बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sat, 21 Nov 2020 10:28 AM IST
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देश का विदेशी मुद्रा भंडार 13 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 4.277 अरब डॉलर की जोरदार वृद्धि के साथ 572.771 अरब डॉलर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों में यह बताया गया। इससे पिछले छह नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 7.779 अरब डॉलर की भारी वृद्धि के साथ 568.494 अरब डॉलर हो गया था।
इसलिए आई तेजी
समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने की बड़ी वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) का बढ़ना है। ये परिसंपत्तियां कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती हैं। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार समीक्षावधि में एफसीए 5.526 अरब डॉलर बढ़कर 530.268 अरब डॉलर हो गया। एफसीए को दर्शाया डॉलर में जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्राएं भी शामिल होती है।
36.354 अरब डॉलर रहा स्वर्ण भंडार
समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान देश का स्वर्ण भंडार का मूल्य 1.233 अरब डॉलर घटकर 36.354 अरब डॉलर रह गया। देश को अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष (आईएमएफ) में मिला विशेष आहरण अधिकार 1.488 अरब डॉलर पर अपरिवर्तित रहा। वहीं, समीक्षावधि में देश का आईएमएफ के पास जमा मुद्रा भंडार 1.5 करोड़ डॉलर घटकर 4.661 अरब डॉलर रह गया।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का बुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
आइए जानते हैं इसके फायदे।
विदेशी मुद्रा भंडार के चार बड़े फायदे
- साल 1991 में देश को पैसा जुटाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। तब सिर्फ 40 करोड़ डॉलर के लिए भारत को 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति सरलता से की जा सकती है, जो इसका सबसे बड़ा फायदा है।
- अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।
- सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय बी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है।
- इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावी भूमिका निभा सकता है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 13 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 4.277 अरब डॉलर की जोरदार वृद्धि के साथ 572.771 अरब डॉलर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों में यह बताया गया। इससे पिछले छह नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 7.779 अरब डॉलर की भारी वृद्धि के साथ 568.494 अरब डॉलर हो गया था।
इसलिए आई तेजी
समीक्षाधीन अवधि में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने की बड़ी वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) का बढ़ना है। ये परिसंपत्तियां कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती हैं। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार समीक्षावधि में एफसीए 5.526 अरब डॉलर बढ़कर 530.268 अरब डॉलर हो गया। एफसीए को दर्शाया डॉलर में जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्राएं भी शामिल होती है।
36.354 अरब डॉलर रहा स्वर्ण भंडार
समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान देश का स्वर्ण भंडार का मूल्य 1.233 अरब डॉलर घटकर 36.354 अरब डॉलर रह गया। देश को अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष (आईएमएफ) में मिला विशेष आहरण अधिकार 1.488 अरब डॉलर पर अपरिवर्तित रहा। वहीं, समीक्षावधि में देश का आईएमएफ के पास जमा मुद्रा भंडार 1.5 करोड़ डॉलर घटकर 4.661 अरब डॉलर रह गया।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का बुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है। इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
आइए जानते हैं इसके फायदे।
विदेशी मुद्रा भंडार के चार बड़े फायदे
- साल 1991 में देश को पैसा जुटाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। तब सिर्फ 40 करोड़ डॉलर के लिए भारत को 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति सरलता से की जा सकती है, जो इसका सबसे बड़ा फायदा है।
- अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।
- सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय बी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है।
- इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावी भूमिका निभा सकता है।