहात और नक्सल प्रभावित जिलों में रहकर गांव के विकास के लिए कार्य
कर रहे हैं। मोदी भी नक्सल प्रभावित इलाकों में इनके कामकाज से प्रभावित
हैं।
इस फेलोशिप की शुरुआत जिला प्रशासन की सहायता के लिए हुई थी। इसके तहत
चयनित फेलो किसी पिछड़े जिले में रहकर ग्राम विकास की योजनाओं की न सिर्फ
निगरानी करता है, बल्कि अपने स्तर पर वह स्थानीय आवश्यकता के लिहाज से नए
अभिनव परियोजना बना सकता है।
ये फेलो सीधे केंद्र सरकार से जुड़े रहेंगे।
सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए अपनी संस्था कपार्ट के साथ टाटा इंस्टीट्यूट
ऑफ सोशल साइंस (टिस) को भागीदार बनाया है। टिस के जरिए फेलो की भर्ती की
जाएगी। उन्हें दो साल की मास्टर डिग्री के साथ मानदेय का भी प्रावधान है।
ग्रामीण विकास की रफ्तार तेज करने के लिए केंद्र सरकार ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास फेलोशिप’ (पीएमआरडीएफ) योजना को फिर शुरू करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद आठ फरवरी को इसका शुभारंभ करेंगे। पीएमआरडीएफ योजना की शुरुआत यूपीए दो के शासन में तत्कालीन मंत्री जयराम रमेश ने की थी।
योजना से पीएम मोदी के प्रभावित होने के बाद ग्रामीण विकास मंत्रालय इसे दोबारा लांच करेगा। पीएम मोदी 10 नए फेलो को जोड़कर इसे रिलांच करेंगे।
इस अवसर पर वह पहले से जुडे़ सभी 213 फेलोशिप धारकों से उनका अनुभव सुनेंगे। दरअसल, सरकार को लगता है कि फेलो अपने-अपने जिलों में बेहतर काम कर रहे हैं।
पीएम मोदी भी हैं काम काज से प्रभावित
ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बिरेंद्र सिंह का कहना है कि आमतौर पर लोग अपने
घर के करीब या बडे़ शहरों में नौकरी करना चाहते हैं, लेकिन ये फेलो सुदूर
गांव-देहात और नक्सल प्रभावित जिलों में रहकर गांव के विकास के लिए कार्य
कर रहे हैं। मोदी भी नक्सल प्रभावित इलाकों में इनके कामकाज से प्रभावित
हैं।
इस फेलोशिप की शुरुआत जिला प्रशासन की सहायता के लिए हुई थी। इसके तहत
चयनित फेलो किसी पिछड़े जिले में रहकर ग्राम विकास की योजनाओं की न सिर्फ
निगरानी करता है, बल्कि अपने स्तर पर वह स्थानीय आवश्यकता के लिहाज से नए
अभिनव परियोजना बना सकता है।
ये फेलो सीधे केंद्र सरकार से जुड़े रहेंगे।
सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए अपनी संस्था कपार्ट के साथ टाटा इंस्टीट्यूट
ऑफ सोशल साइंस (टिस) को भागीदार बनाया है। टिस के जरिए फेलो की भर्ती की
जाएगी। उन्हें दो साल की मास्टर डिग्री के साथ मानदेय का भी प्रावधान है।