न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Updated Fri, 31 May 2019 12:24 AM IST
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आखिरकार 75 साल बाद द्वितीय विश्वयुद्ध के शहीद पालुराम की अस्थियां अब अपने वतन वापस लाई जाएंगी। पालुराम हिसार के रहने वाले थे और 75 सालों से परिजन उनकी अस्थियों का इंतजार कर रहे थे। पालुराम द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 13 सितंबर 1944 को इटली में शहीद हुए थे।
मूलरूप से वे हरियाणा के जिला हिसार के गांव नंगथला के रहने वाले हैं। उनकी अस्थियां 2 जून को भारत आएंगी और 3 जून, 2019 को पूरे मान-सम्मान के साथ गांव नंगथला में उनके परिजनों को सौंपा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना में तैनात हरियाणा के कई वीर जवानों ने अपनी कुर्बानी दी। ब्रिटिश सेना में बतौर सिपाही पालुराम पुत्र पतराम ने इटली के शहर पोगिओं आल्टों में चले युद्ध के दौरान 13 सितंबर 1944 को 19 वर्ष की आयु में अपनी जान की आहुति दी। इनके कंकाल फ्लोरेंस के नजदीक पोगिओं आल्टों में मिले थे। इनकी पहचान के बारे में 2010 तक जांच चली।
साल 2012 में डीएनए टेस्ट से पता चला कि वे 20-21 साल के गैर यूरोपियन जवान हैं। कई सबूतों जैसे युद्ध व गायब हुए जवानों की सूची से आखिरकार पता चला कि शहीद पालुराम सुपुत्र पतराम 4/13 एफएफ राइफल के जवान थे। इनके बारे में आर्मी हेडक्वार्टर एजी ब्रांच ने सैनिक एवं अर्धसैनिक कल्याण विभाग के निदेशक के माध्यम से हिसार के जिला सैनिक बोर्ड को अवगत करवाया और शहीद पालुराम के परिवार व वारिसों के बारे में जानकारी मांगी गई।
हिसार के जिला सैनिक बोर्ड ने पालुराम के परिवार के सदस्यों से संपर्क किया और उनके भतीजे रामजीलाल व पोते रमेश व ओमप्रकाश को इस संबंध में सूचित किया। कंकालों के रूप में मिले अवशेषों पर परिवार वालों की रजामंदी से पालुराम का अंतिम संस्कार इटली में ही करवाया गया। भारतीय नेशनल डिफेंस अकादमी की टीम इटली गई हुई है जिसकी 2 जून को वापस भारत पहुंचने की उम्मीद है।
एनसीडी की टीम के साथ सिपाही पालुराम की अस्थियां भी 2 जून को भारत पहुंचेंगी। अस्थियों को दिल्ली आर्मी हेडक्वार्टर से एकत्र किया जाएगा जिसके लिए एक जेसीओ व एक जवान की विशेष जिम्मेदारी लगाई गई है जो शहीद पालुराम की अस्थियों को सम्मान सहित 3 जून को उनके गांव नंगथला में उनके परिजनों को सौंपेंगे।
आखिरकार 75 साल बाद द्वितीय विश्वयुद्ध के शहीद पालुराम की अस्थियां अब अपने वतन वापस लाई जाएंगी। पालुराम हिसार के रहने वाले थे और 75 सालों से परिजन उनकी अस्थियों का इंतजार कर रहे थे। पालुराम द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 13 सितंबर 1944 को इटली में शहीद हुए थे।
मूलरूप से वे हरियाणा के जिला हिसार के गांव नंगथला के रहने वाले हैं। उनकी अस्थियां 2 जून को भारत आएंगी और 3 जून, 2019 को पूरे मान-सम्मान के साथ गांव नंगथला में उनके परिजनों को सौंपा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना में तैनात हरियाणा के कई वीर जवानों ने अपनी कुर्बानी दी। ब्रिटिश सेना में बतौर सिपाही पालुराम पुत्र पतराम ने इटली के शहर पोगिओं आल्टों में चले युद्ध के दौरान 13 सितंबर 1944 को 19 वर्ष की आयु में अपनी जान की आहुति दी। इनके कंकाल फ्लोरेंस के नजदीक पोगिओं आल्टों में मिले थे। इनकी पहचान के बारे में 2010 तक जांच चली।
साल 2012 में डीएनए टेस्ट से पता चला कि वे 20-21 साल के गैर यूरोपियन जवान हैं। कई सबूतों जैसे युद्ध व गायब हुए जवानों की सूची से आखिरकार पता चला कि शहीद पालुराम सुपुत्र पतराम 4/13 एफएफ राइफल के जवान थे। इनके बारे में आर्मी हेडक्वार्टर एजी ब्रांच ने सैनिक एवं अर्धसैनिक कल्याण विभाग के निदेशक के माध्यम से हिसार के जिला सैनिक बोर्ड को अवगत करवाया और शहीद पालुराम के परिवार व वारिसों के बारे में जानकारी मांगी गई।
हिसार के जिला सैनिक बोर्ड ने पालुराम के परिवार के सदस्यों से संपर्क किया और उनके भतीजे रामजीलाल व पोते रमेश व ओमप्रकाश को इस संबंध में सूचित किया। कंकालों के रूप में मिले अवशेषों पर परिवार वालों की रजामंदी से पालुराम का अंतिम संस्कार इटली में ही करवाया गया। भारतीय नेशनल डिफेंस अकादमी की टीम इटली गई हुई है जिसकी 2 जून को वापस भारत पहुंचने की उम्मीद है।
एनसीडी की टीम के साथ सिपाही पालुराम की अस्थियां भी 2 जून को भारत पहुंचेंगी। अस्थियों को दिल्ली आर्मी हेडक्वार्टर से एकत्र किया जाएगा जिसके लिए एक जेसीओ व एक जवान की विशेष जिम्मेदारी लगाई गई है जो शहीद पालुराम की अस्थियों को सम्मान सहित 3 जून को उनके गांव नंगथला में उनके परिजनों को सौंपेंगे।