मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) महासचिव सीताराम येचुरी ने रविवार को कहा कि आरएसएस-भाजपा की सांप्रदायिक गतिविधि को रोकने के लिए यह जरूरी है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में पहले तृणमूल कांग्रेस को हराया जाए।
1 मार्च 2021
गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग (जीएफसीसी) के मुख्यालय को कहीं और भेजे जाने की अटकलों के बीच बिहार सरकार के एक मंत्री ने बयान दिया है। दरअसल, बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने रविवार को कहा कि गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग (जीएफसीसी) का मुख्यालय उत्तर प्रदेश ले जाने की केंद्र सरकार की कोई योजना नहीं है।
झा ने कहा कि उन्होंने जीएफसीसी का मुख्यालय पटना से लखनऊ स्थानांतरित करने की खबरों पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से बातचीत की है। उन्होंने कहा, "शेखावत ने बताया है कि मंत्रालय में ऐसी कोई योजना नहीं है।" झा ने कहा कि उन्होंने मीडिया के एक हिस्से में आई खबरों की पृष्ठभूमि में इस विषय पर केंद्रीय मंत्री से बात की।
दरअसल, खबरों में जीएफसीसी के अध्यक्ष के हवाले से कहा गया है कि आयोग का मुख्यालय दो महीने में लखनऊ स्थानांतरित कर दिया जाएगा। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के तहत आने वाली जीएफसीसी का 1972 से पटना में मुख्यालय है। आयोग का काम गंगा बेसिन राज्यों में बाढ़ और उसके प्रबंधन की देखरेख करना है।
गंगा बेसिन राज्यों में बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और पश्चिम बंगाल आते हैं। झा ने कहा कि शेखावत ने मुख्यालय को स्थानांतरित किये जाने संबंधी कोई प्रस्ताव होने को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है।
उन्होंने कहा कि शेखावत ने यह भी वादा किया है कि वह मुख्यालय के स्थानंतरण के संबंध में आयोग के अध्यक्ष के बयान को देखेंगे।
केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधिक कार्यकर्ताओं द्वारा न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया में आपत्तिजनक टिप्पणियां करने पर शनिवार को सख्त एतराज जताया। उन्होंने कहा कि ये लोग उन न्यायाधीशों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां करते हैं, जो उनकी याचिकाओं पर अनुकूल आदेश जारी नहीं करते हैं। प्रसाद ने इसे परेशान करने वाली नई प्रवृत्ति करार दिया।
भारत के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे द्वारा पटना उच्च न्यायालय की एक नई इमारत के उद्घाटन के मौके पर कानून मंत्री यहां एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य भी मौजूद थे।
रविशंकर प्रसाद ने जनहित याचिकाएं दायर करने वालों के अनुकूल फैसला नहीं आने पर न्यायाधीशों के खिलाफ सोशल मीडिया पर घोर अनुचित टिप्पणियों का जिक्र करते हुए कहा, ‘हम निश्चित रूप से एक फैसले के तर्क की आलोचना कर सकते हैं, लेकिन मैं एक नई प्रवृत्ति देख रहा हूं, जिस पर मैं आज बात करने की जरूरत समझता हूं।’
उन्होंने कहा, ‘मैं अपनी चिंताओं को सार्वजनिक करने की सोच रहा था। मैंने यहां ऐसा करने के बारे में फैसला किया।’ केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए हाल ही में जारी किए गए दिशानिर्देशों का भी उल्लेख किया।
प्रसाद ने कहा, ‘हम स्वतंत्रता के समर्थक हैं। हम आलोचना के समर्थक हैं। हम असहमति के भी समर्थक हैं, लेकिन मुद्दा सोशल मीडिया के दुरुपयोग का है। सोशल मीडिया पर किसी के लिए भी शिकायत निवारण तंत्र होना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि सरकार एससी, एसटी और ओबीसी को उचित आरक्षण देने की इच्छा रखती है, जो न्यायपालिका को अधिक समावेशी बनाएगी। प्रसाद ने पिछले साल कोविड-19 महामारी से उत्पन्न हुई चुनौती का सामना करने में न्यायपालिका की भूमिका पर संतोष व्यक्त किया।
इस साल 31 जनवरी तक देशभर में डिजिटल रूप से सुने जाने वाले मामलों की संख्या 76.38 लाख थी। इनमें से 24.55 लाख मामलों पर विभिन्न उच्च न्यायालयों में, अन्य 51.83 लाख मामलों पर जिला अदालतों में और 22,353 मामलों पर शीर्ष अदालत में सुनवाई हुई। उन्होंने आगे कहा कि यह प्रशंसा की बात है।