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कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने वाली कई वैक्सीन आने की खबरों से दुनिया में लोगों का हौसला बढ़ा है। लेकिन इससे विश्व अर्थव्यवस्था को तुरंत कोई बल मिलने की संभावना नहीं है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर नजर रखने वाले जानकारों ने आगाह किया है कि दुनिया भर में आर्थिक संकट अभी और बढ़ सकता है।
यूरोप में सोमवार को क्रय प्रबंधन (परचेजिंग मैनेजर्स) सर्वे जारी हुआ। उसके मुताबिक पूरा यूरोप नई मंदी की तरफ बढ़ रहा है। उधर अमेरिका में वॉल स्ट्रीट (शेयर बाजार) के अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि अगली तिमाही में अमेरिका, यूरो जोन और जापान की अर्थव्यवस्थाओं में भारी गिरावट दर्ज हो सकती है। ब्लूमबर्ग इकॉनमिक्स के मुताबिक यूरोप में फैक्टरी सूचकांक में गिरावट का रुख है। उधर एशिया में सिंगापुर के व्यापार और उद्योग मंत्री चान चुन सिंग ने सोमवार को कहा कि वैक्सीन निर्माण में प्रगति से काफी रोमांचक है, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था की समस्याएं तुरंत दूर नहीं होंगी।
अब एक नई समस्या यह है कि ज्यादातर देशों के केंद्रीय बैंकों के पास कोरोना महामारी के दूसरे या तीसरे दौर के समय हुए लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्थाओं को संभालने के लिए धन की कमी हो गई है। महामारी के पहले दौर में इन बैंकों ने बाजार में काफी धन उपलब्ध कराया। उससे तब हालात को संभालने में मदद मिली। लेकिन अब सीधे लोगों के हाथ में पैसा पहुंचाना वित्तीय स्थिरता के लिहाज से जोखिम भरा माना जा रहा है।
खबरों के मुताबिक इसे ध्यान में रखते हुए अब यूरोपियन सेंट्रल बैंक मौद्रिक नीति में रियायत देने जा रहा है। अमेरिका का फेडरल रिजर्व भी ब्याज दरों को कम रखने के उपाय करने के कदम उठा सकता है। इसके लिए बॉन्ड खरीदने पर ध्यान केंद्रित करेगा। लेकिन जानकारों के मुताबिक बाजारों की जरूरत यह है कि सीधे उद्यमियों और उपभोक्ताओं के हाथ में पैसा पहुंचे।
अमेरिकी इन्वेस्टमेंट बैंक जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों ने कहा है कि वैक्सीन आने से उम्मीदें पैदा हुई हैं। लेकिन अभी अमेरिका में एक खरब डॉलर के अतिरिक्त राजकोषीय (फिस्कल) सहायता की जरूरत है, ताकि 2021 के मध्य तक अर्थव्यवस्था को संभाला जा सके। जेपी मॉर्गन के मुताबिक अगर इतनी सहायता दी जाए तो अर्थव्यवस्था अगले आठ महीनों में औसतन पांच फीसदी विकास दर हासिल कर सकती है।
लेकिन एबीएन एमरो ग्रुप का कहना है कि अभी दुनिया भर में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए आम गतिविधियों पर प्रतिबंध लगे हुए हैं। इसमें ऐसा नहीं लगता कि 2022 के पहले स्थिति सुधरेगी। जब प्रतिबंध पूरी तरह हट जाएंगे, तभी विश्व अर्थव्यवस्था विकास के दायरे में आ पाएगी।
एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक जापान के मैनुफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में नवंबर में भारी गिरावट आई है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने तीसरा अतिरिक्त बजट पेश करने की जरूरत बताई है, ताकि अर्थव्यवस्था को मंदी में जाने से बचाया जा सके।
फिलहाल चीन दुनिया की अकेली बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो 2020 में सकारात्मक विकास हासिल करेगी। वहां तेज हुई आर्थिक गतिविधियों से दुनिया के कई दूसरे देशों को भी सहारा मिला है, जहां से चीन बड़े पैमाने पर आयात करता है।
यूरोपियन सेंट्रल बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री फिलिप लेन ने कहा है कि वैक्सीन की खबरों ने सिर्फ यह दिखाया है कि अगले साल क्या हो सकता है और 2022 कैसा हो सकता है। लेकिन इनसे अगले छह महीनों के लिए कोई संदेश नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि फिलहाल तो हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं।
सार
- अगले तीन महीनों में अमेरिका और जापान की अर्थव्यवस्था में आएगी भारी गिरावट
- अर्थशास्त्रियों ने चेताया, वैक्सीन की खबर उत्साह बढ़ाने वाली, पर इससे नहीं सुधरेगी अर्थव्यवस्था
विस्तार
कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने वाली कई वैक्सीन आने की खबरों से दुनिया में लोगों का हौसला बढ़ा है। लेकिन इससे विश्व अर्थव्यवस्था को तुरंत कोई बल मिलने की संभावना नहीं है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर नजर रखने वाले जानकारों ने आगाह किया है कि दुनिया भर में आर्थिक संकट अभी और बढ़ सकता है।
यूरोप में सोमवार को क्रय प्रबंधन (परचेजिंग मैनेजर्स) सर्वे जारी हुआ। उसके मुताबिक पूरा यूरोप नई मंदी की तरफ बढ़ रहा है। उधर अमेरिका में वॉल स्ट्रीट (शेयर बाजार) के अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि अगली तिमाही में अमेरिका, यूरो जोन और जापान की अर्थव्यवस्थाओं में भारी गिरावट दर्ज हो सकती है। ब्लूमबर्ग इकॉनमिक्स के मुताबिक यूरोप में फैक्टरी सूचकांक में गिरावट का रुख है। उधर एशिया में सिंगापुर के व्यापार और उद्योग मंत्री चान चुन सिंग ने सोमवार को कहा कि वैक्सीन निर्माण में प्रगति से काफी रोमांचक है, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था की समस्याएं तुरंत दूर नहीं होंगी।
अब एक नई समस्या यह है कि ज्यादातर देशों के केंद्रीय बैंकों के पास कोरोना महामारी के दूसरे या तीसरे दौर के समय हुए लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्थाओं को संभालने के लिए धन की कमी हो गई है। महामारी के पहले दौर में इन बैंकों ने बाजार में काफी धन उपलब्ध कराया। उससे तब हालात को संभालने में मदद मिली। लेकिन अब सीधे लोगों के हाथ में पैसा पहुंचाना वित्तीय स्थिरता के लिहाज से जोखिम भरा माना जा रहा है।
खबरों के मुताबिक इसे ध्यान में रखते हुए अब यूरोपियन सेंट्रल बैंक मौद्रिक नीति में रियायत देने जा रहा है। अमेरिका का फेडरल रिजर्व भी ब्याज दरों को कम रखने के उपाय करने के कदम उठा सकता है। इसके लिए बॉन्ड खरीदने पर ध्यान केंद्रित करेगा। लेकिन जानकारों के मुताबिक बाजारों की जरूरत यह है कि सीधे उद्यमियों और उपभोक्ताओं के हाथ में पैसा पहुंचे।
अमेरिकी इन्वेस्टमेंट बैंक जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों ने कहा है कि वैक्सीन आने से उम्मीदें पैदा हुई हैं। लेकिन अभी अमेरिका में एक खरब डॉलर के अतिरिक्त राजकोषीय (फिस्कल) सहायता की जरूरत है, ताकि 2021 के मध्य तक अर्थव्यवस्था को संभाला जा सके। जेपी मॉर्गन के मुताबिक अगर इतनी सहायता दी जाए तो अर्थव्यवस्था अगले आठ महीनों में औसतन पांच फीसदी विकास दर हासिल कर सकती है।
लेकिन एबीएन एमरो ग्रुप का कहना है कि अभी दुनिया भर में कोरोना संक्रमण रोकने के लिए आम गतिविधियों पर प्रतिबंध लगे हुए हैं। इसमें ऐसा नहीं लगता कि 2022 के पहले स्थिति सुधरेगी। जब प्रतिबंध पूरी तरह हट जाएंगे, तभी विश्व अर्थव्यवस्था विकास के दायरे में आ पाएगी।
एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक जापान के मैनुफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में नवंबर में भारी गिरावट आई है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने तीसरा अतिरिक्त बजट पेश करने की जरूरत बताई है, ताकि अर्थव्यवस्था को मंदी में जाने से बचाया जा सके।
फिलहाल चीन दुनिया की अकेली बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो 2020 में सकारात्मक विकास हासिल करेगी। वहां तेज हुई आर्थिक गतिविधियों से दुनिया के कई दूसरे देशों को भी सहारा मिला है, जहां से चीन बड़े पैमाने पर आयात करता है।
यूरोपियन सेंट्रल बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री फिलिप लेन ने कहा है कि वैक्सीन की खबरों ने सिर्फ यह दिखाया है कि अगले साल क्या हो सकता है और 2022 कैसा हो सकता है। लेकिन इनसे अगले छह महीनों के लिए कोई संदेश नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि फिलहाल तो हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं।