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शुक्रवार देर रात पावर कारपोरेशन के चीफ इंजीनियर के बाहर धरना दे रहे किसानों पर हुए लाठीचार्ज में घायल किसान ने दम तोड़ दिया। इस घटना से पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल बना हुआ है।
गौरतलब है कि किसान संघर्ष कमेटी के नेतृत्व में हजारों किसान पावर कारपोरेशन के चीफ इंजीनियर कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे थे।
पुलिस ने किसानों को वहां से उठाने के लिए उन पर रात के अंधेरे में जमकर लाठियां बरसाईं। इस दौरान किसानों ने भी पुलिस पर पत्थर फेंके। इस लाठीचार्ज और पत्थरबाजी में करीब 10-12 किसान घायल हो गए थे।
घायल किसानों को पुलिस कई एंबुलेंसों में भर कर विभिन्न अस्पतालों में ले गए। पुलिस ने करीब 50 किसानों को गिरफ्तार भी कर लिया। गिरफ्तार किसानों को अलग-अलग पुलिस थानों में बंद कर दिया गया।
किसान पंजाब पुलिस और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। हालात तब बिगड़े जब देर शाम बातचीत के लिए बुलाए गए किसान नेताओं को पुलिस ने पकड़ कर अपनी गाड़ियों में बिठा लिया और ले जाने की कोशिश की।
इससे किसान भड़क गए और उन्होंने पुलिस पर पत्थरबाजी की। इससे लाठीचार्ज शुरू हो गया। किसानों ने बार्डर जोन के चीफ इंजीनियर एनके गांधी का कार्यालय घेरा हुआ था।
कार्यालय के तैनात एक्सईएन और कुछ कर्मचारियों को किसान बाहर नहीं निकलने दे रहे थे। विभाग के अधिकारियों ने पुलिस को सूचित किया ।
पुलिस के अधिकारी किसानों को धरने से उठाने और कमरे में बंद कर्मचारियों को रिहा करवाने के लिए पहुंचे तो पुलिस और किसानों में विवाद हो गया।
इस धरने में भारी संख्या में महिलाएं और किसानों के परिवारों के बच्चे भी शामिल थे। धरने में अमृतसर, तरनतारन और गुरदासपुर जिलों से किसान भारी संख्या में शामिल हुए थे।
किसान नेता सविंदर सिंह चुताला और स्वर्ण सिंह ने कहा कि किसान शांतिमय ढंग से आंदोलन कर रहे थे। कुछ कर्मचारी अपने रिकार्ड की सुरक्षा को लेकर खुद ही कमरे में बैठे थे।
किसानों ने उनको बंदी नहीं बनाया था। पुलिस के कुछ अफसरों ने बहाने के साथ उनके नेता सतनाम सिंह पन्नू और अन्य को बातचीत के लिए बुलाया और बातचीत करने की जगह किसान नेताओं को जबरदस्ती गिरफ्तार करके अपनी गाड़ियों में उठा कर फेंकना शुरू कर दिया। किसानों ने पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध किया तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
इस में एक दर्जन से अधिक किसान घायल हो गए है। उन्होंने कहा कि पुलिस खुद ही घायलों को उठा कर कहीं ले गई है। घायलों का इलाज कहां करवाया जा रहा है इस संबंध में भी पुलिस उनको कोई जानकारी नहीं दे रही है। आंदोलन अब सारे पंजाब में शुरू होगा।
ये हैं मांगें
किसान संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि पंजाब सरकार की ओर से किसानों के साथ जो वादे अपने पिछले सरकार के कार्यकाल के दौरान किए गए थे उनको लागू नहीं किया गया है।
माफ हुए बिजली बिलों की जबरदस्ती वसूली की जा रही है। जिन किसानों के थोड़े बिल भी लंबित हैं उनके बिजली कनेक्शन काटे जा रहे हैं। उनकी मांग है कि बिजली के रेट एक रुपये प्रति यूनिट हो।
बिजली विभाग की ओर से सिक्योरिटी के नाम पर अवैध वसूली बंद की जाए। ट्यूबवेल के लंबित कनेक्शन तुरंत जारी किए जाएं। जिन दलितों और कृषि मजदूरों के बिजली कनेक्शन काटे गए हैं उन कनेक्शनों को दोबारा चालू किया जाए।
शुक्रवार देर रात पावर कारपोरेशन के चीफ इंजीनियर के बाहर धरना दे रहे किसानों पर हुए लाठीचार्ज में घायल किसान ने दम तोड़ दिया। इस घटना से पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल बना हुआ है।
गौरतलब है कि किसान संघर्ष कमेटी के नेतृत्व में हजारों किसान पावर कारपोरेशन के चीफ इंजीनियर कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे थे।
पुलिस ने किसानों को वहां से उठाने के लिए उन पर रात के अंधेरे में जमकर लाठियां बरसाईं। इस दौरान किसानों ने भी पुलिस पर पत्थर फेंके। इस लाठीचार्ज और पत्थरबाजी में करीब 10-12 किसान घायल हो गए थे।
घायल किसानों को पुलिस कई एंबुलेंसों में भर कर विभिन्न अस्पतालों में ले गए। पुलिस ने करीब 50 किसानों को गिरफ्तार भी कर लिया। गिरफ्तार किसानों को अलग-अलग पुलिस थानों में बंद कर दिया गया।
किसान पंजाब पुलिस और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। हालात तब बिगड़े जब देर शाम बातचीत के लिए बुलाए गए किसान नेताओं को पुलिस ने पकड़ कर अपनी गाड़ियों में बिठा लिया और ले जाने की कोशिश की।
इससे किसान भड़क गए और उन्होंने पुलिस पर पत्थरबाजी की। इससे लाठीचार्ज शुरू हो गया। किसानों ने बार्डर जोन के चीफ इंजीनियर एनके गांधी का कार्यालय घेरा हुआ था।
कार्यालय के तैनात एक्सईएन और कुछ कर्मचारियों को किसान बाहर नहीं निकलने दे रहे थे। विभाग के अधिकारियों ने पुलिस को सूचित किया ।
पुलिस के अधिकारी किसानों को धरने से उठाने और कमरे में बंद कर्मचारियों को रिहा करवाने के लिए पहुंचे तो पुलिस और किसानों में विवाद हो गया।
इस धरने में भारी संख्या में महिलाएं और किसानों के परिवारों के बच्चे भी शामिल थे। धरने में अमृतसर, तरनतारन और गुरदासपुर जिलों से किसान भारी संख्या में शामिल हुए थे।
किसान नेता सविंदर सिंह चुताला और स्वर्ण सिंह ने कहा कि किसान शांतिमय ढंग से आंदोलन कर रहे थे। कुछ कर्मचारी अपने रिकार्ड की सुरक्षा को लेकर खुद ही कमरे में बैठे थे।
किसानों ने उनको बंदी नहीं बनाया था। पुलिस के कुछ अफसरों ने बहाने के साथ उनके नेता सतनाम सिंह पन्नू और अन्य को बातचीत के लिए बुलाया और बातचीत करने की जगह किसान नेताओं को जबरदस्ती गिरफ्तार करके अपनी गाड़ियों में उठा कर फेंकना शुरू कर दिया। किसानों ने पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध किया तो पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
इस में एक दर्जन से अधिक किसान घायल हो गए है। उन्होंने कहा कि पुलिस खुद ही घायलों को उठा कर कहीं ले गई है। घायलों का इलाज कहां करवाया जा रहा है इस संबंध में भी पुलिस उनको कोई जानकारी नहीं दे रही है। आंदोलन अब सारे पंजाब में शुरू होगा।
ये हैं मांगें
किसान संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू ने कहा कि पंजाब सरकार की ओर से किसानों के साथ जो वादे अपने पिछले सरकार के कार्यकाल के दौरान किए गए थे उनको लागू नहीं किया गया है।
माफ हुए बिजली बिलों की जबरदस्ती वसूली की जा रही है। जिन किसानों के थोड़े बिल भी लंबित हैं उनके बिजली कनेक्शन काटे जा रहे हैं। उनकी मांग है कि बिजली के रेट एक रुपये प्रति यूनिट हो।
बिजली विभाग की ओर से सिक्योरिटी के नाम पर अवैध वसूली बंद की जाए। ट्यूबवेल के लंबित कनेक्शन तुरंत जारी किए जाएं। जिन दलितों और कृषि मजदूरों के बिजली कनेक्शन काटे गए हैं उन कनेक्शनों को दोबारा चालू किया जाए।