हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल एवं इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में रविवार को तीसरा किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया गया। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली से ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. वीरेंद्र कुमार बंसल और उनकी टीम ने कांगड़ा के जसूर के रहने वाले मंजीत (47) के गुर्दे का प्रत्यारोपण किया।
अस्पताल में सुबह साढ़े आठ बजे के करीब मरीज को नेफ्रोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अजय जरयाल की निगरानी में ऑपरेशन थियेटर पहुंचाया गया। यहां पर चार घंटे तक चले ट्रांसप्लांट में मंजीत की पत्नी सीमा (41) की किडनी को मरीज को प्रत्यारोपित किया गया। किडनी के ब्लड क्रॉस मैच टेस्ट के बाद डॉक्टरों ने यह ट्रांसप्लांट करने का फैसला लिया।
रविवार को यह ट्रांसप्लांट दोपहर साढ़े बारह बजे पूरा हुआ। इसके बाद मरीज को कुछ देर के लिए सीटीवीएस विभाग के आईसीयू में रखा गया। मरीज की हालत में सुधार के बाद यहां से उन्हें नेफ्रोलॉजी विभाग के आईसीयू शिफ्ट किया गया। डॉक्टरों के मुताबिक मरीज दो सप्ताह से अधिक समय तक अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रहेगा। अस्पताल में यह पहला मौका है जब पत्नी ने पति को किडनी दान की है।
आईजीएमसी में ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. वीरेंद्र कुमार बंसल, एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश्वरी सुब्रमणहयम, डॉ. असुरी कृष्णा, डॉ. उमेश, आईजीएमसी नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. संजय विक्रांत, सहायक प्रोफेसर डॉ. अजय जरयाल, ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेटर दलीप ठाकुर, यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. पंपोश रैना, डॉ. कैलाश, डॉ. गिरीश, डॉ. मंजीत, एनेस्थीसिया विभाग डॉ. राजेश सूद, डॉक्टर अजय, डॉ. दारा सिंह, डॉ. कार्तिक स्याल, डॉ. स्वाति, डॉ. नेगी, डॉ. एकता और स्टाफ नर्स शालिनी, केतिका, नीतू, रेखा, पुष्पा, अमीता और जसवीर ने ऑपरेशन में सहयोग किया।
मां और पिता ने दान की थी किडनी
अस्पताल में 12 अगस्त को पहला किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था। अस्पताल में पहली मर्तबा दो ट्रांसप्लांट एक साथ किए गए थे। इसमें मंडी के नरेश को मां और शिमला की सुनीता को पिता ने किडनी दान की थी। यह ट्रांसप्लांट ऑपरेशन दस घंटों से भी अधिक समय तक चला था।
हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल एवं इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में रविवार को तीसरा किडनी ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक किया गया। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली से ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. वीरेंद्र कुमार बंसल और उनकी टीम ने कांगड़ा के जसूर के रहने वाले मंजीत (47) के गुर्दे का प्रत्यारोपण किया।
अस्पताल में सुबह साढ़े आठ बजे के करीब मरीज को नेफ्रोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अजय जरयाल की निगरानी में ऑपरेशन थियेटर पहुंचाया गया। यहां पर चार घंटे तक चले ट्रांसप्लांट में मंजीत की पत्नी सीमा (41) की किडनी को मरीज को प्रत्यारोपित किया गया। किडनी के ब्लड क्रॉस मैच टेस्ट के बाद डॉक्टरों ने यह ट्रांसप्लांट करने का फैसला लिया।
रविवार को यह ट्रांसप्लांट दोपहर साढ़े बारह बजे पूरा हुआ। इसके बाद मरीज को कुछ देर के लिए सीटीवीएस विभाग के आईसीयू में रखा गया। मरीज की हालत में सुधार के बाद यहां से उन्हें नेफ्रोलॉजी विभाग के आईसीयू शिफ्ट किया गया। डॉक्टरों के मुताबिक मरीज दो सप्ताह से अधिक समय तक अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रहेगा। अस्पताल में यह पहला मौका है जब पत्नी ने पति को किडनी दान की है।
इन डॉक्टरों ने किया किडनी ट्रांसप्लांट
आईजीएमसी में ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. वीरेंद्र कुमार बंसल, एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश्वरी सुब्रमणहयम, डॉ. असुरी कृष्णा, डॉ. उमेश, आईजीएमसी नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. संजय विक्रांत, सहायक प्रोफेसर डॉ. अजय जरयाल, ट्रांसप्लांट कोआर्डिनेटर दलीप ठाकुर, यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. पंपोश रैना, डॉ. कैलाश, डॉ. गिरीश, डॉ. मंजीत, एनेस्थीसिया विभाग डॉ. राजेश सूद, डॉक्टर अजय, डॉ. दारा सिंह, डॉ. कार्तिक स्याल, डॉ. स्वाति, डॉ. नेगी, डॉ. एकता और स्टाफ नर्स शालिनी, केतिका, नीतू, रेखा, पुष्पा, अमीता और जसवीर ने ऑपरेशन में सहयोग किया।
मां और पिता ने दान की थी किडनी
अस्पताल में 12 अगस्त को पहला किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था। अस्पताल में पहली मर्तबा दो ट्रांसप्लांट एक साथ किए गए थे। इसमें मंडी के नरेश को मां और शिमला की सुनीता को पिता ने किडनी दान की थी। यह ट्रांसप्लांट ऑपरेशन दस घंटों से भी अधिक समय तक चला था।