आचार्य चाणक्य राजनीति और कूटनीति में कुशल विद्वान थे। चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाने में चाणक्य का महत्वपूर्ण योगदान था। चंद्रगुप्त मौर्य उन्हें अपना गुरु मानते थे। चाणक्य मौर्य वंश के महांमत्री थे, परंतु में महल में न रहकर वहां से दूर साधारण सी कुटिया में रहकर सादा जीवन व्यतीत करते थे। उन्होंने तक्षशिला से शिक्षा प्राप्त की और वहीं पर शिक्षक रहकर शिक्षा भी प्रदान की। राजनीति, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र आदि कई विषयों में उनकी समझ बहुत गहन थी। अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर उन्होंने कई ग्रंथों की रचना की। चाणक्य की नीतियां आज के समय में भी व्यक्ति के जीवन में पूरी तरह से सार्थक बैठती हैं। अगर उनकी नीतियों के सार को सही प्रकार से समझकर अपने जीवन में उपयोग किया जाए, तो व्यक्ति सुखी और सफल हो सकता है। अपनी नीति में चाणक्य ने कुछ बातें बताई हैं जिसके अनुसार तीन चीजों में कभी संकोच नहीं करना चाहिए तभी व्यक्ति सफल हो सकता है।