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बीएचयू में काशी मंथन की ओर से आयोजित परिचर्चा में वसुधैव कुटुंबकम पर विस्तृत चर्चा की गई। इस दौरान नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर भी वक्ताओं ने बहस की और इससे जुड़ी भ्रांतियों से दूर रहने का आह्वान किया।
मुख्य वक्ता केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर देश में चल रहे आंदोलन पर बेबाकी से अपनी राय रखी। राज्यपाल ने कहा कि नफरत के सहारे आंदोलन चल सकता है देश नहीं, इस बात को लोगों को समझना होगा।
उन्होंने कहा कि भारत ने तो हमेशा से ही पीडि़तों को खुले मन से स्वीकारते हुए अपने यहां शरण दिया है। नागरिकता कानून को समय के अनुसार लिया गया सही फैसला बताते हुए कहा कि यह आजादी के दौर के हमारे तमाम नेताओं के वादे को पूरा करता है।
चाहें नेहरू हों, गांधी हों पटेल या फिर अन्य नेता सबने बंटवारे को ना चाहते हुए भी स्वीकारा था। भविष्य के संशयों को देखते हुए उन लोगों ने तब ही कहा था कि हमारे दरवाजे हमेशा सभी के लिए खुले रहेंगे। नागरिकता का यह कानून उनके इन्हीं वादों को पूरा करता है।
सवालों के दिए जवाब
काशी मंथन के संयोजक मयंक नारायण सिंह ने आरिफ मोहम्मद खान से सवाल जवाब किया। इस दौरान केरल के कुछ युवाओं का पिछले सालों में आईएसआईएस में बढ़े रुझान के सवालों पर जवाब देते हुए खान ने बताया कि केरल के आबादी की तुलना में जो युवा आईएसआईएस से जुड़े वो नगण्य है। इस दौरान प्रो. दिनेश चंद्र राय ने आरिफ मोहम्मद खान को शाल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
हर देश में बनता है नागरिकों का रजिस्टर
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इस देश में अपनी बात रखने का सभी को अधिकार है और उन्हें बात रखनी भी चाहिए। प्राय: यह देखा जा रहा है कि कुछ जगहों पर लोग दुर्भावना या पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। हर देश अपने यहां रहने वाले नागरिकों का रजिस्टर बनाते हैं। यहां भी ऐसा ही हो रहा है।
बीएचयू में काशी मंथन की ओर से आयोजित परिचर्चा में वसुधैव कुटुंबकम पर विस्तृत चर्चा की गई। इस दौरान नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी पर भी वक्ताओं ने बहस की और इससे जुड़ी भ्रांतियों से दूर रहने का आह्वान किया।
मुख्य वक्ता केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर देश में चल रहे आंदोलन पर बेबाकी से अपनी राय रखी। राज्यपाल ने कहा कि नफरत के सहारे आंदोलन चल सकता है देश नहीं, इस बात को लोगों को समझना होगा।
उन्होंने कहा कि भारत ने तो हमेशा से ही पीडि़तों को खुले मन से स्वीकारते हुए अपने यहां शरण दिया है। नागरिकता कानून को समय के अनुसार लिया गया सही फैसला बताते हुए कहा कि यह आजादी के दौर के हमारे तमाम नेताओं के वादे को पूरा करता है।
चाहें नेहरू हों, गांधी हों पटेल या फिर अन्य नेता सबने बंटवारे को ना चाहते हुए भी स्वीकारा था। भविष्य के संशयों को देखते हुए उन लोगों ने तब ही कहा था कि हमारे दरवाजे हमेशा सभी के लिए खुले रहेंगे। नागरिकता का यह कानून उनके इन्हीं वादों को पूरा करता है।
आरिफ मोहम्मद खान
- फोटो : अमर उजाला
सवालों के दिए जवाब
काशी मंथन के संयोजक मयंक नारायण सिंह ने आरिफ मोहम्मद खान से सवाल जवाब किया। इस दौरान केरल के कुछ युवाओं का पिछले सालों में आईएसआईएस में बढ़े रुझान के सवालों पर जवाब देते हुए खान ने बताया कि केरल के आबादी की तुलना में जो युवा आईएसआईएस से जुड़े वो नगण्य है। इस दौरान प्रो. दिनेश चंद्र राय ने आरिफ मोहम्मद खान को शाल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
हर देश में बनता है नागरिकों का रजिस्टर
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इस देश में अपनी बात रखने का सभी को अधिकार है और उन्हें बात रखनी भी चाहिए। प्राय: यह देखा जा रहा है कि कुछ जगहों पर लोग दुर्भावना या पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। हर देश अपने यहां रहने वाले नागरिकों का रजिस्टर बनाते हैं। यहां भी ऐसा ही हो रहा है।