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शिरोमणि अकाली दल (शिअद)और भाजपा का गठबंधन टूट गया है। अकाली दल चंडीगढ़ का कहना है कि पार्टी अब पूरे शहर में अपना विस्तार करेगी। हमें चार वार्डों से आजादी मिल गई है। लोकसभा चुनाव में अभी साढ़े तीन वर्ष का समय है लेकिन चंडीगढ़ नगर निगम का चुनाव अगले वर्ष दिसंबर में होना तय है। वहीं, इसके अगले वर्ष यानी 2022 में पंजाब विधानसभा के भी चुनाव होने हैं।
चंडीगढ़ के नगर निगम चुनाव का असर पंजाब के चुनाव पर भी पड़ सकता है। फिलहाल गठबंधन के टूटने से नगर निगम मेयर चुनाव में असर नहीं पड़ेगा क्योंकि भाजपा के 20 पार्षद और अकाली दल का केवल एक पार्षद है। कुल 26 पार्षदों में कांग्रेस के पांच पार्षद हैं। दोनों पार्टियों का वर्षों पुराना गठबंधन टूट जाने पर अब अगले वर्ष निगम चुनाव में दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे। इससे भाजपा को चंडीगढ़ में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
चंडीगढ़ में गठबंधन साथी के रूप में शिअद को चार सीटें नगर निगम चुनाव में दी जाती थीं। लोकसभा चुनाव में शिअद भाजपा का समर्थन करती आई है। पिछले नगर निगम चुनाव में चार में से मात्र एक ही सीट (वार्ड नंबर 10) पर चंडीगढ़ शिअद के प्रधान हरदीप सिंह बुटेरला की जीत हुई। अगले वर्ष चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव में भाजपा को चौतरफा मुकाबला झेलना पड़ सकता है। इसमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, शिअद के अलावा बसपा व अन्य पार्टियां भी हैं।
सभी वार्डों में लड़ेंगे चुनाव: हरदीप सिंह
गठबंधन टूट गया है। अब पार्टी को चार वार्डों से आजादी मिल गई है। अगले वर्ष नगर निगम के चुनाव में सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे। लोकसभा का चुनाव भी पार्टी लड़ेगी। अब हमें काम करने की पूरी छूट मिल गई है। पार्टी के विस्तार के लिए एक वर्ष से अधिक का समय है। पार्टी की कमेटियों का हर वार्ड में गठित की जाएंगी।
- हरदीप सिंह बुटेरला, प्रधान, शिअद चंडीगढ़
सार
- शिअद चंडीगढ़ के प्रधान हरदीप सिंह ने कहा, पार्टी शहर में करेगी अपना विस्तार
- पंजाब में विधान सभा चुनाव से पहले होना है चंडीगढ़ में नगर निगम का चुनाव
विस्तार
शिरोमणि अकाली दल (शिअद)और भाजपा का गठबंधन टूट गया है। अकाली दल चंडीगढ़ का कहना है कि पार्टी अब पूरे शहर में अपना विस्तार करेगी। हमें चार वार्डों से आजादी मिल गई है। लोकसभा चुनाव में अभी साढ़े तीन वर्ष का समय है लेकिन चंडीगढ़ नगर निगम का चुनाव अगले वर्ष दिसंबर में होना तय है। वहीं, इसके अगले वर्ष यानी 2022 में पंजाब विधानसभा के भी चुनाव होने हैं।
चंडीगढ़ के नगर निगम चुनाव का असर पंजाब के चुनाव पर भी पड़ सकता है। फिलहाल गठबंधन के टूटने से नगर निगम मेयर चुनाव में असर नहीं पड़ेगा क्योंकि भाजपा के 20 पार्षद और अकाली दल का केवल एक पार्षद है। कुल 26 पार्षदों में कांग्रेस के पांच पार्षद हैं। दोनों पार्टियों का वर्षों पुराना गठबंधन टूट जाने पर अब अगले वर्ष निगम चुनाव में दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे। इससे भाजपा को चंडीगढ़ में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
चंडीगढ़ में गठबंधन साथी के रूप में शिअद को चार सीटें नगर निगम चुनाव में दी जाती थीं। लोकसभा चुनाव में शिअद भाजपा का समर्थन करती आई है। पिछले नगर निगम चुनाव में चार में से मात्र एक ही सीट (वार्ड नंबर 10) पर चंडीगढ़ शिअद के प्रधान हरदीप सिंह बुटेरला की जीत हुई। अगले वर्ष चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव में भाजपा को चौतरफा मुकाबला झेलना पड़ सकता है। इसमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, शिअद के अलावा बसपा व अन्य पार्टियां भी हैं।
सभी वार्डों में लड़ेंगे चुनाव: हरदीप सिंह
गठबंधन टूट गया है। अब पार्टी को चार वार्डों से आजादी मिल गई है। अगले वर्ष नगर निगम के चुनाव में सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे। लोकसभा का चुनाव भी पार्टी लड़ेगी। अब हमें काम करने की पूरी छूट मिल गई है। पार्टी के विस्तार के लिए एक वर्ष से अधिक का समय है। पार्टी की कमेटियों का हर वार्ड में गठित की जाएंगी।
- हरदीप सिंह बुटेरला, प्रधान, शिअद चंडीगढ़