पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ललितपुर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने में अभी समय है, लेकिन ग्रामीण इलाकों की समस्याएं अभी से सामने आने लगी हैं। चुुनाव की तैयारी कर रहे ग्रामीण गांव के हितैषी और जनसेवक बनकर विभिन्न योजनाओं के तहत कराए गए कार्यों में कमियां निकाल रहे हैं। शिकायतकर्ता ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव पर आरोप लगाकर जांच के लिए कलेक्ट्रेट में आवेदन कर रहे हैं। सर्वाधिक गड़बड़ियों में जांच का मामले नाली, खड़ंजा और मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों को लेकर है। ग्रामीणों के हितैषी बनने वालों में युवाओं की संख्या अधिक है।
लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई ग्राम पंचायत होती है। ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। आने वाले समय में पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। ऐसे में ग्रामीण इलाकों में अभी से अघोषित चुनाव प्रचार अभियान का शुभारंभ हो चुका है। चुनावी तैयारियों के क्रम में संभावित प्रत्याशियों ने मौजूदा ग्राम प्रधानों के खिलाफ एक प्रकार से मोर्चा ही खोल दिया है। बीते साढ़े चार वर्षों में जिन्हें गांव के लोगों और उनकी समस्याओं से कोई सरोकार नहीं था, अब वह खुद को जनसेवक साबित करने के लिए विकास कार्यों में अनियमितताओं की कलई खोलने में लग गए हैं।
ऐसे लोग प्रतिदिन जिला मुख्यालय आकर ग्राम पंचायतों में कराए गए कार्यों सड़क निर्माण, नाली निर्माण, शौचालय निर्माण, प्रधानमंत्री आवास निर्माण, विधवा, वृद्धा पेंशन, राशन वितरण की गड़बड़ियों मनरेगा में हुई गड़बड़ियों आदि को लेकर प्रशासनिक अफसरों का ध्यान आकृष्ट कराने में जुटे हुए हैं।
------
जनशिकायतें आ रही हैं और उनकी जांच कराकर कार्रवाई भी कराई जा रही है। औसतन तीन से चार शिकायतें प्रतिदिन आ रही हैं, जिन्हें जांच और समाधान के लिए संबंधित विभाग को दे दिया जा रहा है।
- ए. दिनेश कुमार, जिलाधिकारी
ललितपुर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने में अभी समय है, लेकिन ग्रामीण इलाकों की समस्याएं अभी से सामने आने लगी हैं। चुुनाव की तैयारी कर रहे ग्रामीण गांव के हितैषी और जनसेवक बनकर विभिन्न योजनाओं के तहत कराए गए कार्यों में कमियां निकाल रहे हैं। शिकायतकर्ता ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव पर आरोप लगाकर जांच के लिए कलेक्ट्रेट में आवेदन कर रहे हैं। सर्वाधिक गड़बड़ियों में जांच का मामले नाली, खड़ंजा और मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों को लेकर है। ग्रामीणों के हितैषी बनने वालों में युवाओं की संख्या अधिक है।
लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई ग्राम पंचायत होती है। ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। आने वाले समय में पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। ऐसे में ग्रामीण इलाकों में अभी से अघोषित चुनाव प्रचार अभियान का शुभारंभ हो चुका है। चुनावी तैयारियों के क्रम में संभावित प्रत्याशियों ने मौजूदा ग्राम प्रधानों के खिलाफ एक प्रकार से मोर्चा ही खोल दिया है। बीते साढ़े चार वर्षों में जिन्हें गांव के लोगों और उनकी समस्याओं से कोई सरोकार नहीं था, अब वह खुद को जनसेवक साबित करने के लिए विकास कार्यों में अनियमितताओं की कलई खोलने में लग गए हैं।
ऐसे लोग प्रतिदिन जिला मुख्यालय आकर ग्राम पंचायतों में कराए गए कार्यों सड़क निर्माण, नाली निर्माण, शौचालय निर्माण, प्रधानमंत्री आवास निर्माण, विधवा, वृद्धा पेंशन, राशन वितरण की गड़बड़ियों मनरेगा में हुई गड़बड़ियों आदि को लेकर प्रशासनिक अफसरों का ध्यान आकृष्ट कराने में जुटे हुए हैं।
------
जनशिकायतें आ रही हैं और उनकी जांच कराकर कार्रवाई भी कराई जा रही है। औसतन तीन से चार शिकायतें प्रतिदिन आ रही हैं, जिन्हें जांच और समाधान के लिए संबंधित विभाग को दे दिया जा रहा है।
- ए. दिनेश कुमार, जिलाधिकारी