आचार्य चाणक्य चंद्रदगुप्त मौर्य को गुरु थे। उन्होंने ही चाणक्य को इतनी छोटी आयु में मौर्य साम्राज्य का शासक बनाया। फिर भी वे महल के राज-पाठ से दूर एक कुटिया में अपना जीवन व्यतीत करते थे। चाणक्य के अनुसार संतुष्टि ही असली धन होता है, लेकिन वे यह भी कहते हैं कि आवश्यकता के लिए धन का होना आवश्यक होता है ताकि समय पड़ने पर आपको किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े। चाणक्य ने अपनी नीति में धन संबंधित बहुत सारी ऐसी बातें बताई हैं जिनको ध्यान में रखकर आप भी एक संपन्न जीवन जी सकते हैं। जानते हैं धन से संबंधित चाणक्य नीति क्या कहती है।