जिंदगी की फिलॉसफी समझाने वाले तमाम गीतों में से मेरा एक फेवरिट गीत रहा है, ‘आदमी मुसाफिर है आता है जाता है, आते जाते रस्ते में यादें छोड़ जाता है...।’ फिल्म ‘अपनापन’ के लिए गाए लता मंगेशकर के इस गाने के बोलों जैसा ही तो सबका जीवन है। बस समझने का फर्क है। हिंदी सिनेमा में फिल्मों की मेकिंग के भी ऐसे तमाम किस्से हैं, जिनसे होकर गुजरने वाले मुसाफिर अपनी यादें छोड़ जाते हैं। बीते हफ्तों की छह फिल्मों में मुख्य रूप से दिखे अमजद खान, संजीव कुमार, राज कुमार, ओम पुरी जैसे कलाकार अब हमारे बीच नहीं है। ‘सिलसिला’ की मेकिंग के तमाम राज खोलने वाले यश चोपड़ा की भी बस यादें ही बाकी हैं। आइए ‘संडे बाइस्कोप’ में एक बार फिर दबाते हैं रिवाइंड बटन और देखते हैं झलकियां उन फिल्मों की जो बीते हफ्ते के डेली ‘बाइस्कोप’ में जगह पाने में सफल रहीं।