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ऐसे कई लोग मिले, जिनका यह आठवां-दसवां फुटबॉल विश्व कप है। उनका भी कहना था कि इंतजाम के नजरिये से ही नहीं... कुल मिला कर यह विश्व कप अप्रतिम रहा है। फेस-आईडी के जरिये रूसी राष्ट्रपति ने भारत की ही बात को दोहराया है- 'वसुधैव कुटुम्बकम्।'
लाहौर के पाकिस्तानी युवा मिले तो उनका कहना था- हम सोच भी नहीं सकते थे कि यहां कभी आने को मिलेगा। पांच साल से कोशिश कर रहे थे, लेकिन फेस-आईडी ने जैसे तश्तरी में वीजा रख कर दे दिया। और तो और, दुनिया के और हवाई अड्डों पर पाकिस्तानी जान कर ही ज्यादा झड़ती ली जाती है, लेकिन यहां तो आम सैलानियों जैसा बर्ताव ही मिला। दाढ़ी से अलग पहचाने जाते हैं, मगर यहां के लोगों से भी दोस्ताना बर्ताव मिला।
यहां के लोगों ने हम पर भरोसा किया और हमने भी जाना रूस के लोग वैसे नहीं हैं, जैसा कि पाकिस्तान में बैठ कर समझ आ रहा था। इंतजाम तो सभी मुल्क करते हैं, लेकिन रूस में जो भय का माहौल था, वह सिर्फ कागजी ही लगा। यहां की तैयारियों में कानून या अनुशासन के नाम पर कभी, कहीं डंडा नजर नहीं आया। यह नहीं कहता कि रूस कोई देवदूतों का देश है, लेकिन इस एक माह में इन लोगों ने रूस को नंदन-वन में तब्दील तो कर ही दिया।
यहीं के पत्रकार से जब पूछा कि क्या बात है, यहां कोई अपराध की खबर ही नजर नहीं आ रही है...तो उसने हंसते हुए जवाब दिया था- पुलिस की वजह से अपराध होते हैं और पुलिस चाहे तो अपराध होने ही न दे। यहां करीब चार महीने पहले से नामी गुंडों को हिदायत दे दी गई थी कि पुलिस की नाक का सवाल है...या तो शहर ही छोड़ दो या कभी बाहर मत निकलना, वरना सड़ते रहोगे जेल में। कैसा भी अपराधी हो, पुलिस की इतनी इज्जत तो करता ही है...सारे अपराधी इन ग्यारह शहरों से गायब हो गए। इसीलिए अपराध करने आसमान से तो कोई आएगा नहीं...।
मान लें... यह भी था, लेकिन यह बात आने वालों को कहां पता थी। अब तो वे सपरिवार आने की तैयारी में हैं कि यूं ही डर रहे थे रूस से...। यहां तो रूबल और रुपया भाई-भाई जैसे हैं, डॉलर या यूरो की तरह गुणा-भाग भी नहीं करना पड़ता है। फिर आम आदमी ऐसे कि पता पूछ लो तो घर तक छोड़ कर आ जाएं। सही मायने में रूस ने बाकी दुनिया के सामने अलग ही चेहरा पेश किया है और इसका फायदा रूस को कई साल मिलेगा।
ऐसे कई लोग मिले, जिनका यह आठवां-दसवां फुटबॉल विश्व कप है। उनका भी कहना था कि इंतजाम के नजरिये से ही नहीं... कुल मिला कर यह विश्व कप अप्रतिम रहा है। फेस-आईडी के जरिये रूसी राष्ट्रपति ने भारत की ही बात को दोहराया है- 'वसुधैव कुटुम्बकम्।'
लाहौर के पाकिस्तानी युवा मिले तो उनका कहना था- हम सोच भी नहीं सकते थे कि यहां कभी आने को मिलेगा। पांच साल से कोशिश कर रहे थे, लेकिन फेस-आईडी ने जैसे तश्तरी में वीजा रख कर दे दिया। और तो और, दुनिया के और हवाई अड्डों पर पाकिस्तानी जान कर ही ज्यादा झड़ती ली जाती है, लेकिन यहां तो आम सैलानियों जैसा बर्ताव ही मिला। दाढ़ी से अलग पहचाने जाते हैं, मगर यहां के लोगों से भी दोस्ताना बर्ताव मिला।
यहां के लोगों ने हम पर भरोसा किया और हमने भी जाना रूस के लोग वैसे नहीं हैं, जैसा कि पाकिस्तान में बैठ कर समझ आ रहा था। इंतजाम तो सभी मुल्क करते हैं, लेकिन रूस में जो भय का माहौल था, वह सिर्फ कागजी ही लगा। यहां की तैयारियों में कानून या अनुशासन के नाम पर कभी, कहीं डंडा नजर नहीं आया। यह नहीं कहता कि रूस कोई देवदूतों का देश है, लेकिन इस एक माह में इन लोगों ने रूस को नंदन-वन में तब्दील तो कर ही दिया।
यहीं के पत्रकार से जब पूछा कि क्या बात है, यहां कोई अपराध की खबर ही नजर नहीं आ रही है...तो उसने हंसते हुए जवाब दिया था- पुलिस की वजह से अपराध होते हैं और पुलिस चाहे तो अपराध होने ही न दे। यहां करीब चार महीने पहले से नामी गुंडों को हिदायत दे दी गई थी कि पुलिस की नाक का सवाल है...या तो शहर ही छोड़ दो या कभी बाहर मत निकलना, वरना सड़ते रहोगे जेल में। कैसा भी अपराधी हो, पुलिस की इतनी इज्जत तो करता ही है...सारे अपराधी इन ग्यारह शहरों से गायब हो गए। इसीलिए अपराध करने आसमान से तो कोई आएगा नहीं...।
मान लें... यह भी था, लेकिन यह बात आने वालों को कहां पता थी। अब तो वे सपरिवार आने की तैयारी में हैं कि यूं ही डर रहे थे रूस से...। यहां तो रूबल और रुपया भाई-भाई जैसे हैं, डॉलर या यूरो की तरह गुणा-भाग भी नहीं करना पड़ता है। फिर आम आदमी ऐसे कि पता पूछ लो तो घर तक छोड़ कर आ जाएं। सही मायने में रूस ने बाकी दुनिया के सामने अलग ही चेहरा पेश किया है और इसका फायदा रूस को कई साल मिलेगा।