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मोदी 2.0 के दूसरे कार्यकाल ने जता दिया है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति वाली सरकार अपने फैसलों से कैसे राजनीति की दशा-दिशा बदल सकती है। सरकार ने पहले सौ दिनों में ताबड़तोड़ फैसलों से इरादों का संकेत दिया। अब आर्थिक मोर्चे पर कौशल की परीक्षा होनी है। समय ही दिखाएगा कि वह उम्मीदों पर कितनी खरी उतरती है। महज 100 दिनों में सरकार ने ऐसे-ऐसे फैसले किए हैं, जिसे चुनावी दृष्टि से लोकलुभावन, सुशासन की दृष्टि से कठोर और विचारधारा की दृष्टि से प्रतिबद्धता के चरम स्वरूप में देखा-परखा जा सकता है।
आर्थिक मोर्चा: देरी से सक्रिय सरकार
निर्माण और बुनियादी क्षेत्र की विकट स्थिति के बावजूद सरकार ने हालात संभालने में देरी की। चाहे एफपीआई और घरेलू निवेशकों से सुपर रिच टैक्स वापसी का मामला हो या सरकारी बैकों को राहत देने की बात, सरकार स्थिति बिगड़ने के बाद हालात संभालने की कोशिश करती दिखी। बड़े पैमाने पर छंटनी, विकास दर के पांच फीसदी पर आ जाने के बाद सरकार ने कई कदम उठाए...
सुपर रिच टैक्स वापस
आम बजट में सरकार ने सुपर रिच कैटेगरी बनाकर ऊंची कमाई करने वालों पर अधिभार लगा दिया था। इससे विदेशी निवेश की संभावनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ने के अलावा घरेलू उद्योग पर भी नकारात्मक असर पड़ा। स्थिति बिगड़ने के बाद इसे वापस लिया गया।
बैंकों का विलय
बैंकों की हालत संभालने के लिए कुछ बैंकों का विलय बेहद जरूरी था। सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में ही इसकी रूपरेखा तैयार कर ली थी। इसके बावजूद इसे लागू करने में करीब तीन महीने का समय लगाया गया।
रिजर्व बैंक से लिए 1.76 लाख करोड़
सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक से 1.76 लाख करोड़ रुपये लिए। हालात संभालने के लिए सरकार को यह राशि पहले ही हासिल कर लेनी चाहिए थी। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने इस आशय की सिफारिश पहले ही कर दी थी, जिसे बैंक ने स्वीकार भी कर लिया था।
बैंकों को 70 हजार करोड़
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों में 70 हजार करोड़ की पूंजी डालने की घोषणा की। इससे बैंकों की नकदी समस्या खत्म होगी।
फाइनेंस कंपनियों को पैकेज
देश का आवास निर्माण क्षेत्र बीते पांच साल से मंदी की चपेट में है। लाखों बने बनाए मकान बिक नहीं रहे। इस क्षेत्र में रफ्तार बनाए रखने के लिए सरकार ने इन कंपनियों को 30 हजार करोड़ रुपये जारी करने की घोषणा की।
श्रम कानूनों में बड़ा सुधार
44 श्रम कानूनों को चार कानूनों में समेटा। ज्यादा और कई तरह के श्रम कानून विदेशी निवेश की राह में लंबे समय से रोड़ा बने हुए थे। इसी के मद्देनजर पहले ही सत्र में श्रम कानूनों का दायरा घटाया गया।
जीएसटी में राहत की तैयारी
कपड़ा और वाहन उद्योग को सरकार जीएसटी की मद में बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है। इस कड़ी में वाहन कलपुर्जों, इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल बैटरी पैक के साथ दूसरे उपकरणों पर जीएसटी की दरें कम की जाएंगी।
मोदी 2.0 के दूसरे कार्यकाल ने जता दिया है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति वाली सरकार अपने फैसलों से कैसे राजनीति की दशा-दिशा बदल सकती है। सरकार ने पहले सौ दिनों में ताबड़तोड़ फैसलों से इरादों का संकेत दिया। अब आर्थिक मोर्चे पर कौशल की परीक्षा होनी है। समय ही दिखाएगा कि वह उम्मीदों पर कितनी खरी उतरती है। महज 100 दिनों में सरकार ने ऐसे-ऐसे फैसले किए हैं, जिसे चुनावी दृष्टि से लोकलुभावन, सुशासन की दृष्टि से कठोर और विचारधारा की दृष्टि से प्रतिबद्धता के चरम स्वरूप में देखा-परखा जा सकता है।
आर्थिक मोर्चा: देरी से सक्रिय सरकार
निर्माण और बुनियादी क्षेत्र की विकट स्थिति के बावजूद सरकार ने हालात संभालने में देरी की। चाहे एफपीआई और घरेलू निवेशकों से सुपर रिच टैक्स वापसी का मामला हो या सरकारी बैकों को राहत देने की बात, सरकार स्थिति बिगड़ने के बाद हालात संभालने की कोशिश करती दिखी। बड़े पैमाने पर छंटनी, विकास दर के पांच फीसदी पर आ जाने के बाद सरकार ने कई कदम उठाए...
सुपर रिच टैक्स वापस
आम बजट में सरकार ने सुपर रिच कैटेगरी बनाकर ऊंची कमाई करने वालों पर अधिभार लगा दिया था। इससे विदेशी निवेश की संभावनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ने के अलावा घरेलू उद्योग पर भी नकारात्मक असर पड़ा। स्थिति बिगड़ने के बाद इसे वापस लिया गया।
बैंकों का विलय
बैंकों की हालत संभालने के लिए कुछ बैंकों का विलय बेहद जरूरी था। सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में ही इसकी रूपरेखा तैयार कर ली थी। इसके बावजूद इसे लागू करने में करीब तीन महीने का समय लगाया गया।
रिजर्व बैंक से लिए 1.76 लाख करोड़
सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक से 1.76 लाख करोड़ रुपये लिए। हालात संभालने के लिए सरकार को यह राशि पहले ही हासिल कर लेनी चाहिए थी। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने इस आशय की सिफारिश पहले ही कर दी थी, जिसे बैंक ने स्वीकार भी कर लिया था।
बैंकों को 70 हजार करोड़
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों में 70 हजार करोड़ की पूंजी डालने की घोषणा की। इससे बैंकों की नकदी समस्या खत्म होगी।
फाइनेंस कंपनियों को पैकेज
देश का आवास निर्माण क्षेत्र बीते पांच साल से मंदी की चपेट में है। लाखों बने बनाए मकान बिक नहीं रहे। इस क्षेत्र में रफ्तार बनाए रखने के लिए सरकार ने इन कंपनियों को 30 हजार करोड़ रुपये जारी करने की घोषणा की।
श्रम कानूनों में बड़ा सुधार
44 श्रम कानूनों को चार कानूनों में समेटा। ज्यादा और कई तरह के श्रम कानून विदेशी निवेश की राह में लंबे समय से रोड़ा बने हुए थे। इसी के मद्देनजर पहले ही सत्र में श्रम कानूनों का दायरा घटाया गया।
जीएसटी में राहत की तैयारी
कपड़ा और वाहन उद्योग को सरकार जीएसटी की मद में बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है। इस कड़ी में वाहन कलपुर्जों, इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल बैटरी पैक के साथ दूसरे उपकरणों पर जीएसटी की दरें कम की जाएंगी।