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अकाली दल और भाजपा गठबंधन के बीच का पुल अरुण जेटली थे, लेकिन उनके निधन के बाद ही इस पुल की दीवारें दरकने लगी थीं। जब-जब अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी के बीच खटास आई, तब-तब पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने दिल्ली में अकाली दल की वकालत की और खटास दूर करवाई। यह पहली बार था जब अकाली दल की वकालत करने वाला कोई दिग्गज दिल्ली में नहीं था।
पिछले साल जेटली के निधन के बाद से ही लगने लगा था कि भाजपा व शिअद का समझौता ज्यादा दिन तक चलने वाला नहीं है। अकाली दल का जेटली के साथ रिश्ता इस कदर गहरा था कि 2014 में वे अकाली दल के आश्वासन पर अमृतसर से लोकसभा चुनाव लड़ने आ गए थे। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक जेटली को जयपुर, पटना, नई दिल्ली और अमृतसर से लड़ने का विकल्प दिया गया था, लेकिन पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल से गहरी दोस्ती के कारण उन्होंने अमृतसर का विकल्प चुना।
तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने उनसे कहा था कि उन्हें पर्चा भरने के लिए ही आना पड़ेगा और वे वहां से जीतकर लौटेंगे। जेटली जब अमृतसर गए, तब उन्हें पता चला कि हवा बादल के खिलाफ है। चुनाव नतीजे आने के तत्काल बाद आरएसएस के नेता सुरेश सोनी ओर सुरेश ‘भैयाजी’ जोशी उनसे मिलने के लिए गए, तब भी उनके दिल में बादल परिवार के प्रति आदर ही था। अमृतसर चुनाव में अकाली दल ने जेटली को देश के भावी उपप्रधानमंत्री के रूप में पेश किया था।
पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल हमेशा कहते थे कि जेटली व्यक्ति नहीं, एक संस्थान थे। उनके जाने से सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब का हुआ है। दिल्ली में बैठकर पंजाब के हितों की बात करने वाला और उनका केस शिद्दत से लड़ने वाला हमारा हमदर्द नहीं रहा। पंजाब में विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर जब भी अकाली भाजपा में विवाद हुआ तो जेटली ने हमेशा अकाली दल का ही हाथ ऊपर रखा था।
यही वजह थी कि प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल को जब भी दिल्ली तक कोई बात पहुंचानी होती थी तो वह जेटली को माध्यम बनाते थे। पंजाब से प्यार करने वाले भाजपा नेता मदन लाल खुराना, अरुण जेटली व सुषमा स्वराज के जाने के बाद अकाली दल का दिल्ली में सहारा नहीं था जो उनकी वकालत कर लेता। यही वजह रही कि दूरियां बढ़ती गयी और गठबंधन टूट गया।
पंजाब को अपना घर मानते थे जेटली
अकाली दल के प्रवक्ता चरणजीत सिंह बराड़ कहते हैं कि जेटली साहब ने हमेशा पंजाब का साथ दिया, वह पंजाब को अपना घर मानते थे और अकाली दल को परिवार।
सार
- दिल्ली में अब अकालियों का पक्ष रखने वाला नहीं बचा कोई
- जेटली को देश के भावी उपप्रधानमंत्री के रूप में पेश किया था
- जेटली के जरिए ही बातें और जरूरतें दिल्ली पहुंचाते थे अकाली
विस्तार
अकाली दल और भाजपा गठबंधन के बीच का पुल अरुण जेटली थे, लेकिन उनके निधन के बाद ही इस पुल की दीवारें दरकने लगी थीं। जब-जब अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी के बीच खटास आई, तब-तब पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने दिल्ली में अकाली दल की वकालत की और खटास दूर करवाई। यह पहली बार था जब अकाली दल की वकालत करने वाला कोई दिग्गज दिल्ली में नहीं था।
पिछले साल जेटली के निधन के बाद से ही लगने लगा था कि भाजपा व शिअद का समझौता ज्यादा दिन तक चलने वाला नहीं है। अकाली दल का जेटली के साथ रिश्ता इस कदर गहरा था कि 2014 में वे अकाली दल के आश्वासन पर अमृतसर से लोकसभा चुनाव लड़ने आ गए थे। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक जेटली को जयपुर, पटना, नई दिल्ली और अमृतसर से लड़ने का विकल्प दिया गया था, लेकिन पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल से गहरी दोस्ती के कारण उन्होंने अमृतसर का विकल्प चुना।
तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने उनसे कहा था कि उन्हें पर्चा भरने के लिए ही आना पड़ेगा और वे वहां से जीतकर लौटेंगे। जेटली जब अमृतसर गए, तब उन्हें पता चला कि हवा बादल के खिलाफ है। चुनाव नतीजे आने के तत्काल बाद आरएसएस के नेता सुरेश सोनी ओर सुरेश ‘भैयाजी’ जोशी उनसे मिलने के लिए गए, तब भी उनके दिल में बादल परिवार के प्रति आदर ही था। अमृतसर चुनाव में अकाली दल ने जेटली को देश के भावी उपप्रधानमंत्री के रूप में पेश किया था।
बादल ने कहा था- सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब का हुआ है
पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल हमेशा कहते थे कि जेटली व्यक्ति नहीं, एक संस्थान थे। उनके जाने से सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब का हुआ है। दिल्ली में बैठकर पंजाब के हितों की बात करने वाला और उनका केस शिद्दत से लड़ने वाला हमारा हमदर्द नहीं रहा। पंजाब में विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर जब भी अकाली भाजपा में विवाद हुआ तो जेटली ने हमेशा अकाली दल का ही हाथ ऊपर रखा था।
यही वजह थी कि प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल को जब भी दिल्ली तक कोई बात पहुंचानी होती थी तो वह जेटली को माध्यम बनाते थे। पंजाब से प्यार करने वाले भाजपा नेता मदन लाल खुराना, अरुण जेटली व सुषमा स्वराज के जाने के बाद अकाली दल का दिल्ली में सहारा नहीं था जो उनकी वकालत कर लेता। यही वजह रही कि दूरियां बढ़ती गयी और गठबंधन टूट गया।
पंजाब को अपना घर मानते थे जेटली
अकाली दल के प्रवक्ता चरणजीत सिंह बराड़ कहते हैं कि जेटली साहब ने हमेशा पंजाब का साथ दिया, वह पंजाब को अपना घर मानते थे और अकाली दल को परिवार।