नए कृषि कानूनों पर सरकार भले ही आत्मविश्वास से भरी है, लेकिन देश के अन्नदाता इसका विरोध कर रहे हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर किसान संगठनों में नाराजगी है। तो आइए जानते हैं एमएसपी क्या है, किसानों को इससे कैसे फायदा होता है, किस आधार पर इसकी गणना होती है, इसे तय करने में क्या समस्या आती है, आदि।
क्या है एमएसपी?
न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत सरकार किसानों द्वारा बेचे जाने वाले अनाज की पूरी मात्रा खरीदने के लिए तैयार रहती है। जब बाजार में कृषि उत्पादों का मूल्य गिर रहा होता है, तब सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पाद खरीदकर उनके हितों की रक्षा करती है। सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा फसल बोने से पहले ही कर दी जाती है।
कैसे तय होती है एमएसपी का दर?
केंद्र सरकार कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है। यह जनवरी 1965 में अस्तित्व में आया था। इसे कृषि उत्पादों के संतुलित एवं एकीकृत मूल्य संरचना तैयार करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। आयोग की सिफारिश पर ही सरकार एमएसपी तय करती है। आयोग द्वारा 23 कृषि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी किए जाते हैं। इनमें सात अनाज, पांच दलहन, सात तिलहन और चार नकदी फसलें शामिल हैं। हालांकि इस आयोग को संसद से मान्यता प्राप्त नहीं है।
एमएसपी तय करने के कारक क्या हैं?
इसके प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं-
मांग और आपूर्ति
उत्पादन की लागत
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य प्रवृत्तियां
अंतर-फसल मूल्य समता
कृषि और गैर-कृषि के बीच व्यापार की शर्तें
उस उत्पाद के उपभोक्ताओं पर एमएसपी का संभावित प्रभाव
एमएसपी का फॉर्म्युला क्या है?
कीमत A1 = शारीरिक श्रम + पशु श्रम + मशीनी लेबर + जमीनी राजस्व + अन्य कीमतें
कीमत A2 = कीमत A1 + जमीन का किराया
पारिवारिक श्रम = परिवार के सदस्यों की मेहनत
कीमत C2 = कीमत A1 + पारिवारिक श्रम + स्वामित्व वाली जमीन का किराया + स्थायी पूंजी पर ब्याज (जमीन छोड़कर)
किसानों के लिए कैसे है लाभदायक?
एमएसपी तय करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि अगर बाजार में किसानों के फसल का दाम गिरता है, तब भी किसानों को इस बात की तसल्ली मिलती है कि सरकार उन्हें तय एमएसपी अदा करेगी। इससे देश के अन्नदाताओं का नुकसान कम होता है क्योंकि इसके तहत उन्हें एक निश्चित भाव मिलना तय रहता है।
इसे तय करने में क्या समस्या आती है?
एमएसपी तय करते समय कई दिक्कतें आती हैं, जो निम्नलिखित हैं-
खेती के क्षेत्र में जबरदस्त विविधता
जलवायु, भौगोलिक स्थिति और मिट्टी के प्रकार में अंतर
खेतिहार मजदूर पर साफ तस्वीर यानी उनकी साफ स्थिति स्पष्ट न होना
अलग-अलग परिचालन लागत
नए कृषि कानूनों पर सरकार भले ही आत्मविश्वास से भरी है, लेकिन देश के अन्नदाता इसका विरोध कर रहे हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर किसान संगठनों में नाराजगी है। तो आइए जानते हैं एमएसपी क्या है, किसानों को इससे कैसे फायदा होता है, किस आधार पर इसकी गणना होती है, इसे तय करने में क्या समस्या आती है, आदि।
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क्या है एमएसपी?
न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत सरकार किसानों द्वारा बेचे जाने वाले अनाज की पूरी मात्रा खरीदने के लिए तैयार रहती है। जब बाजार में कृषि उत्पादों का मूल्य गिर रहा होता है, तब सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उत्पाद खरीदकर उनके हितों की रक्षा करती है। सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा फसल बोने से पहले ही कर दी जाती है।
कैसे तय होती है एमएसपी का दर?
केंद्र सरकार कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है। यह जनवरी 1965 में अस्तित्व में आया था। इसे कृषि उत्पादों के संतुलित एवं एकीकृत मूल्य संरचना तैयार करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। आयोग की सिफारिश पर ही सरकार एमएसपी तय करती है। आयोग द्वारा 23 कृषि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी किए जाते हैं। इनमें सात अनाज, पांच दलहन, सात तिलहन और चार नकदी फसलें शामिल हैं। हालांकि इस आयोग को संसद से मान्यता प्राप्त नहीं है।
एमएसपी तय करने के कारक क्या हैं?
इसके प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं-
मांग और आपूर्ति
उत्पादन की लागत
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य प्रवृत्तियां
अंतर-फसल मूल्य समता
कृषि और गैर-कृषि के बीच व्यापार की शर्तें
उस उत्पाद के उपभोक्ताओं पर एमएसपी का संभावित प्रभाव
एमएसपी का फॉर्म्युला क्या है?
कीमत A1 = शारीरिक श्रम + पशु श्रम + मशीनी लेबर + जमीनी राजस्व + अन्य कीमतें
कीमत A2 = कीमत A1 + जमीन का किराया
पारिवारिक श्रम = परिवार के सदस्यों की मेहनत
कीमत C2 = कीमत A1 + पारिवारिक श्रम + स्वामित्व वाली जमीन का किराया + स्थायी पूंजी पर ब्याज (जमीन छोड़कर)
किसानों के लिए कैसे है लाभदायक?
एमएसपी तय करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि अगर बाजार में किसानों के फसल का दाम गिरता है, तब भी किसानों को इस बात की तसल्ली मिलती है कि सरकार उन्हें तय एमएसपी अदा करेगी। इससे देश के अन्नदाताओं का नुकसान कम होता है क्योंकि इसके तहत उन्हें एक निश्चित भाव मिलना तय रहता है।
इसे तय करने में क्या समस्या आती है?
एमएसपी तय करते समय कई दिक्कतें आती हैं, जो निम्नलिखित हैं-
खेती के क्षेत्र में जबरदस्त विविधता
जलवायु, भौगोलिक स्थिति और मिट्टी के प्रकार में अंतर
खेतिहार मजदूर पर साफ तस्वीर यानी उनकी साफ स्थिति स्पष्ट न होना
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