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नागरिकता संशोधन कानून को देश की धर्मनिरपेक्षता और संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए उलमा ने सीएए और एनआरसी की तत्काल वापसी की मांग की। इसके साथ ही सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसक घटनाओं को शरीअत के खिलाफ बताया।
जमीअत उलमा के प्रदेश अध्यक्ष शहर काजी मौलाना मतीनुल हक ओसामा ने कहा कि तोड़फोड़ हिंसा गैर कानूनी तो है ही, यह शरीअत विरोधी भी है। बैठक में उलमा के साथ 60 मस्जिदों के पेश इमामों ने शिरकत की। उलमा की बैठक रज्बी रोड स्थित जमीअत बिल्डिंग में हुई।
इसमें कहा गया कि भाईचारा, शांति और हिंदू-मुस्लिम एकजुटता देश की ताकत है, हम इसकी रक्षा करेंगे। हिंसा, पत्थरबाजी या आगजनी की अनुमति किसी को नहीं है। हिंसा हमें नुकसान पहुंचाती है। विरोध और शांतिपूर्ण रैलियां जारी रखें और सरकार तक अपनी बात पहुंचाते रहें।
आप खुद भी और जनता को भी अफवाहों से बचाएं। उलमा ने एकमत होकर कहा कि हम जनता से किसी भी तरह की हिंसा से बचने की अपील करते हैं। बैठक में मौलाना मुहम्मद शफी मजाहिरी, मुफ्ती इकबाल अहमद कासमी, मुफ्ती अब्दुर्रशीद कासमी, मौलाना मो. अकरम जमाई, मौलाना मो. इनामुल्लाह कासमी, मौलाना मो. अनीस खां कासमी, मौलाना कलीम अहमद जमाई मौजूद थे।
नागरिकता संशोधन कानून को देश की धर्मनिरपेक्षता और संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताते हुए उलमा ने सीएए और एनआरसी की तत्काल वापसी की मांग की। इसके साथ ही सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसक घटनाओं को शरीअत के खिलाफ बताया।
जमीअत उलमा के प्रदेश अध्यक्ष शहर काजी मौलाना मतीनुल हक ओसामा ने कहा कि तोड़फोड़ हिंसा गैर कानूनी तो है ही, यह शरीअत विरोधी भी है। बैठक में उलमा के साथ 60 मस्जिदों के पेश इमामों ने शिरकत की। उलमा की बैठक रज्बी रोड स्थित जमीअत बिल्डिंग में हुई।
इसमें कहा गया कि भाईचारा, शांति और हिंदू-मुस्लिम एकजुटता देश की ताकत है, हम इसकी रक्षा करेंगे। हिंसा, पत्थरबाजी या आगजनी की अनुमति किसी को नहीं है। हिंसा हमें नुकसान पहुंचाती है। विरोध और शांतिपूर्ण रैलियां जारी रखें और सरकार तक अपनी बात पहुंचाते रहें।
आप खुद भी और जनता को भी अफवाहों से बचाएं। उलमा ने एकमत होकर कहा कि हम जनता से किसी भी तरह की हिंसा से बचने की अपील करते हैं। बैठक में मौलाना मुहम्मद शफी मजाहिरी, मुफ्ती इकबाल अहमद कासमी, मुफ्ती अब्दुर्रशीद कासमी, मौलाना मो. अकरम जमाई, मौलाना मो. इनामुल्लाह कासमी, मौलाना मो. अनीस खां कासमी, मौलाना कलीम अहमद जमाई मौजूद थे।