पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरता के उदय और उसके प्रसार के लिए पूर्व सैन्य तानाशाह जनरल जिया-उल-हक की सरकार और उसके बाद मुस्लिम कट्टरपंथियों की ताकत को जिम्मेदार ठहराया जाता है। लेकिन पाकिस्तानी इतिहास के एक अहम किरदार, जोगेन्द्र नाथ मंडल ने 70 साल पहले ही तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को लिखे अपने त्यागपत्र में धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने की बात कह दी थी। उन्होंने इसके लिए पाकिस्तान के सत्ता प्रतिष्ठान की मजहब को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने और फिर उसके सामने घुटने टेकने की नीति को जिम्मेदार ठहराया था।
पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने जोगेन्द्र नाथ मंडल को पाकिस्तान की संविधान सभा के पहले सत्र की अध्यक्षता की जिम्मेदारी दी थी। वह पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री भी बने। जोगेन्द्र नाथ मंडल बंगाल के दलित समुदाय से थे। भारत के बंटवारे से पहले बंगाल की राजनीति में केवल ब्रिटिश उपनिवेशवाद से आजादी एक महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं था, बल्कि कुछ लोगों की नजर में उससे भी ज्यादा अहम मुद्दा बंगाल में जमींदारी व्यवस्था की चक्की में पिसने वाले किसानों का था। इनमें ज्यादातर मुसलमान थे। उनके बाद दलित थे, जिन्हें 'शूद्र' भी कहा जाता था। लेकिन अंग्रेजों के समय में उन्हें 'अनुसूचित जाति' कहा जाने लगा था।
पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने जोगेन्द्र नाथ मंडल को पाकिस्तान की संविधान सभा के पहले सत्र की अध्यक्षता की जिम्मेदारी दी थी। वह पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री भी बने। जोगेन्द्र नाथ मंडल बंगाल के दलित समुदाय से थे। भारत के बंटवारे से पहले बंगाल की राजनीति में केवल ब्रिटिश उपनिवेशवाद से आजादी एक महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं था, बल्कि कुछ लोगों की नजर में उससे भी ज्यादा अहम मुद्दा बंगाल में जमींदारी व्यवस्था की चक्की में पिसने वाले किसानों का था। इनमें ज्यादातर मुसलमान थे। उनके बाद दलित थे, जिन्हें 'शूद्र' भी कहा जाता था। लेकिन अंग्रेजों के समय में उन्हें 'अनुसूचित जाति' कहा जाने लगा था।