सभी 9 ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले और किसी एक राशि में सबसे ज्यादा समय तक रहने वाले न्यायाधिपति और मृत्युलोक के दंडाधिकारी भगवान शनि 22 जनवरी की शाम 5 बजकर 39 मिनट पर अपने पिता सूर्य के नक्षत्र उत्तराशाढ़ा की यात्रा समाप्त करके चंद्रमा के नक्षत्र 'श्रवण' में प्रवेश कर रहे हैं। अब तक ये पिता के नक्षत्र में यात्रा कर रहे थे इसलिए पृथ्वी वासियों के लिए बहुत विषम स्थिति नहीं थी किंतु अब चंद्रमा के नक्षत्र में प्रवेश कर रहे हैं इसलिए कहीं न कहीं चंद्र और शनि के इस संयोग का 'विष योग' जैसा प्रभाव दिखेगा जो बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता। शनिदेव जब-जब चंद्र के नक्षत्रों का वेध करते हैं विष योग जैसा योग पृथ्वी वासियों को परेशान करने लगता है। इसका प्रभाव श्रवण नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों पर अधिक पड़ेगा। इसीलिए उन्हें अपने अच्छे कर्मों के प्रति अधिक सजग रहने की आवश्यकता है और इसकी समय-समय पर समीक्षा भी करते रहनी है कि मेरे द्वारा किसी का अहित ना हो, अथवा मेरे शुभ कर्मों में गिरावट ना आने पाए अन्यथा शनि के कोप भाजन से बचना आसान नहीं है। शनि के नक्षत्र परिवर्तन का सभी राशियों के लिए कैसा प्रभाव रहेगा। इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं।
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