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अपने बयानों को लेकर सोशल मीडिया पर सुर्खियों में रहने वाले मार्कंडेय काटजू ने अब महात्मा गांधी को लेकर विवादित बात कही। उन्होंने कहा है कि भारत के राष्ट्रपिता की उपाधि महात्मा गांधी को नहीं बल्कि मुगल बादशाह अकबर को दी जानी चाहिए। महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद राजनीति में अपनी पैठ बनाने के लिए हिंदू-मुस्लिम भाईचारा खत्म करने में अंग्रेजों की मदद की।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में बार एसोसिएशन की ओर से शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 108वीं जयंती पर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने पहुंचे जस्टिस काटजू ने कहा कि मुगल बादशाह अकबर ने भारत में जिस शासकीय ढांचे की संरचना की थी, उसमें सभी धर्मों को सम्मान दिया गया था, लेकिन महात्मा गांधी ने केवल हिंदुत्व पर जोर दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि महात्मा गांधी अंग्रेजों की ‘फूट डालो राज करो’ नीति का ही अनुसरण करते रहे। उन्होंने गोरक्षा, रामराज्य, हरिजन जैसे आंदोलन तो चलाए, लेकिन मुस्लिमों के लिए एक भी शब्द नहीं कहा। काटजू ने कहा कि भारत में 1857 के पहले कभी भी हिंदू-मुस्लिम दंगा नहीं हुआ था। इसकी शुरुआत अंग्रेजों ने कराई और महात्मा गांधी ने उनका साथ दिया।
जस्टिस काटजू ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि शहीद भगत सिंह मेरे रियल हीरो हैं और वही सच्चे फ्रीडम फाइटर थे। काटजू ने कहा कि अगर भगत सिंह जीवित होते तो आज भारत की तस्वीर कुछ ओर होती।
उन्होंने कहा कि भगत सिंह मानते थे कि शस्त्र संघर्ष के बिना आजादी हासिल नहीं की जा सकती। उन्होंने आरोप लगाया कि भगत सिंह की आंधी को रोकने के लिए अंग्रेजों ने महात्मा गांधी का इस्तेमाल किया।
‘बिना खड़ग बिना ढाल’ आजादी लेने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि कोई भी स्वतंत्रता संग्राम बिना जंग केनहीं होता। उन्होंने सवाल किया क्या कोई राजा सत्याग्रह, फूल-चाकलेट भेंट देने से सिंहासन छोड़ देगा? उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि महात्मा गांधी ने भारत को आजादी दिलाई।
जस्टिस काटजू ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर भी उंगली उठाते हुए कहा कि नेताजी पहले तो नाजियों से मिले और जब उनका साथ नहीं मिला तो जापानियों के साथ मिल गए।
काटजू ने सवाल किया कि जब विश्वयुद्ध में जापान हार गया था तो नेताजी की फौज ने भारत में अंग्रेजों के खिलाफ गोरिल्ला वार क्यों शुरू नहीं की।
उन्होंने आरोप लगाया कि नेताजी केवल जापान के इशारे पर ही काम कर रहे थे और जापान विश्व युद्ध जीतता तो हो सकता है कि जापानी नेताजी की हत्या कर देते या उन्हें डमी राजा बनाकर भारत पर राज करते।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में मामलों की सुनवाई के लिए हिंदी और पंजाबी भाषा के उपयोग की मांग एक बार फिर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा कि वे सभी मिलकर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से हाईकोर्ट में हिंदी और पंजाबी भाषा लागू करने की अपील करें।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 108वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जस्टिस काटजू ने कहा कि हर किसी व्यक्ति को अपनी मातृ भाषा में अपनी बात रखने का हक है तो देश की अदालतों में अंग्रेजों की विरासत को क्यों संभाला जा रहा है।
जस्टिस काटजू ने यह भी कहा कि अगर कोई अंग्रेजी बोलना चाहता है या फिर कोई जज अंग्रेजी ही जानते हैं तब तो अंग्रेजी का इस्तेमाल ठीक है, लेकिन बाकी लोगों को हिंदी-पंजाबी में बात रखने का हक मिलना चाहिए। उन्होंने वकीलों से आहवान किया कि वे इस बारे में आवाज बुलंद करें।
जस्टिस काटजू ने कहा कि संविधान में इसका प्रावधान है कि प्रदेश के राज्यपाल अदालत में भाषा के बारे में आदेश जारी कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री को राज्यपाल के समक्ष अपील भेजनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में न्यायपालिका में 50 फीसदी लोग भ्रष्ट हैं।
अपने बयानों को लेकर सोशल मीडिया पर सुर्खियों में रहने वाले मार्कंडेय काटजू ने अब महात्मा गांधी को लेकर विवादित बात कही। उन्होंने कहा है कि भारत के राष्ट्रपिता की उपाधि महात्मा गांधी को नहीं बल्कि मुगल बादशाह अकबर को दी जानी चाहिए। महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद राजनीति में अपनी पैठ बनाने के लिए हिंदू-मुस्लिम भाईचारा खत्म करने में अंग्रेजों की मदद की।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में बार एसोसिएशन की ओर से शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 108वीं जयंती पर कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने पहुंचे जस्टिस काटजू ने कहा कि मुगल बादशाह अकबर ने भारत में जिस शासकीय ढांचे की संरचना की थी, उसमें सभी धर्मों को सम्मान दिया गया था, लेकिन महात्मा गांधी ने केवल हिंदुत्व पर जोर दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि महात्मा गांधी अंग्रेजों की ‘फूट डालो राज करो’ नीति का ही अनुसरण करते रहे। उन्होंने गोरक्षा, रामराज्य, हरिजन जैसे आंदोलन तो चलाए, लेकिन मुस्लिमों के लिए एक भी शब्द नहीं कहा। काटजू ने कहा कि भारत में 1857 के पहले कभी भी हिंदू-मुस्लिम दंगा नहीं हुआ था। इसकी शुरुआत अंग्रेजों ने कराई और महात्मा गांधी ने उनका साथ दिया।
शहीद भगत सिंह मेरे रियल हीरो
जस्टिस काटजू ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि शहीद भगत सिंह मेरे रियल हीरो हैं और वही सच्चे फ्रीडम फाइटर थे। काटजू ने कहा कि अगर भगत सिंह जीवित होते तो आज भारत की तस्वीर कुछ ओर होती।
उन्होंने कहा कि भगत सिंह मानते थे कि शस्त्र संघर्ष के बिना आजादी हासिल नहीं की जा सकती। उन्होंने आरोप लगाया कि भगत सिंह की आंधी को रोकने के लिए अंग्रेजों ने महात्मा गांधी का इस्तेमाल किया।
‘बिना खड़ग बिना ढाल’ आजादी लेने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि कोई भी स्वतंत्रता संग्राम बिना जंग केनहीं होता। उन्होंने सवाल किया क्या कोई राजा सत्याग्रह, फूल-चाकलेट भेंट देने से सिंहासन छोड़ देगा? उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि महात्मा गांधी ने भारत को आजादी दिलाई।
नेताजी की फौज पर भी उठाए सवाल
जस्टिस काटजू ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर भी उंगली उठाते हुए कहा कि नेताजी पहले तो नाजियों से मिले और जब उनका साथ नहीं मिला तो जापानियों के साथ मिल गए।
काटजू ने सवाल किया कि जब विश्वयुद्ध में जापान हार गया था तो नेताजी की फौज ने भारत में अंग्रेजों के खिलाफ गोरिल्ला वार क्यों शुरू नहीं की।
उन्होंने आरोप लगाया कि नेताजी केवल जापान के इशारे पर ही काम कर रहे थे और जापान विश्व युद्ध जीतता तो हो सकता है कि जापानी नेताजी की हत्या कर देते या उन्हें डमी राजा बनाकर भारत पर राज करते।
हाईकोर्ट में हिंदी और पंजाबी भाषा लागू करने की अपील
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में मामलों की सुनवाई के लिए हिंदी और पंजाबी भाषा के उपयोग की मांग एक बार फिर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा कि वे सभी मिलकर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से हाईकोर्ट में हिंदी और पंजाबी भाषा लागू करने की अपील करें।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 108वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जस्टिस काटजू ने कहा कि हर किसी व्यक्ति को अपनी मातृ भाषा में अपनी बात रखने का हक है तो देश की अदालतों में अंग्रेजों की विरासत को क्यों संभाला जा रहा है।
जस्टिस काटजू ने यह भी कहा कि अगर कोई अंग्रेजी बोलना चाहता है या फिर कोई जज अंग्रेजी ही जानते हैं तब तो अंग्रेजी का इस्तेमाल ठीक है, लेकिन बाकी लोगों को हिंदी-पंजाबी में बात रखने का हक मिलना चाहिए। उन्होंने वकीलों से आहवान किया कि वे इस बारे में आवाज बुलंद करें।
जस्टिस काटजू ने कहा कि संविधान में इसका प्रावधान है कि प्रदेश के राज्यपाल अदालत में भाषा के बारे में आदेश जारी कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री को राज्यपाल के समक्ष अपील भेजनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में न्यायपालिका में 50 फीसदी लोग भ्रष्ट हैं।