कोई भी धार्मिक अनुष्ठान, पूजन ,आरती आदि शुभ कार्य बिना पुष्पों के अधूरे ही माने जाते हैं। शास्त्र कहते हैं कि देवता का मस्तक सदैव पुष्प से सुशोभित रहना चाहिए। वैसे तो किसी भी देवता को कोई भी पुष्प चढ़ाया जा सकता है लेकिन मान्यताओं के आधार पर कुछ फूल देवताओं को विशेष प्रिय होते हैं एवं कुछ फूल चढ़ाना वर्जित माना गया है। देवताओं को उनकी पसंद के पुष्प अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं।