न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सोनीपत
Updated Tue, 01 Dec 2020 06:29 AM IST
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नेशनल हाईवे 44 के सिंघु बॉर्डर पर धरना देकर बैठे किसानों ने अब दिल्ली के संपर्क मार्ग को भी बंद करने का एलान किया है। इसके लिए उन सभी गांवों के किसानों से संपर्क किया गया है, जहां से संपर्क मार्ग निकलते हैं और उनसे अपने यहां मार्ग बंद करने के लिए सहयोग भी मांगा गया है। जिससे दिल्ली की खाद्य सामग्री की सप्लाई पूरी तरह से रोकी जा सके। किसानों को अब खापों का समर्थन भी मिलना शुरू हो गया है तो अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने उग्र तेवर दिखाते हुए अब आरपार की लड़ाई लड़ने की तैयारी की है। वहीं समिति के सदस्यों ने कहा है कि पीएम मोदी को अब किसानों के मन की बात सुननी होगी।
सिंघु बॉर्डर से हरियाणा की ओर किसान पिछले चार दिन से धरना देकर बैठे हुए हैं और अभी तक केवल नेशनल हाईवे को रोका हुआ था। जिससे नेशनल हाईवे के पास के गांवों से होकर निकलने वाले संपर्क मार्गों से वाहन दिल्ली में पहुंच रहे थे और दिल्ली में सब्जी से लेकर दूध, फल व अन्य खाद्य सामग्री की सप्लाई हो रही थी। लेकिन किसानों ने अब नई रणनीति के तहत दिल्ली के संपर्क मार्ग भी बंद करने शुरू कर दिए है, जिससे वहां खाद्य सामग्री की सप्लाई को रोका जा सके। इसके लिए नरेला होकर दिल्ली जाने वाले रास्ते को सफियाबाद के पास ट्रैक्टर लगाकर रोक दिया गया। यह संपर्क मार्ग भी रोकने से वहां हालात बिगड़ते दिख रहे है।
पंजाब का नहीं, खेती से जुड़े पूरे देश का आंदोलन
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के कार्यकारिणी सदस्यों गुरनाम सिंह चढूनी, योगेंद्र यादव, जगमोहन सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, शिवकुमार कक्का ने बैठक के बाद आंदोलन की रूपरेखा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सरकार इस आंदोलन को केवल पंजाब का बताकर गलत संदेश देना चाहती है, जबकि यह केवल पंजाब या किसी एक धर्म का आंदोलन नहीं है। बल्कि यह खेती से जुड़े पूरे देश के किसान का आंदोलन है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने अपने मन की बात खूब कही, लेकिन अब उनको किसानों के मन की बात सुननी पड़ेगी। अगर ऐसा नहीं होता तो किसान आरपार की लड़ाई को तैयार है। कहा कि अपनी मांग पूरी कराएंगे या फिर यहीं पर मर जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के मुंह में राम व बगल में छुरी है। गृहमंत्री अमित शाह बयान देते हैं कि उनकी कई संगठनों से बात हो रही है, जबकि उनकी किसी संगठन से बात नहीं हुई और वह पूरी तरह से झूठ है। वहीं घोषण की गई कि हम जहां है, उसी जगह डटे रहेंगे।
खाप पंचायतों के साथ ही टैक्सी व ट्रांसपोर्ट यूनियनों का समर्थन भी मिलने लगा
किसानों को खाप पंचायतों का समर्थन भी मिलना शुरू हो गया है। यह तय हुआ है कि खाप पंचायतें किसानों के आंदोलन को सहयोग करेगी। भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि हरियाणा की खाप और गांव की पंचायत साथ आने लगी है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में इस आंदोलन को कुचलने के लिए कई मुकदमे हुए हैं। बैरिकेड तोड़ने पर किसानों और किसान नेताओं के खिलाफ हत्या के प्रयास तक के मुकदमे हुए। जब तक मांगें नहीं मानी जाती है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा और इससे भी कड़ा कदम उठाया जाएगा। मलिक खाप, नैन खाप समेत अन्य के प्रतिनिधियों ने इसकी घोषणा भी कर दी। टैक्सी व ट्रांसपोर्ट से जुड़ी दस यूनियनों ने भी किसानों के आंदोलन का समर्थन करने की बात कही है। उनका कहना है कि सरकार ने किसानों की मांग नहीं मानी तो देश में टैक्सी और ट्रक नहीं चलाएंगे। गुरु पर्व पर भी किसान को सड़क पर खड़ा होना पड़ रहा है, इससे शर्मनाक कुछ नहीं है।
नेशनल हाईवे 44 के सिंघु बॉर्डर पर धरना देकर बैठे किसानों ने अब दिल्ली के संपर्क मार्ग को भी बंद करने का एलान किया है। इसके लिए उन सभी गांवों के किसानों से संपर्क किया गया है, जहां से संपर्क मार्ग निकलते हैं और उनसे अपने यहां मार्ग बंद करने के लिए सहयोग भी मांगा गया है। जिससे दिल्ली की खाद्य सामग्री की सप्लाई पूरी तरह से रोकी जा सके। किसानों को अब खापों का समर्थन भी मिलना शुरू हो गया है तो अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने उग्र तेवर दिखाते हुए अब आरपार की लड़ाई लड़ने की तैयारी की है। वहीं समिति के सदस्यों ने कहा है कि पीएम मोदी को अब किसानों के मन की बात सुननी होगी।
सिंघु बॉर्डर से हरियाणा की ओर किसान पिछले चार दिन से धरना देकर बैठे हुए हैं और अभी तक केवल नेशनल हाईवे को रोका हुआ था। जिससे नेशनल हाईवे के पास के गांवों से होकर निकलने वाले संपर्क मार्गों से वाहन दिल्ली में पहुंच रहे थे और दिल्ली में सब्जी से लेकर दूध, फल व अन्य खाद्य सामग्री की सप्लाई हो रही थी। लेकिन किसानों ने अब नई रणनीति के तहत दिल्ली के संपर्क मार्ग भी बंद करने शुरू कर दिए है, जिससे वहां खाद्य सामग्री की सप्लाई को रोका जा सके। इसके लिए नरेला होकर दिल्ली जाने वाले रास्ते को सफियाबाद के पास ट्रैक्टर लगाकर रोक दिया गया। यह संपर्क मार्ग भी रोकने से वहां हालात बिगड़ते दिख रहे है।
पंजाब का नहीं, खेती से जुड़े पूरे देश का आंदोलन
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के कार्यकारिणी सदस्यों गुरनाम सिंह चढूनी, योगेंद्र यादव, जगमोहन सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, शिवकुमार कक्का ने बैठक के बाद आंदोलन की रूपरेखा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सरकार इस आंदोलन को केवल पंजाब का बताकर गलत संदेश देना चाहती है, जबकि यह केवल पंजाब या किसी एक धर्म का आंदोलन नहीं है। बल्कि यह खेती से जुड़े पूरे देश के किसान का आंदोलन है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने अपने मन की बात खूब कही, लेकिन अब उनको किसानों के मन की बात सुननी पड़ेगी। अगर ऐसा नहीं होता तो किसान आरपार की लड़ाई को तैयार है। कहा कि अपनी मांग पूरी कराएंगे या फिर यहीं पर मर जाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के मुंह में राम व बगल में छुरी है। गृहमंत्री अमित शाह बयान देते हैं कि उनकी कई संगठनों से बात हो रही है, जबकि उनकी किसी संगठन से बात नहीं हुई और वह पूरी तरह से झूठ है। वहीं घोषण की गई कि हम जहां है, उसी जगह डटे रहेंगे।
खाप पंचायतों के साथ ही टैक्सी व ट्रांसपोर्ट यूनियनों का समर्थन भी मिलने लगा
किसानों को खाप पंचायतों का समर्थन भी मिलना शुरू हो गया है। यह तय हुआ है कि खाप पंचायतें किसानों के आंदोलन को सहयोग करेगी। भाकियू के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि हरियाणा की खाप और गांव की पंचायत साथ आने लगी है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में इस आंदोलन को कुचलने के लिए कई मुकदमे हुए हैं। बैरिकेड तोड़ने पर किसानों और किसान नेताओं के खिलाफ हत्या के प्रयास तक के मुकदमे हुए। जब तक मांगें नहीं मानी जाती है, तब तक आंदोलन जारी रहेगा और इससे भी कड़ा कदम उठाया जाएगा। मलिक खाप, नैन खाप समेत अन्य के प्रतिनिधियों ने इसकी घोषणा भी कर दी। टैक्सी व ट्रांसपोर्ट से जुड़ी दस यूनियनों ने भी किसानों के आंदोलन का समर्थन करने की बात कही है। उनका कहना है कि सरकार ने किसानों की मांग नहीं मानी तो देश में टैक्सी और ट्रक नहीं चलाएंगे। गुरु पर्व पर भी किसान को सड़क पर खड़ा होना पड़ रहा है, इससे शर्मनाक कुछ नहीं है।