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न्यू पेंशन स्कीम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए पेंशन नियामक पीएफआरडीए मौजूदा नियमों में बदलाव कर उसे आकर्षक बनाने की कवायद कर रहा है। इसी के तहत उसने एक अप्रैल 2014 से निवेशकों की पूंजी के निवेश नियमों में बदलाव कर दिया है।
पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (पीएफआरडीए) द्वारा जारी नए दिशानिर्देश के अनुसार निवेश के नए तरीकों से निवेशकों को पहले से ज्यादा बेहतर रिटर्न मिल सकेगा।
पीएफआरडीए द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार सरकारी क्षेत्र की स्कीम के तहत फंड मैनेजर निवेशक द्वारा जमा की गई कुल राशि का 55 फीसदी सरकारी प्रतिभूतियों में ही निवेश कर सकेंगे।
इसी तरह कुल राशि का 40 फीसदी डेट सिक्योरिटीज में, इक्विटी में अधिकतम 15 फीसदी तक ही निवेश कर सकेंगे। जबकि मनी मार्केट इनस्ट्रूमेंट में निवेश की अधिकतम सीमा पांच फीसदी हो सकेगी। पीएफआरडीए के अनुसार निवेशक का पोर्टफोलिओ में इस तरह वितरित होने से उसे बेहतर रिर्टन मिल सकेगा।
इसी तरह नियामक ने निजी क्षेत्र के निवेशकों की पूंजी निवेश करने के नियमों में बदलाव किया है। जिसके तहत इक्विटी, सरकारी प्रतिभूतियों और सरकारी प्रतिभूतियों के अतिरिक्त प्रतिभूतियों में निवेश कर सकेंगे। इसके लिए नियामक ने प्रमुख रुप से कहा है कि अधिसूचित बैंकों में निवेश के लिए जरूरी होगा कि बैंक की नेटवर्थ कम से कम 500 करोड़ रुपये हो और पिछले तीन साल से लाभ में हो। सात ही उसका शुद्ध एनपीए पांच फीसदी से कम होना भी जरूरी है।
पीएफआरडीए ने पेंशन फंड मैनेजर को कहा है कि नए दिशा निर्देश के अनुसार निवेश की पूंजी डालने में इस बात का ध्यान रखा जाय, कि मौजूदा निवेश में बदलाव होने से मिलने वाले रिटर्न पर निवेशक को कोई नुकसान न हो। नियामक ने इसके अलावा फंड मैनेजर पर एक ही इंडस्ट्री में निवेश, प्रायोजित कंपनी आदि में निवेश को लेकर कुछ सीमाएं भी तय की हैं।
न्यू पेंशन स्कीम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए पेंशन नियामक पीएफआरडीए मौजूदा नियमों में बदलाव कर उसे आकर्षक बनाने की कवायद कर रहा है। इसी के तहत उसने एक अप्रैल 2014 से निवेशकों की पूंजी के निवेश नियमों में बदलाव कर दिया है।
पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (पीएफआरडीए) द्वारा जारी नए दिशानिर्देश के अनुसार निवेश के नए तरीकों से निवेशकों को पहले से ज्यादा बेहतर रिटर्न मिल सकेगा।
पीएफआरडीए द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार सरकारी क्षेत्र की स्कीम के तहत फंड मैनेजर निवेशक द्वारा जमा की गई कुल राशि का 55 फीसदी सरकारी प्रतिभूतियों में ही निवेश कर सकेंगे।
इसी तरह कुल राशि का 40 फीसदी डेट सिक्योरिटीज में, इक्विटी में अधिकतम 15 फीसदी तक ही निवेश कर सकेंगे। जबकि मनी मार्केट इनस्ट्रूमेंट में निवेश की अधिकतम सीमा पांच फीसदी हो सकेगी। पीएफआरडीए के अनुसार निवेशक का पोर्टफोलिओ में इस तरह वितरित होने से उसे बेहतर रिर्टन मिल सकेगा।
इसी तरह नियामक ने निजी क्षेत्र के निवेशकों की पूंजी निवेश करने के नियमों में बदलाव किया है। जिसके तहत इक्विटी, सरकारी प्रतिभूतियों और सरकारी प्रतिभूतियों के अतिरिक्त प्रतिभूतियों में निवेश कर सकेंगे। इसके लिए नियामक ने प्रमुख रुप से कहा है कि अधिसूचित बैंकों में निवेश के लिए जरूरी होगा कि बैंक की नेटवर्थ कम से कम 500 करोड़ रुपये हो और पिछले तीन साल से लाभ में हो। सात ही उसका शुद्ध एनपीए पांच फीसदी से कम होना भी जरूरी है।
पीएफआरडीए ने पेंशन फंड मैनेजर को कहा है कि नए दिशा निर्देश के अनुसार निवेश की पूंजी डालने में इस बात का ध्यान रखा जाय, कि मौजूदा निवेश में बदलाव होने से मिलने वाले रिटर्न पर निवेशक को कोई नुकसान न हो। नियामक ने इसके अलावा फंड मैनेजर पर एक ही इंडस्ट्री में निवेश, प्रायोजित कंपनी आदि में निवेश को लेकर कुछ सीमाएं भी तय की हैं।