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बदलती जीवन शैली से हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन कासगंज जिले के स्वास्थ्य विभाग के पास उपचार के इंतजाम नहीं हैं। जिले में कोई भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है और न ही कोई संसाधन। स्वास्थ्य केंद्रों और किसी निजी चिकित्सालयों में पहुंचने वाले हृदय रोगियों को यहां से रेफर कर दिया जाता है। जिले में कई हृदय रोगी तत्काल उपचार न मिलने पर दम तोड़ चुके हैं।
उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च कोलस्ट्रोल स्तर हृदयरोग का प्रमुख कारण माना जाता है। कासगंज के सरकारी अस्पतालों में 20 से 25 हृदयरोगी प्रतिदिन पहुंचते हैं, लेकिन सुविधा न होने के कारण मरीजों को दूसरे शहरों में रेफर कर दिया जाता है।
आंकड़ों की नजर से-
- जिले में 5 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं।
- दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं।
- 29 सरकारी चिकित्सक हैं।
- 55 निजी चिकित्सक हैं।
- 40 फीसद तक युवा वर्ग के पाए जा रहे हैं हृदय रोगी
केस-1
दो महीने पहले सोरों के गांव फतेहपुर निवासी डीके त्रिपाठी की मौत हृदयघात से हुई। सीने में तेज दर्द हुआ। उन्हें इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया, वहां उन्होंने दम तोड़ दिया। यदि त्वरित उपचार मिलता तो जान बच जाती।
केस-2
पिछले वर्ष मई माह में कासगंज में तैनात पुलिस के एएसआई नरेंद्र भदौरिया की मौत भी हृदयघात से हुई थी। अचानक उनके सीने में दर्द हुआ था, उन्हें बेहतर उपचार नहीं मिल सका। उपचार अभाव में उनकी जान भी चली गई।
ऐसे रखें दिल का ख्याल
- प्रतिदिन सुबह व्यायाम करें
- खानपान का विशेष ध्यान रखें
- फास्ट फूड के सेवन से करें परहेज
- हरी व पत्तेदार सब्जियां अधिक खाएं
- सीने में हल्के दर्द को लें गंभीरता से, चिकित्सक से परामर्श लें
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. प्रतिमा श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में हृदय रोग विशेष तैनात नहीं हैं। जो सामान्य चिकित्सक हैं, वे ही हृदय रोगियों का प्राथमिक उपचार करते हैं। यदि समस्या अधिक होती है तो रोगी को रेफर कर दिया जाता है। हमने विशेषज्ञों के लिए शासन को पत्र भी लिखा है। जो हृदय रोगी पाए जा रहे हैं, उनमें 40 फीसद युवा वर्ग के हैं।
सार
- कासगंज जिले में नहीं है हृदयरोगी के उपचार की व्यवस्था, सरकारी-निजी चिकित्सालय से मरीज कर दिए जाते हैं रेफर
विस्तार
बदलती जीवन शैली से हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन कासगंज जिले के स्वास्थ्य विभाग के पास उपचार के इंतजाम नहीं हैं। जिले में कोई भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है और न ही कोई संसाधन। स्वास्थ्य केंद्रों और किसी निजी चिकित्सालयों में पहुंचने वाले हृदय रोगियों को यहां से रेफर कर दिया जाता है। जिले में कई हृदय रोगी तत्काल उपचार न मिलने पर दम तोड़ चुके हैं।
उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च कोलस्ट्रोल स्तर हृदयरोग का प्रमुख कारण माना जाता है। कासगंज के सरकारी अस्पतालों में 20 से 25 हृदयरोगी प्रतिदिन पहुंचते हैं, लेकिन सुविधा न होने के कारण मरीजों को दूसरे शहरों में रेफर कर दिया जाता है।
आंकड़ों की नजर से-
- जिले में 5 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं।
- दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं।
- 29 सरकारी चिकित्सक हैं।
- 55 निजी चिकित्सक हैं।
- 40 फीसद तक युवा वर्ग के पाए जा रहे हैं हृदय रोगी
मिलता इलाज तो बच जाती जान
केस-1
दो महीने पहले सोरों के गांव फतेहपुर निवासी डीके त्रिपाठी की मौत हृदयघात से हुई। सीने में तेज दर्द हुआ। उन्हें इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया, वहां उन्होंने दम तोड़ दिया। यदि त्वरित उपचार मिलता तो जान बच जाती।
केस-2
पिछले वर्ष मई माह में कासगंज में तैनात पुलिस के एएसआई नरेंद्र भदौरिया की मौत भी हृदयघात से हुई थी। अचानक उनके सीने में दर्द हुआ था, उन्हें बेहतर उपचार नहीं मिल सका। उपचार अभाव में उनकी जान भी चली गई।
ऐसे रखें दिल का ख्याल
- प्रतिदिन सुबह व्यायाम करें
- खानपान का विशेष ध्यान रखें
- फास्ट फूड के सेवन से करें परहेज
- हरी व पत्तेदार सब्जियां अधिक खाएं
- सीने में हल्के दर्द को लें गंभीरता से, चिकित्सक से परामर्श लें
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. प्रतिमा श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में हृदय रोग विशेष तैनात नहीं हैं। जो सामान्य चिकित्सक हैं, वे ही हृदय रोगियों का प्राथमिक उपचार करते हैं। यदि समस्या अधिक होती है तो रोगी को रेफर कर दिया जाता है। हमने विशेषज्ञों के लिए शासन को पत्र भी लिखा है। जो हृदय रोगी पाए जा रहे हैं, उनमें 40 फीसद युवा वर्ग के हैं।