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नवजात को फीडिंग कराने में आपकी थोड़ी सी लापरवाही उसके वजन बढ़ाने में बाधक बन सकती है। अंडर वेट बच्चों की समस्या आजकल आम हो गई और इसकी मुख्य वजह है सही तरीके से ब्रेस्ट फीडिंग नहीं कराना।
डाक्टरों के अनुसार, मां को एक ब्रेस्ट से कम से कम 10-15 मिनट फीडिंग करानी चाहिए, तभी उसे सभी पोषक तत्व मिल सकेंगे। पांच से सात मिनट तक एक ब्रेस्ट से फीडिंग के दौरान बच्चे को दूध में सिर्फ प्रोटीन मिलता है। इसके बाद ही फैटरिच मिल्क मिलना शुरू होता है। बच्चों को यह फैटरिच मिल्क मिलना जरूरी है।
सेक्टर-6 के जनरल अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले नवजातों के आंकड़ों पर गौर करें तो 100 में से 40 बच्चों के वेट में कमी इसी वजह से देखने को मिलती है, क्योंकि उन्हें सही तरीके से ब्रेस्ट फीडिंग नहीं कराई जाती है।
जन्म के बाद यूं बढ़ता है बच्चों का वजन
समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों का वेट लॉस 5-10 प्रतिशत होता है। यह वेट लॉस एक समान्य प्रक्रिया है। वहीं, जो बच्चे समय पर पैदा होते हैं, उनका वजन सात से दसवें दिन में बर्थ वेट के बराबर रीगेन हो जाता है।
उसके बाद बच्चों का वजन बढ़ना शुरू होता है और लगभग 30-40 ग्राम वजन डेली बढ़ता है। जो बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं, वह अपना वेट 14 दिनों तक रिगेन करते हैं और उसके बाद उनका वजन बढ़ना शुरू होता है।
बच्चे को छह माह तक दें मां का दूध
नवजात को मां का दूध पिलाना जरूरी है, क्योंकि मां के दूध में ही बीमारी से लड़ने के सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
बच्चे को जन्म के बाद से पहले छह माह तक प्रापर तरीके से मां का दूध पिलाना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर मां को दूध बनना भी बंद हो जाता है।
इन गलत धारणाओं से बचें
अक्सर देखा जाता हैं कि डिलीवरी के बाद महिलाएं मछली और दूध से परहेज करती हैं। उनके मन में भ्रम होता है कि इससे टांके पक सकते हैं और पस आ सकता है, लेकिन मछली व दूध के सेवन से मां को प्रोटीन और रीच डाइट मिलती है।
एक धारणा यह भी है कि डिलीवरी के बाद लिक्विड (दूध, जूस) देने से महिला के पेट में तकलीफ होती है, लेकिन यह गलत है। हेल्दी लिक्विड डाइट लेने से मां का दूध ज्यादा बनता है।
फार्मूला मिल्क भी है वैकल्पिक उपाय
मां का दूध नहीं मिलने पर बच्चे को फार्मूला मिल्क पिलाएं। दूध के पैकेट के रैपर पर दिए गए निर्देशों के अनुसार ही पानी मिलाएं। यदि दूध और पानी की मात्रा में गड़बड़ी आई तो बच्चे का वेट नहीं बढ़ेगा।
इसके अलावा बच्चे को गाय-भैंस का दूध भी पिला सकते हैं, लेकिन इस दूध में पानी बिल्कुल न मिलाएं।
बच्चे के प्रति ये सावधानियां बरतें
बच्चे के जन्म पर उसे जन्म घुट्टी नहीं देनी चाहिए।
अमलाइकस स्टैंप, कोई भी एंटीसेप्टिक क्रीम, पाउडर नहीं लगाना चाहिए। इससे इनफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है।
जन्म के दो दिनों के बाद ही बच्चे को नहलाना चाहिए।
नाखून से काजल और सुरमा नहीं लगना चाहिए, क्योंकि नाखून में लेड होता है। यह हानिकारक होता है।
इसका भी रखें खयाल
डाक्टरों के अनुसार, अक्सर देखा जाता है कि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के खानपान का विशेष ध्यान रखा जाता है और जैसे ही डिलीवरी हो जाती है, उनकी डाइट नार्मल कर दी जाती है।
इससे मां का दूध बनना भी बंद हो सकता है। बच्चा जब तक मां का दूध पीता है, मां को हेल्दी और संतुलित आहार लेना चाहिए।
जन्म के बाद से ही बच्चे को मां का दूध पिलाना चाहिए, वरना दूध बनना ही कम हो जाएगा और बच्चे को प्रापर डाइट नहीं मिल पाएगी।
डा. रानी सिंह, गायनाकॉलोजिस्ट, जनरल हॉस्पिटल
नवजात को फीडिंग कराने में आपकी थोड़ी सी लापरवाही उसके वजन बढ़ाने में बाधक बन सकती है। अंडर वेट बच्चों की समस्या आजकल आम हो गई और इसकी मुख्य वजह है सही तरीके से ब्रेस्ट फीडिंग नहीं कराना।
डाक्टरों के अनुसार, मां को एक ब्रेस्ट से कम से कम 10-15 मिनट फीडिंग करानी चाहिए, तभी उसे सभी पोषक तत्व मिल सकेंगे। पांच से सात मिनट तक एक ब्रेस्ट से फीडिंग के दौरान बच्चे को दूध में सिर्फ प्रोटीन मिलता है। इसके बाद ही फैटरिच मिल्क मिलना शुरू होता है। बच्चों को यह फैटरिच मिल्क मिलना जरूरी है।
सेक्टर-6 के जनरल अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले नवजातों के आंकड़ों पर गौर करें तो 100 में से 40 बच्चों के वेट में कमी इसी वजह से देखने को मिलती है, क्योंकि उन्हें सही तरीके से ब्रेस्ट फीडिंग नहीं कराई जाती है।
जन्म के बाद यूं बढ़ता है बच्चों का वजन
समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों का वेट लॉस 5-10 प्रतिशत होता है। यह वेट लॉस एक समान्य प्रक्रिया है। वहीं, जो बच्चे समय पर पैदा होते हैं, उनका वजन सात से दसवें दिन में बर्थ वेट के बराबर रीगेन हो जाता है।
उसके बाद बच्चों का वजन बढ़ना शुरू होता है और लगभग 30-40 ग्राम वजन डेली बढ़ता है। जो बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं, वह अपना वेट 14 दिनों तक रिगेन करते हैं और उसके बाद उनका वजन बढ़ना शुरू होता है।
बच्चे को छह माह तक दें मां का दूध
नवजात को मां का दूध पिलाना जरूरी है, क्योंकि मां के दूध में ही बीमारी से लड़ने के सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
बच्चे को जन्म के बाद से पहले छह माह तक प्रापर तरीके से मां का दूध पिलाना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर मां को दूध बनना भी बंद हो जाता है।
इन गलत धारणाओं से बचें
अक्सर देखा जाता हैं कि डिलीवरी के बाद महिलाएं मछली और दूध से परहेज करती हैं। उनके मन में भ्रम होता है कि इससे टांके पक सकते हैं और पस आ सकता है, लेकिन मछली व दूध के सेवन से मां को प्रोटीन और रीच डाइट मिलती है।
एक धारणा यह भी है कि डिलीवरी के बाद लिक्विड (दूध, जूस) देने से महिला के पेट में तकलीफ होती है, लेकिन यह गलत है। हेल्दी लिक्विड डाइट लेने से मां का दूध ज्यादा बनता है।
फार्मूला मिल्क भी है वैकल्पिक उपाय
मां का दूध नहीं मिलने पर बच्चे को फार्मूला मिल्क पिलाएं। दूध के पैकेट के रैपर पर दिए गए निर्देशों के अनुसार ही पानी मिलाएं। यदि दूध और पानी की मात्रा में गड़बड़ी आई तो बच्चे का वेट नहीं बढ़ेगा।
इसके अलावा बच्चे को गाय-भैंस का दूध भी पिला सकते हैं, लेकिन इस दूध में पानी बिल्कुल न मिलाएं।
बच्चे के प्रति ये सावधानियां बरतें
बच्चे के जन्म पर उसे जन्म घुट्टी नहीं देनी चाहिए।
अमलाइकस स्टैंप, कोई भी एंटीसेप्टिक क्रीम, पाउडर नहीं लगाना चाहिए। इससे इनफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है।
जन्म के दो दिनों के बाद ही बच्चे को नहलाना चाहिए।
नाखून से काजल और सुरमा नहीं लगना चाहिए, क्योंकि नाखून में लेड होता है। यह हानिकारक होता है।
इसका भी रखें खयाल
डाक्टरों के अनुसार, अक्सर देखा जाता है कि प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के खानपान का विशेष ध्यान रखा जाता है और जैसे ही डिलीवरी हो जाती है, उनकी डाइट नार्मल कर दी जाती है।
इससे मां का दूध बनना भी बंद हो सकता है। बच्चा जब तक मां का दूध पीता है, मां को हेल्दी और संतुलित आहार लेना चाहिए।
जन्म के बाद से ही बच्चे को मां का दूध पिलाना चाहिए, वरना दूध बनना ही कम हो जाएगा और बच्चे को प्रापर डाइट नहीं मिल पाएगी।
डा. रानी सिंह, गायनाकॉलोजिस्ट, जनरल हॉस्पिटल