Movie Review: गुलाबो सिताबो
कलाकार: अमिताभ बच्चन, आयुष्मान खुराना, विजय राज, ब्रजेन्द्र काला, फार्रूख जफर, सृष्टि श्रीवास्तव आदि।
निर्देशक: शूजित सरकार
ओटीटी: प्राइम वीडियो
रेटिंग: *1/2
हिंदी सिनेमा में अमिताभ बच्चन का नाम तमाम निर्देशकों को उनके करियर की शीर्ष ऊंचाई तक ले जाने और फिर उनका करियर खतरे में भी डाल देने वाली फिल्मों के लिए चर्चित रहा है। गलती इसमें अमिताभ बच्चन की कम है। वह अब भी अपने हर किरदार में अपनी तरफ से जान डालने की पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन किसे पता होता है कि अमिताभ बच्चन को लेकर जंजीर बनाने वाले प्रकाश मेहरा कभी उनको लेकर जादूगर भी बनाएंगे। और, किसे पता होता है कि अमिताभ बच्चन को लेकर पीकू बनाने वाले शूजित सरकार कभी उनको लेकर गुलाबो सिताबो भी बनाएंगे।
अमिताभ बच्चन एक कलाकार का नाम नहीं है। ये एक जीवित किवदंती का नाम है। उनके नाम जैसी ही उनकी आभा है। और, इस आभा के अनुरूप अगर फिल्म नहीं है, तो वह फिल्म कम से कम हिंदी पट्टी के दर्शकों को पसंद नहीं आने वाली। बाबूपट्टी के बच्चन को पैसे पैसे के लिए लाचार बुजुर्ग इंसान के रूप में कोई नहीं देखना चाहता। कोई नहीं देखना चाहता कि पुराने लखनऊ में आटा की चक्की चलाने वाला कोई बांके आकर उनसे अबे तबे में बात करे। और, कोई ये भी नहीं देखना चाहता कि अमिताभ बच्चन की हीरोइन किसी और के साथ भाग जाए। 78 के होने वाले हैं तो क्या? हीरोइन तो हीरोइन ही होती है ना, भले 15 साल बड़ी सही। शूबाइट के चक्कर में अमिताभ बच्चन से पहली बार मिलने वाले शूजित सरकार को अमिताभ का तिलिस्म समझने के लिए थोड़ा देश भ्रमण और करना चाहिए।