पंजाब में कैबिनेट मंत्रियों और मुख्य सचिव के बीच छिड़े विवाद के निपटारे का जिम्मा जहां मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने हाथ में ले लिया है, वहीं मुख्य सचिव करन अवतार सिंह की समय से पहले रिटायरमेंट की अटकलें तेज हो गई हैं। करन अवतार सिंह आगामी अगस्त माह में रिटायर होने वाले हैं और उनकी जगह जिस अधिकारी की नियुक्ति हो सकती है, उनके नामों की भी चर्चा शुरू हो गई है।
माना जा रहा है कि करन अवतार सिंह अगर तीन माह पहले भी रिटायरमेंट लेते हैं तो भी उन्हें रिटायरमेंट पर मिलने वाले पेंशन-भत्तों का पूरा लाभ मिलेगा। दूसरे, कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में यह बात भी आम है कि मुख्यमंत्री ने रिटायर हुए अपने सभी अधिकारियों को किसी न किसी बड़े ओहदे का जिम्मा संभाल दिया है। इसी तर्ज पर करन अवतार सिंह भी अगर समय से पहले रिटायर होते हैं तो उन्हें किसी अथारिटी का चेयरमैन लगाया जा सकता है।
इनसे पहले राज्य के मुख्य सचिव के पद पर रहे आरआई सिंह और एससी अग्रवाल को भी रिटायरमेंट से पहले ही विभिन्न आयोगों की चेयरमैनी सौंपी गई थी। सोमवार को कैबिनेट की बैठक में कैबिनेट मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और चरनजीत सिंह चन्नी के रवैये को देखते हुए मुख्यमंत्री ने विवाद सुलझाने की जिम्मेदारी संभाल ली है, लेकिन कैबिनेट की बैठक के दौरान मंत्रियों ने करन अवतार सिंह के रवैये को लेकर जो कुछ कहा उससे साफ है कि मुख्यमंत्री न तो अपने मंत्रियों को ही नाराज करेंगे और न ही अपने पंसदीदा अधिकारी को अलग करेंगे।
कैबिनेट की बैठक में करन अवतार सिंह की जगह जिस तरह सतीश चंद्रा को काम संभाला गया, उससे साफ है कि कैबिनेट की अगली बैठक में भी करन अवतार सिंह मौजूद नहीं होंगे। दूसरी ओर, मुख्य सचिव के पद पर नए चेहरे के तौर पर कई अधिकारियों के नामों पर चर्चा तेज हुई है। इनमें सबसे आगे सीनियर आईएएस अधिकारी केबीएस सिद्धू का नाम है, जो इन दिनों फेसबुक, ट्वीटर व सोशल मीडिया को अन्य माध्यमों के जरिए राज्य में कोविड-19 के खिलाफ सरकार की मुहिम के बारे में जनता तक जानकारी पहुंचाने का काम बाखूबी संभाल रहे हैं।
सिद्धू राज्य में कोरोना वायरस संबंधी पल-पल की जानकारी आम लोगों को दे रहे हैं। उनका कहना है कि सोशल मीडिया पर 25000 से अधिक लोग उनसे जुड़ गए हैं। सिद्धू के अलावा एक अन्य नाम, वित्त कमिश्नर (विकास) विश्वजीत खन्ना का है, जो इन दिनों राज्य में गेहूं खरीद के अभियान में व्यस्त हैं। तीसरा नाम, एडीशनल मुख्य सचिव विन्नी महाजन का है, जिन्हें मुख्यमंत्री ने इन दिनों कोविड-19 से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं संबंधी सभी तरह के उपकरणों व साधनों की खरीद यकीनी बनाने का काम सौंपा हुआ है।
माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री उक्त पूरे विवाद में अपने मंत्रियों के सम्मान को बरकरार रखते हुए मुख्य सचिव को भी कोई अन्य पद सौंपकर विवाद को शांत कर सकते हैं। दरअसल, इस विवाद ने राज्य में विपक्ष को भी एक मुद्दा दे दिया है। विपक्ष ने सीधे आरोप लगाना शुरु कर दिया है कि पंजाब में सरकार अफसर ही चला रहे हैं और यह अफसर मुख्यमंत्री के चहेते हैं।
पंजाब में कैबिनेट मंत्रियों और मुख्य सचिव के बीच छिड़े विवाद के निपटारे का जिम्मा जहां मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने हाथ में ले लिया है, वहीं मुख्य सचिव करन अवतार सिंह की समय से पहले रिटायरमेंट की अटकलें तेज हो गई हैं। करन अवतार सिंह आगामी अगस्त माह में रिटायर होने वाले हैं और उनकी जगह जिस अधिकारी की नियुक्ति हो सकती है, उनके नामों की भी चर्चा शुरू हो गई है।
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माना जा रहा है कि करन अवतार सिंह अगर तीन माह पहले भी रिटायरमेंट लेते हैं तो भी उन्हें रिटायरमेंट पर मिलने वाले पेंशन-भत्तों का पूरा लाभ मिलेगा। दूसरे, कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में यह बात भी आम है कि मुख्यमंत्री ने रिटायर हुए अपने सभी अधिकारियों को किसी न किसी बड़े ओहदे का जिम्मा संभाल दिया है। इसी तर्ज पर करन अवतार सिंह भी अगर समय से पहले रिटायर होते हैं तो उन्हें किसी अथारिटी का चेयरमैन लगाया जा सकता है।
इनसे पहले राज्य के मुख्य सचिव के पद पर रहे आरआई सिंह और एससी अग्रवाल को भी रिटायरमेंट से पहले ही विभिन्न आयोगों की चेयरमैनी सौंपी गई थी। सोमवार को कैबिनेट की बैठक में कैबिनेट मंत्री मनप्रीत सिंह बादल और चरनजीत सिंह चन्नी के रवैये को देखते हुए मुख्यमंत्री ने विवाद सुलझाने की जिम्मेदारी संभाल ली है, लेकिन कैबिनेट की बैठक के दौरान मंत्रियों ने करन अवतार सिंह के रवैये को लेकर जो कुछ कहा उससे साफ है कि मुख्यमंत्री न तो अपने मंत्रियों को ही नाराज करेंगे और न ही अपने पंसदीदा अधिकारी को अलग करेंगे।
कैबिनेट की बैठक में करन अवतार सिंह की जगह जिस तरह सतीश चंद्रा को काम संभाला गया, उससे साफ है कि कैबिनेट की अगली बैठक में भी करन अवतार सिंह मौजूद नहीं होंगे। दूसरी ओर, मुख्य सचिव के पद पर नए चेहरे के तौर पर कई अधिकारियों के नामों पर चर्चा तेज हुई है। इनमें सबसे आगे सीनियर आईएएस अधिकारी केबीएस सिद्धू का नाम है, जो इन दिनों फेसबुक, ट्वीटर व सोशल मीडिया को अन्य माध्यमों के जरिए राज्य में कोविड-19 के खिलाफ सरकार की मुहिम के बारे में जनता तक जानकारी पहुंचाने का काम बाखूबी संभाल रहे हैं।
सिद्धू राज्य में कोरोना वायरस संबंधी पल-पल की जानकारी आम लोगों को दे रहे हैं। उनका कहना है कि सोशल मीडिया पर 25000 से अधिक लोग उनसे जुड़ गए हैं। सिद्धू के अलावा एक अन्य नाम, वित्त कमिश्नर (विकास) विश्वजीत खन्ना का है, जो इन दिनों राज्य में गेहूं खरीद के अभियान में व्यस्त हैं। तीसरा नाम, एडीशनल मुख्य सचिव विन्नी महाजन का है, जिन्हें मुख्यमंत्री ने इन दिनों कोविड-19 से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं संबंधी सभी तरह के उपकरणों व साधनों की खरीद यकीनी बनाने का काम सौंपा हुआ है।
माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री उक्त पूरे विवाद में अपने मंत्रियों के सम्मान को बरकरार रखते हुए मुख्य सचिव को भी कोई अन्य पद सौंपकर विवाद को शांत कर सकते हैं। दरअसल, इस विवाद ने राज्य में विपक्ष को भी एक मुद्दा दे दिया है। विपक्ष ने सीधे आरोप लगाना शुरु कर दिया है कि पंजाब में सरकार अफसर ही चला रहे हैं और यह अफसर मुख्यमंत्री के चहेते हैं।
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