भगवान शिव आदि भी और अंत भी। भगवान शिव का स्वरूप विराट है। हिंदू धर्म में भगवान शिव एक प्रमुख देवता हैं। हिंदू धर्म में भगवान शिव के करोड़ों की संख्या में भक्त हैं। सावन का महीना, मासिक शिवरात्रि, महाशिवरात्रि, प्रदोष व्रत और सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। इन दिनों में इनकी विशेष पूजा आराधना की जाती है। भगवान शिव को इस जगत का पहला गुरु माना गया है। देवता और असुर दोनों के लिए भगवान शिव बराबर पूजनीय हैं। भगवान शिव के एक नहीं कई स्वरूप हैं जिनमें सभी का महत्व है। भगवान साकार भी और निराकार भी। मर्यादा तोड़ने पर दंड, बेकाबू होने पर भस्म करने वाले देव है भोले भंडारी। मनुष्य को भगवान शिव के हर स्वरूप से कुछ ना कुछ सीख अवश्य ही मिलती है। शिव के स्वरूप को जानकर उसको अपने जीवन में जरूर उतारने का प्रयन्न करना चाहिए।