न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Updated Mon, 16 Nov 2020 10:27 AM IST
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उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में दीपावली के दिन एक परिवार की खुशियों को ग्रहण लग गया। जन्म लेने के 24 घंटे के भीतर आईसीयू में रखे गए नवजात बच्चे ने शनिवार को दम तोड़ दिया। बच्चे की मौत से गुस्साए परिजनों ने हंगामा काटा। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल ने पैसे लूटने के लिए बच्चे को बेवजह आईसीयू में रखा।
जिसका खर्च उठाने में बच्चे के परिवार को घर के जेवर और खेत गिरवी रखने पड़े। मामले की जानकारी पर पुलिस मौके पर पहुंची और अंतिम संस्कार की रकम देकर मामले को रफा-दफा कराया। खागा तहसील क्षेत्र के ऐलई गांव निवासी राजकुमार की पत्नी माया देवी ने 15 अक्टूबर को एक हॉस्पिटल में बच्चा जन्मा था।
नवजात की हालत अच्छी ना होने पर परिजनों ने शहर के एक नामी-गिरामी बच्चा अस्पताल में 16 अक्टूबर को भर्ती कराया था। आरोप है कि बच्चे को 18 अक्तूबर को दिखाया गया। बाकी के दिनों में केवल शाम 5:00 बजे वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाई जाती रही। अस्पताल की ओर से बच्चे के स्वस्थ होने की बात कही जाती रही।
जान सलामती को लेकर यह परिवार रोजाना 11000 का आईसीयू समेत अन्य खर्च बर्दाश्त करता रहा। राजकुमार ने बताया कि इलाज के लिए उन्होंने जेवर और खेत तक गिरवी रख दिया। 13 नवंबर को अस्पताल के डॉक्टर ने खून की कमी बताकर इसकी व्यवस्था करने को कहा। जिस पर खून दे दिया गया।
बकौल राजकुमार, घंटे भर बाद बच्चे की हालत सीरियस बता कर उसे कानपुर ले जाने को कहा गया, परिजन ले जाने का इंतजाम कर ही रहे थे कि कुछ देर बाद बच्चे की मौत की जानकारी दी गई। इस पर रविवार सुबह उनका गुस्सा अस्पताल पर फूट पड़ा। परिजनों का आक्रोश देख नर्सिंग होम के लोग सहम गए। बच्चे की मौत पर हंगामे की जानकारी पर कोतवाल मौके पर पहुंचे।
उन्होंने परिजनों और अस्पताल संचालक चिकित्सक से बात की। काफी देर तक तनातनी का माहौल रहा। अस्पताल 3,50,000 का खर्च मांगा जा रहा था। काफी देर चले हो हल्ले के बाद अस्पताल की ओर से परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए रकम उपलब्ध करा दी गई। जिसके बाद परिजन चले गए।
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में दीपावली के दिन एक परिवार की खुशियों को ग्रहण लग गया। जन्म लेने के 24 घंटे के भीतर आईसीयू में रखे गए नवजात बच्चे ने शनिवार को दम तोड़ दिया। बच्चे की मौत से गुस्साए परिजनों ने हंगामा काटा। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल ने पैसे लूटने के लिए बच्चे को बेवजह आईसीयू में रखा।
जिसका खर्च उठाने में बच्चे के परिवार को घर के जेवर और खेत गिरवी रखने पड़े। मामले की जानकारी पर पुलिस मौके पर पहुंची और अंतिम संस्कार की रकम देकर मामले को रफा-दफा कराया। खागा तहसील क्षेत्र के ऐलई गांव निवासी राजकुमार की पत्नी माया देवी ने 15 अक्टूबर को एक हॉस्पिटल में बच्चा जन्मा था।
नवजात की हालत अच्छी ना होने पर परिजनों ने शहर के एक नामी-गिरामी बच्चा अस्पताल में 16 अक्टूबर को भर्ती कराया था। आरोप है कि बच्चे को 18 अक्तूबर को दिखाया गया। बाकी के दिनों में केवल शाम 5:00 बजे वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाई जाती रही। अस्पताल की ओर से बच्चे के स्वस्थ होने की बात कही जाती रही।
जान सलामती को लेकर यह परिवार रोजाना 11000 का आईसीयू समेत अन्य खर्च बर्दाश्त करता रहा। राजकुमार ने बताया कि इलाज के लिए उन्होंने जेवर और खेत तक गिरवी रख दिया। 13 नवंबर को अस्पताल के डॉक्टर ने खून की कमी बताकर इसकी व्यवस्था करने को कहा। जिस पर खून दे दिया गया।
बकौल राजकुमार, घंटे भर बाद बच्चे की हालत सीरियस बता कर उसे कानपुर ले जाने को कहा गया, परिजन ले जाने का इंतजाम कर ही रहे थे कि कुछ देर बाद बच्चे की मौत की जानकारी दी गई। इस पर रविवार सुबह उनका गुस्सा अस्पताल पर फूट पड़ा। परिजनों का आक्रोश देख नर्सिंग होम के लोग सहम गए। बच्चे की मौत पर हंगामे की जानकारी पर कोतवाल मौके पर पहुंचे।
उन्होंने परिजनों और अस्पताल संचालक चिकित्सक से बात की। काफी देर तक तनातनी का माहौल रहा। अस्पताल 3,50,000 का खर्च मांगा जा रहा था। काफी देर चले हो हल्ले के बाद अस्पताल की ओर से परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए रकम उपलब्ध करा दी गई। जिसके बाद परिजन चले गए।