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आगरा। पुलिस कप्तान शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में जिस पुलिस टीम की पीठ थपथपाने से थक नहीं रहे थे, उसकी कारगुजारियों की पोल चंद घंटे बाद ही लौटे व्यवसायी के पिता ने खोल दी। उनका कहना था कि पुलिस ने उनके बेटे से बल पूर्वक बयान दिलाए हैं। जबकि हकीकत में उनके बेटे के साथ अनहोनी हुई है। पुलिस जांच करने से बचने के लिए मामले को दबा रही है। उन्होंने कहा कि वह मामले की जांच के लिए पुलिस अधिकारियों से मुलाकात करेंगे।
छत्ता के कृष्णानगर जीवनी मंडी निवासी रिटायर्ड प्रोफेसर डीएन श्रीवास्तव ने बताया कि उनका पुत्र विशाल 15 जनवरी को आगरा से मथुरा के लिए निकला था, उसके बाद गायब हो गया था। इस संबंध में छत्ता में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि विशाल के मोबाइल पर संपर्क करने पर कोई महिला की आवाज आती थी। बेटे का एक दिन डाट पर फोन भी आया कि वह ट्रेन से आ रहा है। शुक्रवार को वह घर आ गया। सूचना पर इंस्पेक्टर छत्ता भी घर पहुंच गए। विशाल की जेब से दो टिकटें मिलीं। उनमें से एक 319 रुपये की एरनाकुलम स्टेशन की थी, जबकि दूसरी टिकट मंडगांव से आगरा कैंट की 281 रुपये की थी। इंस्पेक्टर छत्ता ने दोनों टिकट ले लीं और विशाल से कहा कि वह कहे की मानसिक तनाव के चलते वह चला गया था। गलती का एहसास हुआ तो वह लौट आया। उन्होंने इंस्पेक्टर का विरोध किया तो उसे एसएसपी निवास के बाहर ही रोक दिया गया और दबाव बना कर वह कहलवाया जो पुलिस चाहती थी। डीएन श्रीवास्तव ने बताया कि हकीकत यह है कि बेटे के पास उस दिन महज 60 रुपये थे। तो फिर उसने 319 रुपये की टिकट कहां से ले ली। उनका कहना है कि मथुरा में जिन चार लोगों के मकान का निर्माण कराए हैं, वह ही इसके पीछे हैं। कुछ दिनों पहले उनमें से एक ने विशाल को धमकी भरा मैसेज भी दिया था। यह वही व्यक्ति है जिसने 15 जनवरी को सुबह दस बजे बेटे को संजय प्लेस बुलाया था। पुलिस मामले को दबा रही है। उन्होंने कहा कि जिसे पुलिस कर्जा बता रही है, वह व्यापार है। सामान अगर विशाल को देना है तो रुपये उसे मिलने भी हैं।
आगरा। पुलिस कप्तान शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में जिस पुलिस टीम की पीठ थपथपाने से थक नहीं रहे थे, उसकी कारगुजारियों की पोल चंद घंटे बाद ही लौटे व्यवसायी के पिता ने खोल दी। उनका कहना था कि पुलिस ने उनके बेटे से बल पूर्वक बयान दिलाए हैं। जबकि हकीकत में उनके बेटे के साथ अनहोनी हुई है। पुलिस जांच करने से बचने के लिए मामले को दबा रही है। उन्होंने कहा कि वह मामले की जांच के लिए पुलिस अधिकारियों से मुलाकात करेंगे।
छत्ता के कृष्णानगर जीवनी मंडी निवासी रिटायर्ड प्रोफेसर डीएन श्रीवास्तव ने बताया कि उनका पुत्र विशाल 15 जनवरी को आगरा से मथुरा के लिए निकला था, उसके बाद गायब हो गया था। इस संबंध में छत्ता में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि विशाल के मोबाइल पर संपर्क करने पर कोई महिला की आवाज आती थी। बेटे का एक दिन डाट पर फोन भी आया कि वह ट्रेन से आ रहा है। शुक्रवार को वह घर आ गया। सूचना पर इंस्पेक्टर छत्ता भी घर पहुंच गए। विशाल की जेब से दो टिकटें मिलीं। उनमें से एक 319 रुपये की एरनाकुलम स्टेशन की थी, जबकि दूसरी टिकट मंडगांव से आगरा कैंट की 281 रुपये की थी। इंस्पेक्टर छत्ता ने दोनों टिकट ले लीं और विशाल से कहा कि वह कहे की मानसिक तनाव के चलते वह चला गया था। गलती का एहसास हुआ तो वह लौट आया। उन्होंने इंस्पेक्टर का विरोध किया तो उसे एसएसपी निवास के बाहर ही रोक दिया गया और दबाव बना कर वह कहलवाया जो पुलिस चाहती थी। डीएन श्रीवास्तव ने बताया कि हकीकत यह है कि बेटे के पास उस दिन महज 60 रुपये थे। तो फिर उसने 319 रुपये की टिकट कहां से ले ली। उनका कहना है कि मथुरा में जिन चार लोगों के मकान का निर्माण कराए हैं, वह ही इसके पीछे हैं। कुछ दिनों पहले उनमें से एक ने विशाल को धमकी भरा मैसेज भी दिया था। यह वही व्यक्ति है जिसने 15 जनवरी को सुबह दस बजे बेटे को संजय प्लेस बुलाया था। पुलिस मामले को दबा रही है। उन्होंने कहा कि जिसे पुलिस कर्जा बता रही है, वह व्यापार है। सामान अगर विशाल को देना है तो रुपये उसे मिलने भी हैं।