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गोंडा। बढ़ती महंगाई के बीच दाल की कीमतों ने आम आदमी को पहले से ही बेहाल कर रखा है। ऐसे में सब्जियों की आसमान छूती कीमतों ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। दो सौ से तीन सौ रुपये की दैनिक मजदूरी करने वाले आम नागरिक की थाली से दाल पहले ही गायब हो चुकी थी। अब गरीबों की सब्जी माना जाने वाला आलू और प्याज भी आम आदमी की पहुंच से दूर हो गया है। एक महीना पहले 14 से 15 रुपये किलो बिकने वाला आलू 40 से 45 रुपये पहुंच गया है। तो वहीं सभी तरह की सब्जियों के साथ मिक्स होने वाला प्याज खुले बाजार मे 60-70 रुपये किलो तक बिक रहा है। इन दोनों सब्जियों की बढ़ी हुई कीमतों ने आम आदमी की टेंशन बढ़ा दी है। ऐसे में अब गरीब जनमानस मेथी, सोया व पालक जैसे सागों की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहा है। लेकिन इस समय उसका भी दाम आसमान छू रहा है।
जमाखोरी से बढ़ रही कीमतें
गोंडा। सब्जियों की लगातार बढ़ रही कीमतों के पीछे सबसे बड़ा कारण आलू व प्याज की जमाखोरी है। लोगों का कहना है कि आढ़तियों की जमाखोरी से यह समस्या हुई है। लोगों को राहत दिलाने के लिए प्रशासन को इन पर प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं आढ़ती सब्जियों की आवक में कमी और ट्रांसपोर्टेशन को बड़ा कारण मानते हैं।
दाल का कीमतों पर एक नजर (खुदरा बिक्री)-रुपये प्रति किलो में
दाल कीमत
उड़द 130-140
अरहर 110-120
मटर 70-75
मूंग 100
मसूर 70-75
चना 65-70
सब्जी की कीमतों पर एक नजर( खुदरा बिक्री)-रुपये प्रति किलो में
प्याज 60-70
आलू 40-45
टमाटर 60-70
शिमला मिर्च 50-60
परवर 70-80
गोभी 70-80
करेला 40-50
भिंडी 30-40
तरोई 30-35
हरा मिर्चा 70-80
सब्जियों की बढ़ी कीमत से फीका हुआ खाने का स्वाद
सब्जियों के दाम में दिनों दिन बढ़ती महंगाई ने आम आदमी के भोजन का स्वाद फीका बना दिया है। हरी सब्जियों से लेकर प्याज टमाटर तक सामान्य कीमतों की तुलना में विगत दो महीने के दौरान दुगनी कीमतें बढ़ी हैं। इन दिनों टमाटर 60-70 रुपये किलो, आलू व तरोई 30-35 रुपये किलो, अदरख व हरी मिर्च 80 रुपये किलो व शिमला मिर्च 50-60 रुपये किलो में बिक रहा है। सब्जियों के साथ अरहर की दाल व उड़द की दाल ने आम आदमी की दुश्वारियां बढ़ा दी हैं। आम उपभोक्ताओं की शिकायत है कि आढ़तियों की जमाखोरी से आलू व प्याज की भरपूर पैदावार होने के बावजूद सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं। लौकी और भिंडी ही कभी कभार बीस से तीस रुपये किलो में मिल जाती हैं। गोभी की आवक कम होने से तीस से पचास रुपये प्रति फूल खरीद पाना सामान्य लोगों के लिए एक सपना है।
महंगाई पर अंकुश के लिए प्रशासन उठाए कदम
सब्जियों और दाल की महंगाई से जूझ रहे लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि महंगाई पर अंकुश के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। नरायनपुर मर्दन के बृजमोहन शुक्ल कहते हैं कि सब्जी और दाल दोनो महंगे होने से समस्या अधिक है। इसे दूर करने के लिए प्रशासन जमाखोरों के विरुद्ध कार्रवाई करे। खिरिया गांव के राम सिंह कहते हैं कि बड़े व्यापारी जानबूझकर महंगाई पैदा किए हैं। चांदपुर के डॉक्टर समीर चक्रवर्ती कहते हैं कि जमा किए सामग्री को बाहर किया जाए तो महंगाई रुक सकती है।
गोंडा। बढ़ती महंगाई के बीच दाल की कीमतों ने आम आदमी को पहले से ही बेहाल कर रखा है। ऐसे में सब्जियों की आसमान छूती कीमतों ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। दो सौ से तीन सौ रुपये की दैनिक मजदूरी करने वाले आम नागरिक की थाली से दाल पहले ही गायब हो चुकी थी। अब गरीबों की सब्जी माना जाने वाला आलू और प्याज भी आम आदमी की पहुंच से दूर हो गया है। एक महीना पहले 14 से 15 रुपये किलो बिकने वाला आलू 40 से 45 रुपये पहुंच गया है। तो वहीं सभी तरह की सब्जियों के साथ मिक्स होने वाला प्याज खुले बाजार मे 60-70 रुपये किलो तक बिक रहा है। इन दोनों सब्जियों की बढ़ी हुई कीमतों ने आम आदमी की टेंशन बढ़ा दी है। ऐसे में अब गरीब जनमानस मेथी, सोया व पालक जैसे सागों की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहा है। लेकिन इस समय उसका भी दाम आसमान छू रहा है।
जमाखोरी से बढ़ रही कीमतें
गोंडा। सब्जियों की लगातार बढ़ रही कीमतों के पीछे सबसे बड़ा कारण आलू व प्याज की जमाखोरी है। लोगों का कहना है कि आढ़तियों की जमाखोरी से यह समस्या हुई है। लोगों को राहत दिलाने के लिए प्रशासन को इन पर प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं आढ़ती सब्जियों की आवक में कमी और ट्रांसपोर्टेशन को बड़ा कारण मानते हैं।
दाल का कीमतों पर एक नजर (खुदरा बिक्री)-रुपये प्रति किलो में
दाल कीमत
उड़द 130-140
अरहर 110-120
मटर 70-75
मूंग 100
मसूर 70-75
चना 65-70
सब्जी की कीमतों पर एक नजर( खुदरा बिक्री)-रुपये प्रति किलो में
प्याज 60-70
आलू 40-45
टमाटर 60-70
शिमला मिर्च 50-60
परवर 70-80
गोभी 70-80
करेला 40-50
भिंडी 30-40
तरोई 30-35
हरा मिर्चा 70-80
सब्जियों की बढ़ी कीमत से फीका हुआ खाने का स्वाद
सब्जियों के दाम में दिनों दिन बढ़ती महंगाई ने आम आदमी के भोजन का स्वाद फीका बना दिया है। हरी सब्जियों से लेकर प्याज टमाटर तक सामान्य कीमतों की तुलना में विगत दो महीने के दौरान दुगनी कीमतें बढ़ी हैं। इन दिनों टमाटर 60-70 रुपये किलो, आलू व तरोई 30-35 रुपये किलो, अदरख व हरी मिर्च 80 रुपये किलो व शिमला मिर्च 50-60 रुपये किलो में बिक रहा है। सब्जियों के साथ अरहर की दाल व उड़द की दाल ने आम आदमी की दुश्वारियां बढ़ा दी हैं। आम उपभोक्ताओं की शिकायत है कि आढ़तियों की जमाखोरी से आलू व प्याज की भरपूर पैदावार होने के बावजूद सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं। लौकी और भिंडी ही कभी कभार बीस से तीस रुपये किलो में मिल जाती हैं। गोभी की आवक कम होने से तीस से पचास रुपये प्रति फूल खरीद पाना सामान्य लोगों के लिए एक सपना है।
महंगाई पर अंकुश के लिए प्रशासन उठाए कदम
सब्जियों और दाल की महंगाई से जूझ रहे लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि महंगाई पर अंकुश के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। नरायनपुर मर्दन के बृजमोहन शुक्ल कहते हैं कि सब्जी और दाल दोनो महंगे होने से समस्या अधिक है। इसे दूर करने के लिए प्रशासन जमाखोरों के विरुद्ध कार्रवाई करे। खिरिया गांव के राम सिंह कहते हैं कि बड़े व्यापारी जानबूझकर महंगाई पैदा किए हैं। चांदपुर के डॉक्टर समीर चक्रवर्ती कहते हैं कि जमा किए सामग्री को बाहर किया जाए तो महंगाई रुक सकती है।